एम्स ऋषिकेश में सिलक्यारा टनल हादसे के श्रमिक के जन्मजात दिल के छेद की सफल सर्जरी कर श्रमिक को मिला नया जीवन,  श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच के दौरान एम्स के डाॅक्टरों को पता चला दिल के छेद का  रोजगार की तलाश में गया था उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल



ऋषिकेश 5 जनवरी।  एम्स ऋषिकेश में सिलक्यारा टनल हादसे के श्रमिक के जन्मजात दिल के छेद की सफल सर्जरी कर एम्स संस्थान द्वारा श्रमिक को नया जीवनदान दिया गया है।

बताते चले सिलक्यारा (उत्तरकाशी) की निर्माणाधीन टनल में एक मजदूर ऐसा भी था जिसे नहीं पता था कि उसके दिल में जन्मजात छेद है। 24 साल का यह श्रमिक उत्तराखण्ड के चम्पावत जिले का रहने वाला है और उसका नाम पुष्कर सिंह है। श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच के दौरान एम्स के डाॅक्टरों को यह बात पता लगी कि पुष्कर के दिल में छेद है और समय रहते यदि उसका आॅप्रेशन न किया गया तो आगे चलकर उसके जीवन को खतरा हो सकता है। ऐसे में एम्स के डाॅक्टरों ने पुष्कर की ओपन हार्ट सर्जरी करने का निर्णय लिया और हाल ही में 28 दिसम्बर को इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। पुष्कर अब स्वस्थ है और शुक्रवार को उसे एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

इस बारे में जानकारी देते हुए संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने बताया कि पुष्कर के स्वास्थ्य जांच में यह पता चला था कि उसके दिल में छेद जन्म के समय से ही है लेकिन अभी तक वह इस बीमारी से अनभिज्ञ था। सर्जरी करने वाले सीटीवीएस विभाग के वरिष्ठ सर्जन डाॅ. अंशुमान दरबारी ने बताया कि हांलाकि अभी पुष्कर को कोई समस्या नहीं है लेकिन भविष्य में यह दिक्कत उसके लिए खतरे का सबब बन सकती थी और उसे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्या पैदा हो सकती थी।

उन्होंने बताया कि पुष्कर का सम्पूर्ण इलाज राज्य सरकार की अटल आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क किया गया है। पहली दिसम्बर को जब सभी श्रमिकों को एम्स से डिस्चार्ज किया गया था, उस समय पुष्कर मानसिक तौर से सर्जरी के लिए तैयार नहीं था। इसलिए उसे सर्जरी के लिए दोबारा एम्स बुलाया गया। उन्होंने कहा कि पुष्कर की ओपन हार्ट सर्जरी की गयी है और रिकवर होने में उसे मात्र 7 दिन का समय लगा है। यह सर्जरी पिछले सप्ताह ही 28 दिसम्बर को की गयी।

उल्लेखनीय है कि नवम्बर माह में उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे में फंसे कुल 41 श्रमिकों में चम्पावत जिले का पुष्कर सिंह भी शामिल था। 29 नवम्बर को सभी श्रमिकों को रेस्क्यू कर जब हेलीकाॅप्टर से एम्स ऋषिकेश पहंुचाया गया तो अन्य श्रमिकों की भांति ही पुष्कर के स्वास्थ्य की भी चिकित्सकों द्वारा सघन जांच की गयी थी।

स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान इको कार्डियोग्राफी करते समय मौके पर मौजूद कार्डियोलाॅजी विभाग के चिकित्सक डाॅ. वरूण कुमार को पता लगा था कि पुष्कर के दिल में छेद है।

उत्तराखण्ड में अवैध नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ सख्त हुई धामी सरकार, पंजीकरण न कराने वाले केंद्रों पर स्वास्थ्य सचिव ने दिए कड़ी कार्रवाई के निर्देश,उत्तराखंड को 2025 तक ड्रग्स फ्री बनाने का लक्ष्य : पुष्कर सिंह धामी , मुख्यमंत्री की सोच तेजी से धरातल पर उतर रही: स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार



देहरादून 13 दिसंबर। उत्तराखंड में नशा तस्करी को रोकने और नशे के तंत्र को ध्वस्त करने के लिए धामी सरकार गंभीरता से प्रयास कर रही है। प्रदेश में अवैध तौर पर संचालित किये जा रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर सरकार की नजर टेढ़ी हो गयी है।

