तीर्थ नगरी ऋषिकेश में आने वाले पर्यटक ना जाने कितने स्थानीय लोगो और अन्य पर्यटको को कर रहे कोरोना संक्रमित, पॉजिटिव पर्यटको की निगरानी का बंदोबस्त ना होने के कारण उन्हें ट्रेस करने में हो रही असुविधा


ऋषिकेश 5 जनवरी। तीर्थ नगरी ऋषिकेश में बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों की कोरोना जांच केवल एनटीपीसीआर के हवाले कर रखी है। जिसकी निगरानी का कोई बंदोबस्त ना होने के कारण पर्यटक वापस अपने गंतव्य स्थान तक चले जाते हैं। ऐसे में उनके पॉजिटिव आने पर उनको ट्रेस करने में स्वास्थ्य विभाग को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। इसलिए बड़े पैमाने पर लोगों की स्क्रीनिंग के लिए एंटीजन जांच ही की जाती है। अगर कोई व्यक्ति एंटीजन जांच में पॉजिटिव पाया जाता है तो संक्रमण की पुष्टि के लिए उसके आरटी पीसीआर सैंपल लिए जाते हैं

पूरे देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के केस लगातार बढ़ते जा रहे है और कोरोन  लगातार तेजी से अपने पांव पसार रहा है। परंतु फिर भी बढ़ते खतरे के बीच स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम की रणनीति में कोई बदलाव नहीं किया है।

बताते चलें नव वर्ष पर ऋषिकेश से सटे लक्ष्मणझूला ओर मुनी की रेती, नरेंद्र नगर क्षेत्र में आने वाले 35 पर्यटक कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं। जिन की पॉजिटिव रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को तब मिलती है जब वह सभी पर्यटक ऋषिकेश में सैर सपाटा कर और ना जाने कितने सैकड़ों लोगों को संक्रमित कर अपने अपने घरों को वापस लौट चुके थे। ऐसे में उन पर्यटको के संपर्क में आने से कितने ही स्थानीय और अन्य पर्यटक भी संक्रमित हुए होंगे जिन का पता लगाना स्वास्थ्य विभाग के लिए सर दर्द बंद चुका है। इस तरह की स्थिति में ऋषिकेश तीर्थ नगरी में कोरोना संक्रमण का बड़े पैमाने पर फैलने की आशंका बनी हुई है।परंतु फिर भी स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना जांच के लिए चल रही व्यवस्थाओं को अभी तक बदला नहीं गया है।

जबकि पूर्व में देहरादून, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल जिले की चेक पोस्ट पर बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों और यात्रियों की रेंडम एंटीजन जांच की जाती थी। जांच में महज 10 से 15 मिनट का समय लगता था। जांच में संक्रमित पाए जाने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को चेक पोस्ट से वापस लौटा दिया जाता था। वहीं संबंधित जिले और स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को सूचित कर दिया जाता था। अब तीनों जिलों में बाहर से आने वाले पर्यटकों की रैपिड आरटी पीसीआर सैंपलिंग की जा रही है। इसकी रिपोर्ट आने में 48 से 72 घंटे लग रहे हैं।

 एम्स के कोविड नोडल अधिकारी और एसोसिएट प्रो. डॉ. मुकेश बैरवा का कहना है कि आरटी पीसीआर जांच में कम से कम छह से आठ घंटे का समय लगता है। वहीं एंटीजन जांच में 10 से 15 मिनट में जांच रिपोर्ट मिल जाती है। हालांकि एंटीजन जांच बहुत अधिक विश्वसनीय नहीं होती है, लेकिन बड़े पैमाने पर लोगों की स्क्रीनिंग के लिए एंटीजन जांच ही की जाती है। अगर कोई व्यक्ति एंटीजन जांच में पॉजिटिव पाया जाता है तो संक्रमण की पुष्टि के लिए उसके आरटी पीसीआर सैंपल लिए जाते हैं। बड़े स्तर पर कोरोना जांच के लिए दोनों प्रक्रिया अपनाने से संक्रमण को रोकने में काफी हद तक मदद मिलती है।

यमकेश्वर के कोविड़ नोडल अधिकारी डॉ राजीव कुमार का कहना है कि विभाग की ओर से पर्यटकों और श्रद्धालुओं की आरटी पीसीआर सैंपलिंग के निर्देश दिए गए हैं। उच्च अधिकारियों के निर्देश मिलने के बाद रैंडम एंटीजन जांच शुरू की जाएगी।

इसी कड़ी में फकोट ब्लॉक के कोविड नोडल अधिकारी डॉ अनिल जोशी ने भी बताया कि अभी स्थानीय लोगों और पर्यटकों की आरटी पीसीआर जांच की जा रही है। विभाग से निर्देश मिलने के बाद रैंडम एंटीजन जांच शुरू की जाएगी।

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