विधानसभा चुनाव में भाजपा चला रही परिवारवाद, दागियों ओर सांसदों के टिकटों पर कैंची, परंतु फिर भी भाजपा नेताओं द्वारा परिवार के लिए टिकट मांगने की लंबी है फेहरिस्त


ऋषिकेश /देहरादून/ लखनऊ 18 जनवरी। पांच राज्यों के   होने वाले 2022 विधानसभा चुनाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चुनाव के दंगल की तैयारियां पूरे चरम पर हैं। प्रत्याशियों के चुनावी अखाड़े में उतरने का ऐलान भी हो रहा हैं,किसी को चुनावी अखाड़े में उतारा जा रहा है तो किसी को हटाया जा रहा है।

भाजपा सूत्रों के अनुसार आलाकमान ने तय किया है कि पार्टी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किसी सांसद को या एक ही परिवार के कई लोगों को टिकट नहीं देगी।बैरहाल पार्टी का मानना है कि वो योग्यता और प्रदर्शन के अपने आधार पर टिकट देने के फार्मूले पर ही कायम रहेगी।वैसे भाजपा में ऐसे नेताओं की लंबी लाइन है जो अपने परिवार के लोगों के लिए टिकट मांग कर रहे हैं।

यह ऐलान उन खबरों के बीच हुआ है जिनमें सांसद और विधायक सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने उत्तर प्रदेश समेत मणिपुर, गोवा, उत्तराखंड और पंजाब में अगले माह होने वाले विधानसभा चुनाव में अपने बच्चों के लिए टिकट मांगा है। उत्तर प्रदेश में सांसद कौशल किशोर, सांसद रीता बहुगुणा जोशी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत कई बड़े नाम शामिल हैं।

यही हाल उत्तराखंड में भी रहा है जिसमें हरक सिंह रावत द्वारा भी अपनी पुत्रवधू के लिए टिकट की मांग की गई परंतु इसी के चलते उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। ये सभी अपनों के लिए टिकट की आस लगाए बैठे हैं,लेकिन पार्टी ने साफ तौर पर कहा है कि एक ही परिवार के कई लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा।

भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 10 से 14 फरवरी के बीच होने वाले विधानसभा चुनाव के दो चरणों के लिए 107 प्रत्याशियों की अपनी पहली लिस्ट पहले ही जारी कर दी है।इस लिस्ट में 20 मौजूदा विधायकों का पत्ता साफ हो गया है। लिस्ट में कई नए चेहरे भी शामिल हैं जिनको विनेबिलिटी के लिहाज से टिकट दिया गया है।

यही कारण है कि परिवारवाद के चलते टिकट कटने और अपनी खुद की टिकट कटने की वजह से भाजपा के कई विधायकों और मंत्रियों ने पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं।

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू अपर्णा के भाजपा में शामिल होने के बारे में पार्टी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने कहा कि अपर्णा यादव का शामिल होना उनकी पसंद की सीट पाने पर निर्भर नहीं है। निर्वाचन क्षेत्र सहित उनकी उम्मीदवारी पर निर्णय पार्टी नेतृत्व का विशेषाधिकार होगा। टिकट पार्टी तय करेगी कि उन्हें कहां से लड़ना है। पहले से यदि कोई ये दावा लेकर आएगा कि हमें इसी सीट से टिकट चाहिए तो ऐसा संभव नहीं है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *