चार धाम यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की अधिकारियों संग समीक्षा बैठक, स्थानीय लोगों के पंजीकरण की अनिवार्यता को खत्म करने के अधिकारियों को दिए निर्देश





ऋषिकेश देहरादून 28 मार्च। उत्तराखंड में अप्रैल माह में शुरू होने वाली चार धाम यात्रा को लेकर आज प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों संग एक बैठक की।

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में #CharDhamYatra की तैयारियों के संबंध में समीक्षा बैठक लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि आगामी यात्रा के लिए स्थानीय लोगों के पंजीकरण की अनिवार्यता को खत्म किया जाए।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को यात्रा में दर्शन करवाये जाएंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि जिन श्रद्धालुओं ने चारधाम यात्रा के लिए होटलों एवं होम स्टे में बुकिंग करा ली है, उनकी दर्शन के लिए भी व्यवस्था की जाए।

मुख्यमंत्री  धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड आने वाले श्रद्धालु चारधाम यात्रा के साथ ही अन्य प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर भी जाएं, इसके लिए पर्यटन, पुलिस एवं परिवहन विभाग द्वारा विभिन्न माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाया जाए।

उन्‍होंने कहा कि #VocalForLocal को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय उत्पादों को व्यापक स्तर पर प्रमोट किया जाए। गढ़वाल मंडल विकास निगम में भी स्थानीय उत्पादों को रखा जाए। उन्‍होंने यात्रा मार्गों के पार्किंग स्थलों पर वाहन चालकों के रहने एवं सोने की समुचित व्यवस्था के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी यात्रा के लिए पुलिस द्वारा भीड़ प्रबंधन के लिए समुचित व्यवस्था की जाए और यात्रा मित्र के तौर पर कुछ स्थानीय लोगों को रखा जाए। यात्रा पर आने वाले वाहनों की फिटनेस का भी विशेष ध्यान रखा जाए और इसके लिए अन्य राज्यों से भी समन्वय किया जाए।

उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं से जो भी आवश्यक जानकारी लेनी है, केवल एक बार राज्य के एन्ट्री प्वाइंट पर ली जाय। यह सुनिश्चित किया जाए कि उत्तराखण्ड आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो।

जीवन मे आगे बढ़ने के लिए सही लक्ष्य व समय का सदुपयोग जरूरी: आचार्य प्रशान्त ऋषिकेश में लगाया आचार्य प्रशांत ने शिविर 





ऋषिकेश 25 मार्च। अचार्य प्रशांत ऋषिकेश में चल रहे दो दिवसीय शिविर में आचार्य ने जीवन में आगे बढ़ने के लिए सही समय व सही लक्ष्य को जरूरी बताते हुए समझाया।

आज देहरादून रोड स्थित होटल होली विवासा मैं आयोजित शिविर में अद्वैत संस्था के संस्थापक एवम पूर्व सिविल सेवा अधिकारी आचार्य प्रशान्त ने  काल अर्थात समय की व्याख्या करते हुए कहा कि समय दुनिया की सबसे मूल्यवान और कीमती चीज है। मैं हूँ और दुनिया है, इससे द्वैत बनता है→ इससे समय की निर्मित्ति होती है अहम को लगता है कि उसके दो टुकड़े हुए हैं।

उन्होंने कहा कि इसलिए अहम और प्रकृति में एक संबंध बनता है अपूर्ण से पूर्ण होने की कोशिश में। उन्होंने बताया कि हम जिससे रिश्ता बनाते हैं, उसको भी बदल देते हैं।अपूर्ण का अपने प्रति असंतोष समय है। समय चलता रहता है क्योंकि हम लगातार बने रहते हैं। संबंध सही है तो आदान-प्रदान ज्ञान में होगा।
जबतक आकर्षण कम नहीं होगा, तबतक रिश्ता अच्छा नहीं होगा।

आचार्य प्रशान्त ने कहा कि प्यास मेरी हर कोशिका में है। प्रकृति बदलते है नियम के हिसाब से और अहंकार बदलता है नीयत के हिसाब से।”विज्ञान को काम है प्रकृति में जो कुछ चल रहा है वो खोलकर रख देना।जबकि प्रकृति अपने नियमों पर चलती है।

उन्होंने समझाया “अध्यात्म का उद्देश्य मानसिक समय को समाप्ति।”सरल होने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ती है सत्य-द्रोह सत्य से द्रोह करना है अद्वैत से द्वैत का निर्माण, ही पहली बेवफाई है।आप हैं तो वर्तमान नहीं हो सकता ।

उन्होंने कहा कि नियत का साफ होना ही वर्तमान में स्थित होता है। खुबसूरत जहाँ अहम नहीं है, वहाँ सौंदर्य है।दृष्टा निर्विकार है तो पूरी प्रकृति सुंदर है। हमेशा दृष्टा में ही होता है ।सौंदर्य वहाँ खोजिए जहाँ साधुता है उन्होंने कहा कि समय का बहुत महत्व है और इसका गहरा अर्थ है। इसलिए सफल जीवन के लिए समय के महत्व को समझना जरूरी है। समय प्रबंधन हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।काल अर्थात समय की व्याख्या करते उन्होंने कहा कि समय दुनिया की सबसे मूल्यवान और कीमती चीज है। इससे हमें और समाज को बेहतर कल की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, हमें अपने बच्चों को समय के महत्व और मूल्य को सिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए हमें कुछ बिंदुओं पर विचार करना चाहिए जो हमारे पूरे जीवन में हमारी मदद करेंगे। इस उपयोग में लक्ष्य निर्धारित करना, कार्य सूची तैयार करना, कार्य को प्राथमिकता देना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि शुरुआत में, यह एक उबाऊ कार्य की तरह महसूस होगा लेकिन जब आप इसे नियमित रूप से करेंगे तब आपको महसूस होगा कि यह केवल आपकी ऊर्जा बढ़ाने में आपकी मदद करता है। अंततः, यह आपको जीवन में अधिक हासिल करने के लिए मजबूर करेगा। आचार्य प्रशान्त ने कहा कि कार्य को प्राथमिकता देना समय के प्रबंधन का एक बहुत प्रभावी तरीका है। साथ ही, इसकी वजह से, आप विभिन्न कार्य और नौकरियों के महत्व को जान पाएंगे इसलिए, यह आपको जीवन में आगे बढ़ने में मदद करेगा।

