तीर्थ नगरी ऋषिकेश में गणेश मंदिरों में श्रद्धापूर्वक सिद्धिविनायक गणेश जी की विधि विधान से की मूर्ति स्थापना,महापौर ने शहरवासियों को दी गणेश चतुर्थी पर्व की बधाई



ऋषिकेश, 19 सितम्बर। गणेश चतुर्दशी के अवसर पर तीर्थ नगरी ऋषिकेश के तमाम गणेश मंदिरों के साथ घरों में श्रद्धालुओं‌‌ ने सिध्दीविनायक गणेश जी की विधि विधान से मूर्ति स्थापना की।

मंगलवार को ‌नगर में सार्वजनिक मूर्ति स्थापना दिवस मनीराम मार्ग पर स्थित श्री गणपति सेवा मंडल, श्री गंगेश्वर बजरंग महादेव ,स्वामी जगन्नाथ मंदिर, मां जानकी रसोई ,जय गुरुजी संगत और श्री खाटू श्याम मंदिर न्यास ऋषिकेश के सहयोग से आयोजित किया‌ गया ।

गणेश चतुर्थी पर्व पर  मेयर अनिता ममगाईं ने नगर वासियों को गणेश चतुर्थी की बधाई दी है।देशभर के साथ देवभूमि में भी रिद्धि-सिद्धि के दाता श्रीगणेश मंगलवार को घर-घर विराजे। तीर्थनगरी में मेयर अनिता ममगाई ने आर्दश ग्राम पुष्कर मंदिर में एवं श्री गणपति सेवा मंडल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शिरकत कर गणपति बप्पा की पूजा अर्चना कर सुख और सृमद्धि की मंगल कामना की। शहर में गणेश उत्सव को लेकर श्रद्धालुओं में  जबरदस्तहर्ष और उल्लास है। भगवान गणेश के जन्म उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेशजी को बुद्धि, समृद्धि, सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह उत्सव दस दिन बाद अनंत चतुर्थी के दिन समाप्त होता है। गणेश चतुर्थी पर्व की बधाई देते हुए महापौर ने कहा कि पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। उन्होंने पर्व पर शहरवासियों के तमाम विघ्न दूर करने और परिवार में सुख सृमद्धि की मंगलवार कामना भी की।उधर श्री गणेश चतुर्थी पर्व के मौके पर श्रद्धालुओं ने घरों में ही भगवान गणपति की प्रतिमा की स्थापना की। श्रद्धालुओं ने आस्था और विश्वास के साथ भगवान गणेश की स्तुति की। बाजारों में भी रौनक देखने को मिली।

वहीं ऋषिकेश लक्ष्मण झूला मार्ग पर स्थित बगलामुखी पीठ में पीठ के संस्थापक स्वामी राहुलेश्वरानंद की अध्यक्षता व आदर्श ग्राम स्थित गणेश मंदिर में भी हर गोपाल अग्रवाल और अशोक अग्रवाल के संचालन में विधि विधान से ‌विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया, श्री गणपति सेवा मंडल महोत्सव 2023 की जानकारी देते हुए आलोक चावला ने बताया कि गणेश उत्सव के दौरान स्वामी जगन्नाथ आश्रम ऋषिकेश के अध्यक्ष मंहत लोकेश दास की अध्यक्षता में मूर्ति स्थापना के पश्चात विनोद राजन द्वारा गणेश जी की वंदना की गई, इस दौरान धीरज चथरज ,कृष्ण चतुर्वेदी बावरे मुंबई द्वारा एक शाम भोले के नाम भी आयोजित की गई ,इसी के साथ कार्यक्रम के दूसरे दिन 20 सितम्बर की सुबह 11:00 बजे गणपति की आरती, मोनू डंग, सतीश पांथरी, हेमंत डंग, राजीव अग्रवाल ,दक्षेस चंदानी, अनिल द्विवेदी ‌ने की।

जिसकी मुख्य अतिथि नगर निगम महापौर अनीता ममगांईं थी। ,अतिरिक्त ज्योति शर्मा, मनीष शर्मा पटियाला की ओर से माता की चौकी आयोजित की जाएगी, 21 सितम्बर को उदित नारायण एवं अनुभव नारायण अनुष्का भटनागर मंदसौर मध्य प्रदेश द्वारा एक शाम खाटू श्याम बाबा के नाम होगी, 22 सितंबर को विजेंद्र शर्मा रोहित राजस्थानी द्वारका दिल्ली द्वारा एक शाम सांईं नाथ बाबा के नाम आयोजित की जाएगी। इसी के साथ अंतिम दिन इस दौरान ईशा नागपाल एवं मास्टर मनोज दिल्ली द्वारा सत्संग एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी।

श्री बदरीनाथ मंदिर में किसी भी तरह की कोई नई दरार और भू-धंसाव को नकारते हुए बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति ने दिया स्पष्टीकरण, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ( एएसआई) की रिपोर्ट का दिया हवाला



देहरादून : 14 सितंबर। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने कहा है श्री बदरीनाथ मंदिर के सिंह द्वार में कोई नयी दरार नहीं देखी गयी है और नहीं बदरीनाथ मंदिर क्षेत्र में भू-धंसाव हो रहा है।

बीकेटीसी ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ( एएसआई) द्वारा बदरीनाथ मंदिर के सिंह द्वार में पहले से आयी हल्की दरारों का मरम्मत कार्य चल रहा है। वर्तमान में कोई भी नयी दरार नहीं दिखी है।

उल्लेखनीय है कि श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने वर्ष 2022 में शासन को पत्र लिखकर बदरीनाथ मंदिर के सिंह द्वार पर आयी हल्की दरारों के विषय में अवगत कराया था। तत्पश्चात शासन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ( एएसआई) को इस इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा। इस क्रम में जुलाई 2022 में एएसआई ने मरम्मत की कार्य योजना तैयार की थी।

अक्टूबर 2022 को एएसआई ने सिंह द्वार की दरारों पर ग्लास टायल्स (शीशे की स्केलनुमा पत्तियां) फिक्स कर दी थीं, जिससे यह पता लग सके की दरारें कितनी चौड़ी हुई हैं। 09 अगस्त, 2023 को ग्लास टायल्स के अध्ययन के बाद एएसआई ने ट्रीटमेंट कार्य शुरू किया था। तब दरारों में कोई खास बदलाव नहीं आंका गया।

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि सिंह द्वार के ट्रीटमेंट कार्य के अंतर्गत पहले चरण में सिंह द्वार के दायीं ओर ट्रीटमेंट कार्य किया जा चुका है। अब बायीं ओर की दरारों पर ट्रीटमेंट प्रस्तावित है। इस तरह स्पष्ट है कि सिंह द्वार पर दरारें बहुत पहले से हैं, जिसका ट्रीटमेंट कार्य किया जा रहा है।

 

भाई बहनो का पवित्र रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल होने से असमंजसता को करे दूर, जानिए सही समय वा सही मूहर्त। जानिए वैदिक ब्राह्मण महासभा ऋषिकेश की रक्षाबंधन सूत्र को लेकर हुई बैठक में क्या निकला निष्कर्ष



ऋषिकेश, 25 अगस्त । भाई बहनो का पवित्र रक्षाबंधन एवम सनातन उपाकर्म 30अगस्त की रात्रि में 9 बजकर 06 मिनट के बाद ही करना ही उचित है।

यह विचार पवित्र रक्षाबंधन एव सनातन के पवित्र त्यौहार उपाकर्म को लेकर वैदिक ब्राह्मण महासभा (पंजी) ऋषिकेश उत्तराखंड की बैठक महासभा के कार्यालय जनार्दन आश्रम दंडीवाड़ा मायाकुंड ऋषिकेश में सम्पन हुई,बैठक में आगामी सनातन के पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन एवम् उपाकर्म पर चर्चा की गई,बैठक की अध्यक्षता करते हुए ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष मणिराम पैन्यूली ने कहा की इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल होने से लोग असमंजस की स्थिति में हैं।

उन्होंने कहा की 30 अगस्त को सुबह 10 बज के 59 मिनट से पूर्णिमा तिथि आरंभ हो रही है, और उसी समय भद्रा भी आरंभ हो कर रात्रि 9 बजकर 05 मिन्ट तक रहेगी,और अगले दिन पूर्णिमा तिथि प्रातः काल केवल 7 बजकर 06 मिन्ट तक ही है,शास्त्रों में अनेक प्रकार के कथन,उपाय, समधान हैं किंतु शास्त्रों का भलीभांति अध्ययन करने के बाद ब्राह्मण महासभा ऋषिकेश इस निर्णय पर पहुंची है,की भद्रा काल में रक्षाबंधन करना निषेध रहेगा,इसलिए रक्षा बंधन रात्रि में 9 बजकर 06 मिनट के बाद ही करना उचित है,अगर किसी कारण से रात्रि में कोई रक्षाबंधन न कर पाए तो 31 अगस्त सूर्योदय से प्रातः 07 कर 05 मिन्ट तक भी किया जा सकता है,तथा उपाकर्म 30 अगस्त को मध्यान के बाद करना उचित होगा।

बैठक में महासभा के महामंत्री महेश चमोली, उपाध्यक्ष जगमोहन मिश्रा प्रवक्ता डा0 जनार्दन प्रसाद कैरवान, कोषाध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल,सुभाष डोभाल आदि उपस्थित थे।

श्री रामायण प्रचार समिति द्वारा आयोजित राम कथा का पंचम दिवस,भगवान राम तथा भरत के आदर्श को यदि समाज अपना दे तो छोटे-बड़े का भेद स्वयं ही मिट जाएगा: स्वामी कृष्णाचार्य



ऋषिकेश 20 अगस्त। श्री रामायण प्रचार समिति द्वारा आयोजित कथा के संतम दिवस पर तुलसी मानस मंदिर में तुलसीदास की जयंती पर आयोजित महोत्सव में राम कथा मर्मज्ञ जगतगुरु उत्तराखंड पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णाचार्य महाराज ने कहा कि आज समाज में कैकई के क्रोध और मंथरा के लोभ का अनुसरण तो हो रहा है मगर राम और भरत के आदर्श को कोई नहीं अपना रहा है उन्होंने कहां की यदि भगवान राम तथा भरत के आदर्श को कोई समाज अपना दे तो छोटे-बड़े का भेद स्वयं ही मिट जाएगा।

तुलसी मानस मंदिर में गोस्वामी तुलसीदास की जयंती महोत्सव के तहत श्री रामायण प्रचार समिति द्वारा आयोजित रामकथा के पंचम दिन कथा मर्मज्ञ कृष्णाचार्य महाराज ने भगवान राम की लीलाओं का सुंदर वर्णन किया उन्होंने कहा कि आज समाज भगवान राम को तो मानता है मगर उनके द्वारा स्थापित परंपराओं से कन्नी काट रहा है जबकि आज भरत जैसे संतों की जरूरत है जब तक हम लोभ अंहकार व क्रोध का त्याग नहीं करते थे तब तक रामराज की कल्पना साकार नहीं हो सकती।

तीज के पावन कार्यक्रमों में राधा माधव संकीर्तन मंडल द्वारा राधा कृष्ण व भगवान राम के भजनों का गुणगान किया जाएगा।

इस अवसर पर आचार्य पंडित वेद प्रकाश मिश्रा आचार्य सतीश घड़ियाल कार्यक्रम के संयोजक महंत रवि प्रपन्नाचार्य ,चंद्र प्रकाश, इच्छु पुनियानी, अशोक कुमार अरोड़ा, श्याम अरोड़ा, तनुज अरोड़ा, अभिषेक शर्मा, राजीव लोचन ,नीलकमल अरोड़ा, मधुसूदन शर्मा, राम अवतार रसिक ,अनुज उनियाल ,इंदु उनियाल, राजीव मोहन, मनमोहन शर्मा ,अशोक अग्रवाल, इंद्रमोहन पाहवा ,राघवेंद्र मोहन, अमिताभ थपलियाल ,पवन शर्मा, पंकज शर्मा, कपिल गुप्ता आदि उपस्थित थे

प्रसिद्ध सुपरस्टार फिल्म अभिनेता रजनीकांत पहुंचे भगवान बदरीविशाल के दर्शन हेतू श्री बदरीनाथ धाम



ऋषिकेश/श्री बदरीनाथ धाम/ गोपेश्वर 12 अगस्त। प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता रजनीकांत ने आज देर शाम भगवान बदरीविशाल के दर्शन किये।

इस अवसर पर श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से उनका स्वागत किया गया तथा भगवान बदरीविशाल का प्रसाद एवं तुलसी माला भेंट की।

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया की जाने-माने फिल्म अभिनेता रजनीकांत दयानंद आश्रम ऋषिकेश से आज शनिवार को बदरीनाथ धाम पहुंचे तथा शायंकाल को भगवान बदरीविशाल के दर्शन किये।

उन्होंने भगवान बदरीविशाल की शायंकालीन पूजा -स्वर्ण आरती में भी शामिल हुए। मंदिर दर्शन के पश्चात फिल्म अभिनेता बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी से भी मिले।फिल्म अभिनेता ने कहा कि बदरीनाथ धाम के दर्शन से वह अभिभूत है भगवान से जन कल्याण तथा देश के सुख समृद्धि की कामना करते है। और आज वह बदरीनाथ में ही प्रवास करेंगे।

इस अवसर पर धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, सहायक अभियंता गिरीश देवली, मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, वेदपाठी रविन्द्र भट्ठ, नायब रावल अमरनाथ नंबूदरी, ईओ नगर पंचायत सुनील पुरोहित थाना प्रभारी केसी भट्ट, नोडल अधिकारी विवेक थपलियाल, प्रबंधक अजय सती विकास सनवाल आदि मौजूद रहे।

तीर्थ नगरी से सटे क्षेत्र में हिंदू घर के अंदर बनी मजार की सूचना पर हिंदू संगठनों के लोगो में रोष, घर के बहार नारेबाजी कर किया विरोध -पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मकान में बनी, तुड़वाई मजार



ऋषिकेश, 0 9 अगस्त‌ । ऋषिकेश से सटे मुनि की रेती थाना क्षेत्र  अंतर्गत लक्ष्मण झूला तपोवन स्थित गुलाब नगर में एक घर के अंदर बनी‌ मजार होने की सूचना पर हिंदू संगठनों के लोगों में रोग उत्पन्न हो गया जिसके चलते वहां काफी मात्रा में एकत्रित ‌‌‌‌हुई लोगों की भीड़ ने घर के बाहर जमकर नारेबाजी करते हुए अपना विरोध करना शुरू कर दिया।

सूचना मिलते ही मुनी की रेती थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की गंभीरता को देखते हुए मकान के अंदर बनी मजार को तोड़ दिया। वही मकान मालिक को चेतावनी दी कि दोबारा यदि ऐसी हरकत करके माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

थाना मुनिकीरेती प्रभारी रितेश शाह ने बताया कि विगत 10 -15 वर्षों से सुरेंद्र सिंह कुशवाह नाम का व्यक्ति उत्तर प्रदेश के (गया) से आकर यहां सब्जी बेचने का कार्य करता है, और उसने अपना यहां मकान भी बना लिया है। जिसने पूछताछ में बताया कि किसी संत द्वारा उसे बताया गया था, कि वह अपने घर में पीर बाबा की मजार स्थापित कर उनकी पूजा करेंगे। तो उसके घर में सुख शांति बनी रहेगी, और उसकी सारी समस्या भी दूर होगी ।इसी को लेकर उनके द्वारा अपने घर में मजार बनाकर उसकी पूजा की जा रही थी। इसका मकसद ‌किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है।

लोगों की भीड़ एकत्रित होने के बाद पुलिस ने अपनी मौजूदगी में उक्त मजार को तुड़वा दिया जिसके बाद लोग शांत हुए। पुलिस ने मजाक बनाने वाले व्यक्ति को इस प्रकार की हरकत भविष्य में ना किए जाने की चेतावनी भी दी है।

कांवड़ मेले की सुरक्षा को लेकर मुनी की रेती पुलिस ने चप्पे-चप्पे पर चलाया सघन चेकिंग अभियान,  



ऋषिकेश 6 जुलाई। कांवड़ मेले में नीलकंठ महादेव के दर्शनों को आ रहे कावड़ियों और यात्रियों की सुरक्षा को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनपद टिहरी गढ़वाल नवनीत भुल्लर के निर्देशानुसार आज मुनी की रेती पुलिस द्वारा सघन चेकिंग अभियान चलाया गया।

कांवड़ मेला की सुरक्षा को लेकर  वीरेन्द्र दत्त ढोबाल अपर पुलिस अधीक्षक टिहरी गढ़वाल एवम रवींद्र कुमार चमोली क्षेत्राधिकारी नरेन्द्र नगर के निर्देशन में  प्रभारी निरीक्षक मुनि की रेती रितेश शाह द्वारा  बम डिस्पोजल स्क्वाड, डॉग स्क्वायड, क्यू आर टी,जल पुलिस, टीम के साथ जानकी पुल, आस्था पथ, कैलाश गेट पार्किंग, चंद्रभागा पार्किंग में विशेष चेकिंग आभियान चलाया गया। एवम ड्यूटी में लगे पुलिस बल को आवश्यक निर्देश दिए गए।

करोड़ों शिव भक्तों की आस्था के प्रतीक कावड़ मेले का पुलिस प्रशासन की चाक चौबंद के बीच हुआ शुभारंभ, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्वेता चौबे ने संभाला मोर्चा, तीर्थ नगरी ऋषिकेश गुलजार हो उठा शिव भक्तों से



ऋषिकेश,04 जुलाई। करोड़ों शिवभक्तों की आस्था के प्रतीक कांवड मेले का शुभारंभ हो गया।शिव की आराधना के सावन मास के पहले दिन एक लाख से ज्यादा शिवभक्तों ने मणिकूट पर्वत स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया।

मंगलवार से सावन मास के कांवड़ मेले का विधिवत आगाज हो गया।शिवधाम नीलकंठ महादेव मंदिर में मेले के प्रथम दिन ही शिवभक्तों का हजूम उमड़ पड़ा।कांवड़ मेला आस्था और विश्वास का ऐसा पर्व है, जिसमें रंगने को हर कोई आतुर रहता है। यही वजह है कि यात्रा की शुरुआत में ही शिवभक्तों की जबरदस्त भीड़ आज तीर्थ नगरी से नीलकंठ की और हर हर महादेव के उद्वोषों से दिनभर पग भरती नजर आई।शिवधाम जाने वाले समस्त मार्ग शिवभक्तों से गुलजार रहे।

बम-बम भोले के जयकारों के बीच श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे थे। यात्रा में आस्था के अनोखे रंग नजर आ रहे हैं।उत्तराखंड में पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में सावन मास शुरू हो चुका है। मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा सच्चे मन से करता है उसकी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती है। इसके साथ ही कन्याओं को सुयोग्य वर प्राप्ति का भी आशीर्वाद मिलने की मान्यता है।

इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की शुरुआत उनके अभिषेक के साथ होती है।सावन के कांवड़ मेले के लिए शिवधाम नीलकंठ महादेव मंदिर को खासतौर पर सजाया गया है।जनपद पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर प्रखंड के अंतर्गत मणिकूट पर्वत की तलहटी पर स्थित पौराणिक नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए बड़ी संख्या में शिव भक्त पहुंचे। पुलिस कंट्रोल रूम जनपद पौड़ी गढ़वाल के मुताबिक सोमवार की देर रात तक हजारो श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करने को पहुंचे।

व्यवस्थाओं पर नजर रखने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी गढ़वाल श्वेता चौबे ने यही कैंप किया।इस वर्ष प्रदेश पुलिस प्रशासन को यहां भारी भीड़ के आने की सूचना मिल रही थी। यही कारण है कि राज्य पुलिस प्रशासन से जुड़े बड़े अधिकारी पिछले एक सप्ताह के भीतर कई बार यहां पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा ले चुके हैं।

इस वर्ष कांवड़ यात्रा में भारी भीड़ आने की संभावना को देखते हुए समूचे नीलकंठ मेला क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात किया गया है। बम निरोधक दस्ता, स्वान दल सहित खुफिया विभाग की टीम निरंतर क्षेत्र में सक्रिय है। जलाभिषेक के वक्त किसी को भी ज्यादा समय रुकने की इजाजत नहीं है, क्योंकि यहां पर भीड़ का दबाव बनने की पूरी संभावना बनी हुई थी। महादेव के दरबार में जल स्पर्श कराने के बाद श्रद्धालु जल पात्र को मंदिर परिसर में ही छिड़क रहे हैं।

श्रावण मास के पहले दिन शिव भक्तों ने नीलकंठ में विधि विधान से आरती कर मनोकामना सिद्धि के लिए किया जलाभिषेक इस बार अधिमास होने से रहेगा, 59 दिन का श्रावण- भूपेंद्र गिरि



ऋषिकेश,04 जुलाई । नीलकंठ महादेव में मंदिर में श्रावण मास के पहले दिन लगभग शिव भक्तों ने भगवान नीलकंठ महादेव की विधि विधान से आरती कर मनोकामना सिद्धि के लिए जलाभिषेक किया।

इस दौरान भक्तों ने नीलकंठ महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक और भस्म आरती भी की । जिसमें मंदिर के पुजारियों द्वारा बाबा नीलकंठ को दूध दही का अभिषेक किया गया। वही बाबा नीलकंठ महादेव का भव्य श्रृंगार भी किया गया था, इसके बाद अखाड़े के गादीपति शिवानंद गिरी महाराज द्वारा भगवान को भस्मी अर्पित की गई। इसके बाद बाबा की आरती प्रारंभ हुई जिसे देख श्रद्धालु अभिभूत हो गए। यह पूरा सिलसिला अब दो महीने तक लगातार चलता रहेगा, और बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा नीलकंठ महादेव के दर्शन के लिए हर हर महादेव के उद्घोष के साथ पहुंचने शुरू हो गए हैं।

इस दौरान षड दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय रक्षा समिति के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा भूपेंद्र गिरी ने कहा कि भगवान शिव पार्वती और वेद व्यास जी के परम प्रिय शिष्य शुद्ध जी को कहते हैं, कि सावन मास मेरे को इसलिए प्रिय है, कि जब समुद्र मंथन में कालकूट विष पीने की वजह से भगवान शिव की जो उछलता बढ़ गई थी। उनकी शीतलता और शांति के लिए देवा दी देव महादेव के सभी कार्यों को सम्पन्न करवाने के लिए ब्रह्मा जी के द्वारा विष्णु भगवान के लिए जलाअभिषेक किया गया था। वह सावन मास में किया गया था, इसी के साथ सती के सती होने के बाद पार्वती जी का जब अवतरण हुआ तो सती ने पार्वती जी से भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इसी सावन मास में निर्जल रहकर भगवान शिव की आराधना की थी , और भगवान के रुद्राभिषेक से भगवान को प्रसन्न किया था। उसी के पश्चात भगवान शिव ने पार्वती जी से पानी ग्रहण किया, इसलिए भगवान शिव कहते हैं कि यह सावन मेरे को बहुत प्रिय है। भगवान विष्णु एकादशी से देव उठानी एकादशी तक जप करते हैं। आलोक में तो उनके पालन का जो पोषण का जो कार्यभार है, वह भी भगवान शिव पर है। जो कि 2 महीने का रहता है। जिसके कारण यह अधि मास कहलाता है, जिसकी वजह से भक्तों को भगवान शिव का पूजन अभिषेक करने का और मौका मिलेगा।

ऋषिकेश के आश्रमों मे गुरु पूर्णिमा पर भक्तों ने अपने गुरुओ का किया पूजन , -गुरु दीक्षा लिए जाने के साथ अपने गुरुओं के प्रति की श्रद्धा व्यक्त



ऋषिकेश, 03 जुलाई । ऋषि मुनियों की तपस्थली ऋषिकेश के आश्रमों में गुरु पूर्णिमा के अवसर देश-विदेश के विभिन्न स्थानों से आए भक्तों ने अपने गुरु का विधि विधान से पूजन कर गुरु दीक्षा लिए जाने के साथ पर अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा व्यक्त की । भक्तों द्वारा अपने गुरुओं की पूजा किए जाने के लिए 1 दिन पहले ही ऋषिकेश आना प्रारंभ हो गया था जिन्होंने सुबह से ही गुरुओं का पूजन किया ।

इस दौरान श्री जयराम आश्रम, मायाकुंड स्थित भगवान गिरी आश्रम, कृष्ण कुंज आश्रम ,जनार्दन आश्रम ,तारा माता मंदिर, गीता आश्रम, जगन्नाथ आश्रम और भगवान आश्रम में धूमधाम के साथ अपने गुरुओं की पूजा अर्चना की गई ।

इस दौरान मायाकुंड स्थित भगवान गिरी आश्रम के पीठाधीश्वर भूपेंद्र गिरी ने कहा कि आषाढ़ माह के दिन ही महर्षि वेद व्यास ने अपने शिष्यों और ऋषि-मुनियों को श्री भागवत पुराण का ज्ञान दिया. तब से महर्षि वेद व्यास के 5 शिष्यों ने इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाने और इस दिन गुरु पूजन करने की परंपरा की शुरुआत की। इसके बाद से हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाने लगा ।

तो वहीं जयराम आश्रम के पीठाधीश्वर ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने गुरु पूर्णिमा का महत्व बताते हुए कहा कि शास्त्रों में भी गुरु को देवताओं से भी ऊंचा स्थान प्राप्त है. स्वयं भगवान शिव गुरु के बारे में कहते हैं, ‘गुरुर्देवो गुरुर्धर्मो, गुरौ निष्ठा परं तपः। गुरोः परतरं नास्ति, त्रिवारं कथयामि ते।।’ यानी गुरु ही देव हैं, गुरु ही धर्म हैं, गुरु में निष्ठा ही परम धर्म है. इसका अर्थ है कि, गुरु की आवश्यकता मनुष्यों के साथ ही स्वयं देवताओं को भी होती है.गुरु को लेकर कहा गया है कि, ‘हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर’. यानी भगवान के रूठने पर गुरु की शरण मिल जाती है, लेकिन गुरु अगर रूठ जाए तो उसे कहीं भी शरण नहीं मिलती. इसलिए जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है. किसके लिए कहा गया है कि आप जिसे भी अपना गुरु मानते हों, गुरु पूर्णिमा के दिन उसकी पूजा करने या आशीर्वाद लेने से जीवन की बाधाएं दूर हो जाती है।

इसी कड़ी में श्री गीता आश्रम मे स्वामी प्रकाशानंद ने गुरु पूर्णिमा महोत्सव बड़े धूमधाम और श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया गया ।  वहीं गीता आश्रम में इस अवसर पर 1 से 3 जुलाई पर्यंत तीन दिवस का धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ, इसके अंतर्गत आश्रम में गीता पाठ रामचरितमानस अखंड पाठ भजन कीर्तन योग सत्र एवं पानीपत ऋषिकेश के कलाकारों द्वारा सुंदर झांकियों का प्रदर्शन किया गया इसके साथ ही भजन कीर्तन एवं प्रवचन का कार्यक्रम भी संपन्न हुआ । अनेक स्थानों से गुरुदेव के भक्तों ने यहां आकर आश्रम संस्थापक ब्रह्मलीन सदगुरुदेव स्वामी वेदव्यासानंद सरस्वती महाराज एवं ट्रस्ट के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी शान्तानंद सरस्वती की मूर्तियों का पूजन अर्चन किया ,इस अवसर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ दीपक गुप्ता उपाध्यक्ष डॉ भारती गुप्ता सचिव मुनेश त्यागी ट्रस्टी प्रदीप मित्तल हरे कृष्ण भाटिया नरेंद्र कुमार राज नरेश शर्मा गिरीश शुक्ला प्रमिला शाह एवं प्रमुख प्रमुख भक्तों सर्व श्री बीडी गुप्ता उज्जवल गुप्ता राकेश शर्मा अनिल सलवान चंद्र सिंह तोमर मयंक शशि बाला सिंघल सुदेश जी चंद्र मित्र शुक्ल योगाचार्य बृजेश त्रिभुवन उपाध्याय प्रेम प्रसाद लक्ष्मण सिंह पंडित उदय राम गीता चैतन्य बंसी नौटियाल आदि अनेक भक्त स्थानीय लोग आश्रम वासी उपस्थित थे सभी महानुभावों ने पूज्य गुरुदेव की मूर्ति का पूजन अर्चन किया इसके उपरांत विशाल भंडारा कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन भानु मित्र शर्मा ने किया ।

बताते चले कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन को गुरु पूर्णिमा पर्व के रूप में मनाने की शुरुआत महर्षि वेद व्यास जी के 5 शिष्यों द्वारा की गई. हिंदू धर्म में महर्षि वेद व्यास को बह्मा, विष्णु और महेश का रूप माना गया है. महर्षि वेद व्यास को बाल्यकाल से ही अध्यात्म में गहरी रूचि थी. ईश्वर के ध्यान में लीन होने के लिए वो वन में जाकर तपस्या करना चाहते थे. लेकिन उनके माता-पिता ने इसके लिए उन्हें आज्ञा नहीं दी. तब वेद व्यास जी जिद्द पर अड़ गए. इसके बाद वेद व्यास की माता ने उन्हें वन में जाने की अनुमति दे दी. लेकिन माता ने कहा कि, वन में परिवार की याद आए तो तुरंत वापस लौट जाए. इसके बाद पिता भी राजी हो गए. इस तरह माता-पिता की अनुमति के बाद महर्षि वेद व्यास ईश्वर के ध्यान के लिए वन की ओर चले गए और तपस्या शुरू कर दी।वेद व्यास ने संस्कृत भाषा में प्रवीणता हासिल की और इसके बाद उन्होंने महाभारत, 18 महापुराण, ब्रह्मसूत्र समेत कई धर्म ग्रंथों की रचना की. साथ ही वेदों का विस्तार भी किया. इसलिए महर्षि वेद व्यास को बादरायण के नाम से भी जाना जाता है।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर ऋषिकेश में जयराम आश्रम के ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी, मायाकुंड स्थित भगवान गिरी आश्रम बाबा भूपेंदर गिरी, कृष्ण कुंज आश्रम में उत्तराखंड पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णाचार्य, जनार्दन आश्रम केशव स्वरूप ,तारा माता मंदिर महंत संध्या गिरी, जगन्नाथ आश्रम में महंत लोकेश दास और भगवान आश्रम में साक्षी महाराज की धूमधाम के साथ भक्तों ने अपने गुरुओं की पूजा अर्चना की।