नये लक्ष्मण झूला मोटर पुल मार्ग के निर्माण पर कोर्ट ने लगाई रोक, कंस्ट्रक्शन कंपनियों के आपस में टेंडर की अहर्ता को लेकर मामला पहुंचा हाईकोर्ट


ऋषिकेश 9 जनवरी। लोक निर्माण विभाग द्वारा पुराने लक्ष्मण झूला पुल के स्थान पर नए मोटर पुल का निर्माण किया जाना था जिसकी टेंडर प्रक्रिया को लेकर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी ने मामले को उच्च न्यायालय में पहुंचा दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार नए लक्ष्मण झूला पुल मार्ग के निर्माण को लेकर टेंडर प्रक्रिया को चुनौती देते हुए ऋषिकेश की हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी ने न्यायालय में याचिका दायर की। आरोप है कि टेंडर की अहर्ता पूरी ना करने वाली कंपनी को टेंडर दे दिया गया। उच्च न्यायालय ने इस मामले में यथास्थिति बनाने का आदेश जारी किया है। मामले में अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी।
बताते चलें लोक निर्माण विभाग की ओर से लक्ष्मण झूला में पुराने झूला पुल के समीप टू-लेन मोटर पुल का निर्माण किया जाना है। इस पुल के निर्माण के लिए विभाग की ओर से 20 नवंबर को टेंडर आमंत्रित किए गए थे। 23 नवंबर को टेंडर खोले गए। निर्माण के लिए हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी, कैलाश हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी और पी एण्ड आर इंफ्रा प्रोजेक्ट कंपनी के टेंडर को विभाग की ओर से सही पाया गया।
इस मामले में तीसरी कंपनी पी एण्ड आर इंफ्रा प्रोजेक्ट के टेंडर को मंजूरी दे दी गई।
हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी ऋषिकेश की ओर से उच्च न्यायालय नैनीताल में विभाग की इस प्रक्रिया को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई। इसमें कंपनी ने आरोप लगाया कि जिस कंपनी को काम दिया गया है वह टेंडर की अहर्ता को पूरा नहीं करती है।

इस संबंध में हिलवेज कंपनी के निदेशक अजय शर्मा ने बताया कि इस पूरे मामले में मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता को पत्र लिखकर कंपनी की ओर से आपत्ति दर्ज करा दी गई थी। बावजूद इसके आपत्ति को नहीं सुना गया। जिस कारण हम न्यायालय की शरण में गए।
उच्च न्यायालय ने पांच जनवरी को मामले की सुनवाई करते हुए लोक निर्माण विभाग के सचिव, मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता को यथास्थिति बनाने के आदेश जारी किए।

इस मामले में लोक निर्माण विभाग नई टिहरी के अधिशासी अभियंता एनपी सिंह का कहना है कि न्यायालय ने इस मामले में 20 फरवरी अगली सुनवाई की तिथि निश्चित की है। कंपनी निदेशक अजय शर्मा ने आरोप लगाया कि न्यायालय में सुनवाई की तिथि तक जिस कंपनी को काम दिया गया उसके साथ एग्रीमेंट नहीं हुआ था। उन्हें अंदेशा है कि बैक डेट पर एग्रीमेंट किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय की ओर से हमें चार जनवरी की शाम सूचित करते हुए जवाब मांगा गया था। जिस पर हमने ई-मेल के जरिए न्यायालय को जवाब लिख दिया था। जिसमें अवगत कराया गया था कि मौके पर काम चल रहा है।

न्यायालय ने हमारे जवाब को अपने आदेश में शामिल किया या नहीं इसकी हमें जानकारी नहीं है। पांच जनवरी को संबंधित कंपनी के साथ एग्रीमेंट कर दिया गया था और सात जनवरी को न्यायालय का आदेश उन्हें प्राप्त हुआ। मौके पर काम चल रहा है। इसी आधार पर यथास्थिति बनाई गई है।

 

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