उन्होंने कहा कि हालांकि अधिकांश लोगों को तब तक यह समझ नहीं आता है कि जब तक उन्होंने इसे खो नहीं दिया कि समय कितना मूल्यवान है। इसके अलावा, दुनिया में ऐसे लोग हैं जो समय के साथ पैसे को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि उनके अनुसार, समय कुछ भी नहीं है। लेकिन, उन्हें इस तथ्य का एहसास नहीं है कि यह समय है जिसने उन्हें पैसा कमाने का अवसर दिया है। इसके अलावा, समय ने हमें समृद्धि और खुशी दी है और इसके विपरीत, इसने हमें दुःख और शोक भी दिए हैं। लेकिन, वे भूल जाते हैं कि उनके पास सीमित समय है। दुनिया में समय ही एकमात्र ऐसी चीज है जो असीम है। हम कह सकते हैं कि समय ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार है। इसके अलावा, एक कहावत है कि “यदि आप समय बर्बाद करते हैं, तो समय आपको बर्बाद करेगा।” केवल यह रेखा यह बताने के लिए पर्याप्त है कि समय कितना महत्वपूर्ण और मूल्यवान है।

वर्ष प्रतिपदा पर आर.एस.एस.ने नगर में निकाला पथ संचलन, नगर वासियों ने पुष्प वर्षा से किया भव्य स्वागत भारत को वैभव पर ले जाने के लिए पर्यावरण की रक्षा के साथ जल संवर्धन किया जाना होगा -स्वातरंजन





ऋषिकेश, 22 मार्च । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नव वर्ष प्रतिपदा के अवसर पर नगर में विशाल पथ संचलन उद्घोष के साथ निकाला, जिसका नगर वासियों ने जगह-जगह पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया।

बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित नगर पथ संचलन के दौरान बड़ी संख्या में संघ के संघ के स्वयंसेवकों ने गणवेश में प्रतिभाग किया।

इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय बौद्धिक प्रमुख स्वात्त रंजन ने उपस्थिति को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2 वर्ष के बाद वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है, जिसने कार्यों को लेकर अपने को पूरे विश्व में स्थापित किए जाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक को अपने परिवार सहित अपने आस पड़ोस में अच्छे संस्कार आने वाली पीढ़ी को देने होंगे, इसी के साथ उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देश में हो रही प्रत्येक प्रकार की घटनाओं पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

इसी के साथ उन्होंने भारत को वैभव पर ले जाने के लिए पर्यावरण की रक्षा के लिए जल संवर्धन के साथ पेड़ों को बचाने की मुहिम चलाए जाने का आह्वान भी किया उन्होंने कहा कि पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो हम भी सुरक्षित रहेंगे, उनका कहना था कि भारत को उत्कर्ष स्थान पर पहुंचाने के लिए हमें स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग किया जाना अत्यंत आवश्यक है। जिससे देश भी मजबूत होगा और हम भी मजबूत बनेंगे ।

उन्होंने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए स्वच्छता अभियान चलाए जाने का आह्वान भी किया उन्होंने कहा कि हमें कानून का पालन करना चाहिए और उसके लिए आने वाली पीढ़ी को भी जागृत करन होगा। जिससे सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों से अपेक्षा व्यक्त की कि वह समाज की प्रत्येक गतिविधि पर नज़र रखेंगे, बौद्धिक प्रमुख स्वात रंजन ने‌ क‌हा कि 5125 और विक्रम संवत 2080 की सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं,अभी हम संघ की परंपरा के अनुसार वर्ष भर में मनाए जाने वाले छ पर्व में नव वर्ष का उत्सव को वर्ष प्रतिपदा उत्सव को मना रहे हैं। सौभाग्य से आज के ही दिन वर्ष प्रतिपदा के ही दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक परम पूजनीय डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म हुआ था इसीलिए प्रतिवर्ष ध्वज लगने के पहले हम परम पूजनीय को आद्य सरसंघचालक प्रणाम देते हैं उन्होंने संपूर्ण भारतवर्ष के लिए संपूर्ण हिंदू समाज के उत्थान के लिए जो कार्य प्रारंभ किया उसके लिए हम उनको कृतज्ञता पूर्वक स्मरण करते हैं।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 98 वर्ष शताब्दी वर्ष आज उसके कारण से समाज में लोग संघ को जानते हैं, समझते हैं लेकिन संघ का कार्य अनोखा कार्य एक अलग प्रकार का कार्य है उसको केवल पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से समाचार पत्रों के समाचारों के माध्यम से हम बहुत कम समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हमें संघ को अगर जानना और समझना है तो प्रत्यक्ष संघ के कार्यक्रमों में संघ की शाखा में जब हम आएंगे, तो हमको संघ समझ में आएगा, इसीलिए समय-समय पर ऐसे सभी कार्यक्रमों में डॉक्टर हेडगेवार एक प्रकार से मूर्त रूप संघ थे। इसलिए कई बार गीत में हम कहते हैं वह मानव रूप में तो थे लेकिन उनके जीवन का क्षण क्षण इस मातृभूमि के लिए इस देश के लिए संपूर्ण हिंदू समाज के लिए किस प्रकार समर्पित था। यह जीवन अध्ययन करेंगे तो हमें ध्यान में आएगा इसकी आवश्यकता है तभी देश उत्थान करता है तभी उन्नति के रास्ते पर आगे बढ़ता है। जब वहां का समाज का एक एक व्यक्ति अपने देश के प्रति ऐसा जीवन जीता है और इसलिए शाखा में आते आते धीरे-धीरे हम ऐसे एक अच्छे स्वयंसेवक बने, इसके लिए हम प्रयत्न करते हैं और हमारे सामने आदर्श के रूप में आपका जीवन है किस प्रकार से अपने जीवन को समाज के लिए देश के लिए जी करके दिखाना देश के लिए मरने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। कि हम देश के लिए पूरा जीवन हम इस देश के लिए किस प्रकार से जी सकते हैं यह भाव लेकर के हम शाखा में 1-1 कर्म करने वाला एक परिवार को जोड़ने का कार्य करते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की संकल्प शक्ति ने‌ संकल्प को‌ वास्तविकता में बदलकर उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को सार्थक एवं संभव बनाया है संकल्प सार्वभौमिक सार्वभौमिक के उद्देश्य से ईमानदारी से असंभव को संभव करने की‌ शक्ति है इसलिए हम सबको संकल्प संकल्प लेना चाहिए इस दिशा में इस शुभ दिन पर मैं आप सभी को हमारी संस्कृति जीवन जीने के तरीके के बारे में और अधिक जाने , उन्होंने आह्वान किया कि हम सभी हमारे धर्म के बारे में प्रचारित सभी गलत विचार विचारों को धवस्त कर सकें।

इस दौरान कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वामी कृतानंद, को उपस्थिति को संबोधित किया। इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य महामंडलेश्वर डॉ रामेश्वर दास, उत्तराखंड पीठाधीश्वर स्वामी ईश्वरदास संघ के सह प्रांत प्रचारक चंद्रशेखर प्रांत संपर्क प्रमुख रमेश जी, दिनेश सेमवाल सहित संघ के तमाम पदाधिकारी एवं स्वयंसवक उपस्थित थे।

श्रीराम गौ सेवा समिति की सात दिवसीय गौ यात्रा का हुआ शुभारंभ,





ऋषिकेश 21 मार्च। उत्तराखंड में जहां एक ओर भारी बारिश का दौर जारी है। वहीं इस बारिश में भी गौ सेवकों के हौसलें और आस्था नहीं डगमगाई है। तय कार्यक्रम के अनुसार आज ऋषिकेश में श्रीराम गौधाम सेवा समिति द्वारा “गौ बचाओ जन जागरण रथ यात्रा” निकाली गई है। इस यात्रा में जहां साधु संत अपना योगदान और आशीर्वाद दें रहे हैं वहीं आम जन भी गौ माता की रक्षा का संकल्प लेते हुए अपनी गाय के साथ यात्रा से जुड़ रहे हैं। ये सात दिवसीय यात्रा आज से शुरू होकर 27 मार्च को हरिद्वार पहुंच पूर्ण होगी।

बता दें कि श्रीराम गौधाम के संस्थापक  जगदीश भट्ट और समिति के संरक्षक मोहन काला ने कहा कि 21 मार्च से 27 मार्च 2023 तक गढ़वाल मण्डल (उत्तराखंड) क्षेत्र में गौ माता की सेवा, संरक्षण एवं संवर्धन की अभिलाषा में गौ बचाओ जन जागरण निकाली जा रही है। आज सुबह बारिश के बीच शुरू हुई ये यात्रा ऋषिकेश-तपोवन, आनन्द भवन आश्रम से सुबह 10 बजे साधु -संतों का आशीर्वाद लेकर शुरू हो गई है। अब ये यात्रा देहरादून, मसूरी होते हुए रात को लाखामण्डल रात्रि विश्राम के लिए पहुँचेगी। इस यात्रा में स्वामी रमेश आनंद , महंत रवि प्रपंनाचार्य , महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दस , महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वर दास , समेत देवभूमि उत्तराखंड के सभी संत समाज वैष्णव जन, साधु, विरक्तजन, महामंडलेश्वर, आचार्य गण,महिलाएँ, गौरक्षक तथा गौसेवक बढ़ चढ़ कर सम्मिलित हो रहे हैं।

इस अवसर पर गौ धाम के संस्थापक ने बताया कि गौ रथ यात्रा का उद्देश्य गावं से लेकर शहर के सड़कों पर निराश्रित घूम रही गौमाता एवं गौ वंशो की दशा सुधारने के लिए एक जन जागरण अभियान है , जिसके लिए समस्त आम जनमानस से अपील की जा रही है की आप अपने- अपने क्षेत्र में गौ माता की रक्षा एवं संवर्धन का कार्य सेवा भाव से कर पुण्य के भागी बने तथा किसी भी स्थिति एवं परस्थिति में गौ माता को जगह जगह निराश्रित ना छोड़े । क्योंकि केवल और केवल गौसेवा मात्र में ही समस्त जगत का कल्याण निहित है। समिति ने सभी गौ भक्तों से आग्रह किया कि जो भक्त जन इस पुण्य कार्य में सहभागी बनना चाहते हैं वह जिन जिन शहर या गाँव में रहते हैं वह हमसे संपर्क कर सकते हैं जब समिति की गौ यात्रा उनके गाँव या शहर से गुजरेगी। गढ़वाल मंडल के सभी जनपद क्षेत्रो से चलने वाली है। इसमें हर कोई सम्मिलित हो सकता है।

यात्रा विवरण

प्रथम दिवस :- 21 मार्च तपोवन ऋषिकेश से शुभारंभ, देहरादून क्षेत्र से रात्रि विश्राम लाखामंडल

द्वितीय दिवस:- 22 मार्च लाखामण्डल से होकर दैनिक भ्रमण तथा रात्रि विश्राम उत्तरकाशी जनपद क्षेत्र

तृतीय दिवस :- 23 मार्च उत्तरकाशी से लंबगाँव ,बूढाकेदार मंदिर, रात्रि विश्राम प्रथम केदार बेलेश्वर धाम(टिहरी जनपद) क्षेत्र रात्रि विश्राम कैराराम सोसाइटी

चतुर्थ दिवस :- 24 मार्च प्रथम केदार बेलेश्वर धाम से घनसाली, रुद्रप्रयाग रात्रि विश्राम जोशीमठ।

पंचम दिवस :- 25 मार्च जोशीमठ से , चमोली जनपद क्षेत्र, रुद्रप्रयाग जनपद रात्रि विश्राम कमलेश्वर महादेव मंदिर श्रीनगर

षष्ठम दिवस :- 26 मार्च श्रीनगर से देवप्रयाग, कोटद्वार रात्रि विश्राम हरिद्वार।

सप्तम दिवस :-  हरिद्वार से ऋषिकेश में समापन, भंडारा श्री भरत मंदिर झंडा चौक ऋषिकेश।

उत्तराखंड में श्रीराम गोधाम सेवा समिति ग‌ऊओं के संरक्षण के लिए 21 मार्च से निकालेगी, गौमाता बचाव जन जागरण यात्रा





ऋषिकेश, 20 मार्च  । श्री राम गौधाम सेवा समिति द्वारा गऊओं के ‌‌‌‌‌‌‌‌संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर लक्ष्मण झूला स्थित तपोवन के आनंद धाम से पूरे उत्तराखंड में गौमाता बचाव जन जागरण यात्रा का शुभारंभ संतो के नेतृत्व में21 मार्च से किया जायेगा।

सोमवार को आनंद धाम में पत्रकारों को गौमाता बचाओ जन जागरण यात्रा संस्था के संस्थापक जगदीश भट्ट एवं संरक्षक मोहन काला ने कहा कि हिंदुओं के देश में गायो पर निरंतर अत्याचार किए जा रहे हैं, जिसके कारण भारत में ही गायों की निर्मम तरीके से हत्या कर बूचड़खाने में भेजा जा रहा है ।इतना ही नहीं अपने को सनातन धर्मी कहने वाले लोगों द्वारा भी गौशालाओं के नाम पर चंदा वसूली का गायों का दूध निकालकर सड़कों पर लावारिस के रूप में छोड़ा जा रहा है, जिसके कारण आय दिन गाय चोटिल होकर सड़कों पर तड़प रही है। जिन्हें बचाए जाने के लिए सभी को एकजुट होकर आगे आने की आवश्यकता है।

महामंडलेश्वर कृष्णायन देसी गौशाला के ईश्वरदास ने कहा कि गायों की दुर्दशा के लिए कुछ हद तक सरकार भी दोषी है, जिनके द्वारा गायों के लिए शहरों और कस्बों में कहीं भी गौशाला संरक्षण के लिए गौशालाओं का निर्माण तक नहीं किया गया और ना ही गोचर के लिए भूमि आवंटित की गई है। जिसके कारण गाय भूखी मर रही है, उन्होंने पूरे देश में गो शार्क क्षण के लिए कानून बनाए जाने की मांग भी की महाबलेश्वर स्वामी दयारामदास ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने इस और ध्यान देते हुए राज्य में गो संरक्षण कानून बनाकर इस दिशा में जो‌‌ पहल की है उसका धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उसे और सख्त बनाए जाने की आवश्यकता महसूस की। जिससे उत्तराखंड में गायों की तस्करी पर रोक लगेगी। यह यात्रा 21 मार्च को तपोवन से प्रारंभ होकर देहरादून मंसूरी 22 मार्च को लाखामंडल से होकर नौगांव बड़कोट उत्तरकाशी पहुंचेगी, 23 मार्च को उत्तरकाशी से बूढ़ा केदार चमियाला से केदार बेलेश्वर धाम क्षेत्र के केसवाम सोसाइटी में रुकेगी 24 मार्च को बैलेशवर बाजार से प्रारंभ होकर घनसाली तिलवाडा गोचर कर्णप्रयाग नंदप्रयाग चमोली में राशि विषम जोशीमठ में किया जाएगा 25 मार्च को प्रारंभ होकर चमोली, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर के बाद कमलेश्वर महादेव मंदिर में विश्राम करेगी, 26 मार्च को श्रीनगर से प्रारंभ होकर कोटद्वार में इसके बाद 27 मार्च को हरिद्वार से ऋषिकेश में यात्रा का समापन किया जाएगा ।

इस दौरान मैं रवि प्रपन्नाचार्य, स्वामी आलोक हरि महाराज, स्वामी अखंडानंद ,स्वामी रमेश आनंद ,आचार्य बिजलवाणी, संस्था के अध्यक्ष उषा भट्ट ,उपाध्यक्ष सुरेश कुमार ,सचिव सुमन , मंहत जगदीश प्रसाद ,हर्ष मणि ,उनियाल, योगी दलीप बिष्ट आदि भी उपस्थित थे।

संतों के भेष में घूम रहे अपराधियों की हो पहचान,  अखिल भारतीय संत समिति ने डीजीपी को प्रेषित किया ज्ञापन बाबा के भेष में एक हत्यारा गिरफ्तार होने पर उठी संतो की मांग





ऋषिकेश, 13 मार्च  ।संतों का भेष धारण कर अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के सत्यापन की मांग तीर्थ नगरी में प्रखर रूप से उठने लगी है।इस संदर्भ में अखिल भारतीय संत समिति ने उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक को एक ज्ञापन प्रेषित किया है।

सोमवार को अखिल भारतीय संत समिति ने महामंडलेश्वर दयाराम दास महाराज की नेतृत्व में तीर्थ नगरी मैं साधु संतों के  वेश  में घूम रहे लोगों का सत्यापन कराने के संबंध में थाना मुनिकीरेती लक्ष्मण झूला में जाकर पुलिस महानिदेशक के लिए ज्ञापन प्रेषित किया।

प्रेषित ज्ञापन में अवगत कराया गया कि देवभूमि के स्वर्गाश्रम, मुनि की रेती, तपोवन, ऋषिकेश आदि जगहों पर कुछ बाहरी लोग साधु संत के वेष में घूमकर तीर्थनगरी की छवि को धूमिल कर रहे हैं। यह लोग बांगलादेशी और अन्य देशों से आकर त्रिवेणी घाट समेत गंगा किनारे और तटों पर अपना रेन बसेरा बना रहे हैं।इनके द्वारा पर्यटकों और सैलानियों को स्मैक,चरस आदि की सप्लाई भी की जा रही है।

बताते चलें हाल ही में थाना मुनि की रेती क्षेत्र में हरियाणा निवासी एक फक्कड बाबा ने एक युवक को स्मैक और कुछ पैसे के लिए मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना से तीर्थनगरी का संत समाज आहत है। इससे संत समाज की छवि भी धूमिल हो रही है।

ज्ञापन में बताया गया कि तीर्थनगरी में लाखों की तादाद में देश, विदेश के पर्यटक और सैलानी आते हैं। अप्रैल महीने से चारधाम यात्रा का आगाज होने जा रहा है। साथ ही तीर्थनगरी में जी- 20 के कार्यक्रम भी आयोजित होने हैं। जो सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति दोबारा न हो इसके लिए पुलिस प्रशासन को तीर्थनगर में सत्यापन अभियान चलाकर ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना आवश्यक है। ज्ञापन में कारवाई ना होने पर आंदोलन की चेतावनी भी संत समाज द्वारा दी गई है।

ज्ञापन देने वालों में गोपालiचार्य महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास महाराज  , स्वामी केशव स्वरूप ,ब्रह्मचारी स्वामी चेतन स्वरूप महाराज ,स्वामी आलोक हरि महाराज ,स्वामी प्रमोद दास  महाराज, स्वामी नारायण दास ,साध्वी स्वतंत्रता चैतन्य ,  स्वामी राम पदम दास ,तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज आदि संत उपस्थित थे।

कुंभ क्षेत्र में अवैध मांस मदिरा की हो रही बिक्री के विरोध में 14 मार्च से होगा आंदोलन





ऋषिकेश, 12 मार्च ।अखिल भारतीय संत समिति, विरक्त वैष्णव मण्डल समिति एवं धर्म जागरण समन्वय समिति ने मुनी की रेती तपोवन क्षेत्र में की जा रही मांस मदिरा की बिक्री के विरोध में 14 मार्च से आंदोलन किए जाने का ऐलान किया है।

समिति ने संयुक्त रूप से आयोजित बैठक में निर्णय लिया है कि धार्मिक नगरी कुंभ क्षेत्र राम तपस्थल आश्रम ब्रह्मपुरी ऋषिकेश में, श्री रामलक्ष्मण,भरत,शत्रुघ्न की तपस्थलियों के आस पास बिक रहे  मास-मदिरा की बिक्री को तुरंत नहीं रोका गया तो उनको अनिश्चितकालीन आंदोलन करना पड़ेगा। अखिल भारतीय संत समिति, विरक्त वैष्णव मण्डल समिति एवं धर्म जागरण समन्वय समिति , अखिल भारतीय संत समाज समिति के उपाध्यक्ष महामंडलेश्वर  रामदास महाराज  की अध्यक्षता में कुंभ क्षेत्र में बिक रहे मांस मदिरा के विरोध में आंदोलन की हुंकार भरी जिसकी शुरुआत 14 मार्च (मंगलवार) को नगर पंचायत क्षेत्र तपोवन से आंदोलन की शुरुवात की जाएगी ।

बैठक में सभी के द्वारा सहमति जताई गयी की धार्मिक क्षेत्र में बिक रहे मांस मदिरा एवं शराब बार को बंद करने तक आंदोलन जारी रहेगा, यदि शासन प्रशासन नहीं चेता तो जरूरत पडने पर न्यायालय की शरण भी ली जाएगी,14 मार्च मंगलवार को तपोवन में हनुमान चालीसा पाठ के बाद बैठक स्थल से नगर पंचायत कार्यालय तक जलूस निकला जायेगा, जिसकेेे उपरांत प्रशासनिक अधिकारी को 15 के अंदर मांस मदिरा की दुकानों एवं शराब बार को बंद करने का ज्ञापन सौपा जायेगा, शासन प्रशासन द्वारा उचित कार्रवाई ना होने पर समस्त संत समाज एवं स्थानीय नागरिक आंदोलन करने को विवश होगा।

35 वें अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का 4 दिवस ध्यान, योग, जप, वैदिक ज्ञान, आयुर्वेद और संगीत में डूबे विश्व के 90 देशों के 1500 से अधिक प्रतिभागी कर रहे प्रतिभाग इजराइल संगीतज्ञ गिल रान सामा के संगीत ने मचायी धूम





ऋषिकेश, 11 मार्च। परमार्थ निकेतन में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के 4 दिन 90 से अधिक देशों के 1500 से अधिक प्रतिभागी योग, ध्यान, प्राणायाम, आयुर्वेद, संगीत, भारतीय दर्शन व जीवन विधाओं को आत्मसात कर रहे हैं। सायंकाल परमार्थ निकेतन गंगा तट होने वाली दिव्य गंगा आरती सभी के लिये एक दिव्य आकर्षण का केन्द्र है। यहां पर योग जिज्ञासु योग की प्राचीन विधाओं के साथ भारतीय दर्शन और जीवन पद्धति, भारतीय भोजन और चितंन को भी आत्मसात कर रहे हंै।

इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि योग हमारे ऋषियों की सदियों की तपस्या का सुखद परिणाम है। योग हमारी विरासत है जो पूरे विश्व के लिये अमूल्य उपहार है। योग ना केवल शारीरिक स्तर पर बल्कि मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी हमें मजबूत करता है, इसलिये आईये करें योग और रहें निरोग।

केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, आयुष मंत्रालय और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय भारत सरकार  सर्बानंद सोनोवाल ने आज प्रातःकाल यज्ञ के पश्चात स्वामी जी का आशीर्वाद लेकर परमार्थ निकेतन के विदायी ली।

 मंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि परमार्थ निकेतन आकर देखा कि पूरे विश्व के योग साधक एक साथ आकर एकता के साथ समर्पित भाव से योग कर रहे हैं। यहां के दृश्य को देखकर मैं चकित हो गया। वास्तव में परमार्थ निकेतन योग के क्षेत्र में अद्भुत कार्य कर रहा है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती के मार्गदर्शन में योग की व्यापकता के लिये विलक्षण कार्य सम्पन्न हो रहे हैं। यज्ञ में सहभाग कर जीवन की धन्यता और पूर्णता का अनुभव हुआ। यहां का स्वर्गतुल्य वातावरण दिल और आत्मा को स्पर्श करने लेने वाला है।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि पूर्ण स्वास्थ्य का तात्पर्य यह नहीं है कि हमें बुखार, वायरस, बैक्टीरिया या अन्य किसी प्रकार का संक्रमण नहीं है अर्थात हम पूर्ण स्वस्थ है। स्वास्थ्य अर्थात् पूर्णता का अनुभव से है।
तनाव में रहने से हमारे शरीर, हमारे दिमाग और हमारे दिल को नुकसान पहुंचाता हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय ‘योग’ स्टूडियों में किये जाने वाले आसनों तक सीमित नहीं है बल्कि ऋषियों ने अपनी साधना से परिष्कृत कर एक समग्र जीवन पद्धति का निर्माण किया है। पंतजलि योग सूत्र में यम, नियम, आहार और विहार का उत्कृष्ट वर्णन किया गया है कि हमारा भोजन, निद्रा, जागना और हमारी चिंतनशैली कैसी हो, अर्थात् योग दो या चार घन्टों का अभ्यास नहीं बल्कि पूरी जीवनप्रणाली है।
रेवरेंड माइकल बेकविथ ने कहा कि ‘प्रार्थना में अद्भुत शक्ति होती हैं, प्रार्थना के माध्यम से हम स्वयं पर पूर्ण विश्वास कर सकते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में हम योग के माध्यम से परमात्मा की उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं। योग के माध्यम से हम तनाव को दूर कर खुद को तनावमुक्त रख सकते हैं। आप सभी अपने इस रूपांतरित रूप के साथ घर वापस जायें।
डॉ. राघवन रमनकुट्टी ने कहा कि आयुर्वेद प्राचीन हीलिंग तकनीक है। आयुर्वेद, वेद से आया है। वेद, धर्म और ज्ञान का मूल है, वेद रूट आॅफ नालेज़ है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद किसी प्रयोगशाला से नहीं आया है बल्कि उसका स्रोत वेद है।
डा स्मिता ने कहा कि हमारा शरीर हमारा घर है इसलिये इसे स्वच्छ और सुन्दर रखना जरूरी है। शरीर की स्वच्छता के लिये डिटाॅक्स और सुन्दरता के लिये रसायन प्रोग्राम अत्यंत आवश्यक है।
अबुएलो एंटोनियो ओक्स्टे ने कहा कि जिस प्रकार हम प्रतिदिन सूर्योदय के समय नया सूर्य देखते है उसी तरह, हम भी हर दिन नए होते हैं। जब पक्षी सुबह सूरज की पहली किरण महसूस करते हैं तो वे कृतज्ञता में गाना शुरू कर देते हैं उसी प्रकार जब हम उठते हैं, तो हमारा पहला विचार ‘‘धन्यवाद’’ का होना चाहिए। हमें अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों के साथ सुसंगत होने की आवश्यकता है।
प्रातःकाल 4ः30 बजे कैलिफोर्निया से आये कुंडलिनी योग विशेषज्ञ गुरुशब्द सिंह खालसा द्वारा कुंडलिनी साधना और नाद योग से आज के दिन की शुरूआत हुई। अष्टांग योग के गुरु संदीप देसाई और रेडियंट बॉडी योगा के संस्थापक ताई ची, प्रसिद्ध योगाचार्य किआ मिलर द्वारा फुल माइंड, बॉडी, एनर्जी एक्टिवेशन, परमार्थ निकेतन की वरिष्ठ योगाचार्य गंगा नंदिनी द्वारा शरीर के प्रति जागरूकता सत्र, जापान योग शिक्षक गुमी और अरिंदम ने सूर्योदय नाद योग का अभ्यास कराया।
चेन्नई योग स्टूडियो के संस्थापक रोहिणी मनोहर ने वर्तमान क्षण में सहजता से जीने, प्रसिद्ध योगाचार्य एरिका कॉफमैन पेन्सिलवेनिया, यूएसए ने आनंद और सहजता की विस्तृत अनुभूति के लिए अवेकनिंग लव टू शेयर एंड फील नामक लीला योग विन्यास का अभ्यास कराया। स्टीवर्ट गिलक्रिस्ट ने प्रतिभागियों को सकारात्मक ऊर्जा और प्रेम की शक्ति के साथ सचेत जीवन जीने हेतु योग साधना, बीकेएस अयंगर की शिक्षाओं और पतंजलि के शास्त्रीय योग और मैसूर के टी. कृष्णमचार्य की विन्यसा प्रणाली के दर्शन के आधार पर ‘योग वृक्ष’ – द ट्रंक ऑफ नियामा का आयोजन किया। रिकवरी 2.0 के संस्थापक टॉमी रोसेन द्वारा शांतिपूर्ण क्रिया, प्राण, ध्यान द कीज टू द किंगडम, ‘कैलिबर ऑफ लाइफ’ शीर्षक सत्र यूएसए की गुरुमुख कौर खालसा द्वारा संचालित किया गया।
अंतरराष्ट्रीय कीर्तन-गायक विश्वंभर शेठ, ने प्रतिभागियों को कीर्तन की कला और तकनीक बतायी। डॉ. राघवन रामनकुट्टी और श्रीमती शारदा राघवन ने सात्विक और सुव्यवस्थित भोजन का महत्व बताया। वर्तमान में हो रही बीमारियों का प्रमुख कारण हमारा भोजन और उसे ग्रहण करने का तरीके पर निर्भर करता है। आयुर्वेद में स्वस्थ भोजन का ज्ञान समाहित है जिसके माध्यम से जीवन का कायाकल्प किया जा सकता है।
बीकेएस अयंगर के विद्वान और चीन में योगिक योग के सह-संस्थापक और निदेशक मोहन भंडारी द्वारा रीढ़ की समस्याओं, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, स्लिप्ड डिस्क और स्कोलियोसिस पर एक योग चिकित्सा का अभ्यास कराया गया।
मारिया एलेजांद्रा अवचारियन, एक आयुर्वेदिक मेडिसिन थेरेपिस्ट, उन्होंने आहार, मंत्र, ध्यान और योग का जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव, मन में पांच तत्व का प्रभाव, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के संवर्द्धन के विषय में जानकारी दी। लंदन की एंड्रिया कैरानी ने ध्यान का अभ्यास कराया।
हठ योग, ध्यान, ज्योतिष, आयुर्वेद, वास्तु, संस्कृत, वेद और वेदांत के विद्वान स्वामी स्वत्वानंद ने ‘आयुर्वेद – मानव और पर्यावरण के बीच हार्मोनिक संतुलन’ सत्र के दौरान मानव और पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिये हार्मोनिक संतुलन पर चर्चा की। . क्लासिकल ऑस्टियोपैथ चिकित्सक और साउंड प्रैक्टिशनर जोसेफ श्मिडलिन ने थेराप्यूटिक साउंड बाथ का अभ्यास कराया।
डॉ. स्मिता महिला उद्यमी और आयुशक्ति की सह-संस्थापक द्वारा ‘डिटॉक्स एंड रिन्यू – सीक्रेट्स टू एंटी एजिंग’ डिटॉक्स के शक्तिशाली सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्रदान की। साथ ही उन्होंने बताया कि बढ़ती उम्र में त्वचा का ख्याल कैसे रखे इस पर भी चर्चा की।
लाइफस्टाइल मेडिसिन मास्टर एंड्रिया पेगे ने हैक फ्लेक्सिबिलिटी और मास्टर फिजिकल पोस्चर का अभ्यास कराया।
गुरनिमित सिंह द्वारा गुरबानी कीर्तन समारोह के माध्यम से विविधता में एकता का संदेश देते हुये कीर्तन की उत्कृष्ट प्रस्तुति दी। विख्यात संगीतज्ञ गिल रॉन शमा द्वारा मंत्र मुग्ध कर देनेवाला संगीत प्रस्तुत किया गया। संगीत के माध्यम से वैश्विक शान्ति, विविधता में एकता, वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश लिये योगी प्रतिदिन एक-एक क्षण को आत्मसात कर रहे हैं।

परमार्थ निकेतन में ‌‌अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव – 2023 का शुभारंभ , राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रि)  गुरमीत सिंह करेंगें  15 सो ‌‌‌‌ से अधिक योग जिज्ञासुओं, प्रतिभागियों और 25 से अधिक देशों से 75 से अधिक योग प्रशिक्षक सहभाग कर रहे  हम होली के अवसर पर योग के हो-ले, प्रभु और स्व से जोड़ता है योग -स्वामी चिदानन्द सरस्वती





ऋषिकेश, 07 मार्च ।  परमार्थ निकेतन में 35 वें अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारंभ बुधवार की सुबह प्रदेश के राज्यपाल पूर्व लेफ्टिनेंट गुरमीत सिंह करेंगे। जिसमें विश्व के 90 देशों से लगभग 50 विदेशी 25 से अधिक देशों से 75 योगाचार्य अपनी उत्कृष्ट विधाओं के साथ अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में प्रशिक्षण देंगे। यह जानकारी मंगलवार को ‌परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती  और अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक डा साध्वी भगवती सरस्वती  ने  पत्रकारों को देते हुए  बताया कि  अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश द्वारा अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोेत्सव की शुरूआत औपचारिक रूप से ‌विश्व शान्ति यज्ञ के साथ हुयी जिसमें सभी आगंतुकों का स्वागत किया गया।

इस अवसर पर साध्वी भगवती सरस्वती  ने बताया कि आज सेे कई  वर्ष ‌पूर्व 16 से 18 प्रतिभागियों के साथ योग की इस यात्रा की शुरूआत हुयी थी‌,जो आज एक वटवृक्ष की तरह विशाल हो गया है और पूरे विश्व को योगमय करने के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने जानकारी दी कि इस वर्ष अब तक 88 देशों से लगभग एक हजार प्रतिभागियों ने पंजीकरण कर लिया है ,तथा 25 से अधिक देशों से 75 योगाचार्य अपनी उत्कृष्ट विधाओं के साथ अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सहभाग कर रहे हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि योग खुद से जुड़ने की यात्रा है, और यही संदेश हमारे पर्व और त्यौहार भी हमें देते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के माध्यम से वैश्विक स्तर तक भारत की अमूल्य धरोहर योग, अतुलनीय संस्कृति, वसुधैव कुटुम्बकम् का मंत्र और विविधता में एकता की संस्कृति को पहंुचाने का प्रयास करते हैं उसमें मीडिया की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के माध्यम से हम भारत में पूरे विश्व का दर्शन करते हैं तथा पूरा विश्व माँ गंगा के इस पावन तट पर पूरे भारत को देखता हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व के अनेक देशों से सेवा देने आये साधकों को स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने संदेश दिया कि यह योग महोत्सव खुद को संवारने, तराशने और तलाशने का है। आप सभी प्रभु के यंत्र के रूप में अपनी सेवायें प्रदान करें। मैट पर योग करने के साथ ही आपस में भी योग (मेलजोल) करें यही वास्तव में योग है। यह अन्तर्राष्ट्रीय फेस्टिवल के साथ अन्तर (आत्मा) का भी पर्व है।

विशेष योगाभ्यास में – प्रातः 4ः30 बजे से रात 9ः30 बजे तक होगी, जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, आयंगार योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, गंगा योग, ध्यान, मुद्रा, वैदिक मंत्र, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी, लीला योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सेमैटिक योग, डीप योग, नाड़ी योग एवं भारतीय दर्शन, डाॅस आफ प्राण, द रूट आफ यम, योग राग, सूर्योदय नाद, श्रीकृष्ण बांसुरी राग, कास्मिक हार्ट, की भी कक्षायें सम्पन्न होगी। देश-विदेश से आये हुये आध्यात्मिक महापुरूषों, धर्मगुरूओं, विशेषज्ञों, राजनेताओं द्वारा धार्मिक सवांद, जिज्ञासा समाधान एवं प्रश्नोत्तरी का भी विशेष आयोजन इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में होगा।

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के माध्यम से वैश्विक स्तर पर भारत की संस्कृति, दर्शन, समृद्ध विरासत, धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने हेतु विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है।

भारत, अफगानिस्तान, अल्बानिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बोस्निया और हर्जेगोविना, बोत्सवाना, ब्राज़ील, बुल्गारिया, कंबोडिया, कनाडा, चाड, चीन, कोलंबिया, क्रोशिया, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, यूरोपीय संघ ईयू, फॉकलैंड, आइलैंड, फिनलैंड, फ्रांस, गैबॉन, जॉर्जिया, जर्मनी, घाना, यूनान, हांगकांग, आइसलैंड, इंडोनेशिया, आयरलैंड, इजराइल, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, कुवैत, लाओस, लिथुआनिया, मलेशिया, माली, माल्टा, मॉरीशस, मेक्सिको, मंगोलिया, मोंटेनेग्रो, मोरक्को, मोजाम्बिक, नामिबिया, नेपाल, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नाइजीरिया, नॉर्वे, ओमान, पेरू, पुर्तगाल, रोमानिया, रूस, सिंगापुर, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, श्रीलंका, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, ताजिकिस्तान, तंजानिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, यूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, उरुग्वे, उज्वेकिस्तान, वेनेजुएला, वियतनाम आदि अन्य अनेक देशों के 15 सो ‌‌‌‌ से अधिक योग जिज्ञासुओं, प्रतिभागियों और 25 से अधिक देशों से 75 से अधिक योग प्रशिक्षक सहभाग कर रहे हैं।

चार धाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत ने   सरकार के यात्रा काल में यात्रियों की संख्या घटाए जाने के  निर्णय का किया विरोध





ऋषिकेश, 21 फरवरी । चार धाम  तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत ने उत्तराखंड सरकार द्वारा यात्रा काल में यात्रियों की संख्या को सीमित के जाने का विरोध करते हुए सरकार से यात्रियों को और अधिक सुविधाएं दिए जाने की मांग की है।

चार धाम तीर्थ पुरोहित हक-हकुक धारी महापंचायत समिति  के महामंत्री हरीश डिमरी का कहना है कि यात्रा काल में यात्रियों की संख्या को सीमित न किया जाए सरकार की हर वर्ष यात्रा में कोई न कोई नई नीति यात्रा करने वालो को यात्रा से वंचित करने की रहती है, इसके साथ ही स्थानीय लोग जो धामों से जुड़े है स्थानीय व्यापारी, हकदार समाज, पंडा पुरोहित व स्थानीय लोगो को पंजीकरण से बाहर रखा जाने के साथ सरकार यात्रियों को भगवान के दर्शन से वंचित करने की कोशिश कर रही है ।

उन्होंने मांग की है कि कालान्तर में भी यात्री बिना पंजीकरण के यात्री भगवान के दर्शन सुलभ व सरल तरीके से करता आया है ,इसलिए सरकार अनावश्यक नियम कानून बनाकर श्रद्धालुओं पर न थोपें। सरकार को चाहिए कि वह यात्रा पर आने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए स्वास्थ्य ,सड़क व अच्छी सुविध करने के साथ जोशीमठ मैं हो रहे भू- धसाव और वहां पर सड़को का चाक चौबन्द के उपर ध्यान दे। जिससे सभी यात्रियों को उचित सुविधा मिल सके।