सीएम धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड को वर्ष 2025 तक ड्रग्स फ्री बनाने का लक्ष्य रखा गया है, इस अभियान को सबको मिलकर सफल बनाना है। खासकर युवाओं के जागरूक होने से ही नशे के विरुद्ध जंग जीती जा सकती है। जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी नशामुक्ति केंद्रों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। सरकार ने अवैध संचालकों को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने पंजीकरण नहीं कराया तो उनके केंद्रों पर एक्ट के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार के अनुसार प्रदेश को 2025 तक नशा मुक्त करना है। राज्य में जहां एक ओर आमजन और विशेषकर युवाओं में नशे के विरुद्ध जागरूकता लाई जा रही है, वहीं नशा तस्करी से जुड़े अपराधियों पर कड़ी करवाई की जा रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों में नशा ग्रस्त व्यक्तियों को मुख्यधारा से जोड़ने व पुनर्वास के लिए प्रदेश के समस्त जनपदों में नशा मुक्ति केंद्रों को प्रभावी बनाया जा रहा है। वर्तमान में चार इंटीग्रेटेड रिहैबिलिटेशन सेंटर फॉर एडिक्ट्स संचालित किए जा रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से समाज के विभिन्न वर्गों और विशेषकर युवाओं में नशे के दुष्परिणामों को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में नशे की गिरफ्त में आए लोगों को काउंसिलिंग और इलाज कर नशे से दूर किया जाएगा। गैर पंजीकृत नशा मुक्ति केंद्रों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है कि जिन केंद्रों का पंजीकरण नहीं कराया जाएगा उनके केंद्रों पर एक्ट के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार के अनुसार नशामुक्ति केन्द्रों एवं मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के संचालन के लिए कोई मानक नही होने के कारण कई बार अखबारों एवं टेली मीडिया द्वारा कई संस्थानों में अनियमितताओं एवं दुर्व्यवहार की सूचना समय-समय पर आ रही थी। इस कारण सरकार ने इन संस्थानों के लिए नियम-विनियम बनाकर राज्य में प्रख्यापित कर दिये हैं, ताकि सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, नषामुक्ति केन्द्र व ऐसे पुनर्वास केन्द्र जहां मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति रखे जाते हैं, उन नियम के अनुरूप क्रियान्वित हो एवं सभी को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में पंजीकृत होना अनिवार्य है। सभी पंजीकृत संस्थानों का समय-समय पर अंकेक्षण एवं निरीक्षण भी कराया जायेगा एवं पंजीकृत करने की अंतिम तारीख 14 दिसम्बर है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया मौजूदा समय में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में लगभग 70 नशामुक्ति केन्द्रों एवं मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा पंजीकरण हेतु आवेदन कर दिया गया है, जिसके क्रम में अनन्तिम पंजीकरण प्रमाण-पत्र आवंटन की प्रक्रिया गतिमान है। अपंजीकृत केन्द्र संचालित करने पर वह केन्द्र गैर-कानूनी माने जायेंगे एवं उनके विरूद्ध राज्य मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम-2017 के प्राविधान के तहत कार्रवाई की जायेगी।गौरतलब है कि उत्तराखण्ड में युवाओं में नशे की प्रवृत्ति एक प्रमुख समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रही है। जिसका उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। डब्लू.एच.ओ. की 2001 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों का औसत कुल आबादी को 10 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखण्ड में मानसिक रोगियों की संख्या लगभग 11 लाख 70,000 है, जिसमें से 2,34,000 अति गम्भीर रोगी हैं एवं 6 साल तक मानसिक दुर्बलता से ग्रस्त बच्चों की संख्या लगभग 1,17,000 है।

उत्तराखण्ड के एकमात्र मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय, सेलाकुई, देहरादून में मानसिक रोग से ग्रस्त दीर्घकालीन प्रवास करने वाले रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में वहां लगभग 26 ऐसे मरीज है, जिनको पुनर्वास केन्द्र निर्मित होने पर वहां भेजा जा सकता है।मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम-2017 की मानसिक रुगण्ता की परिभाषा में नशे की आदत को मानसिक रोग की श्रेणी में शामिल किया गया है। अतः यहां पर उत्तराखण्ड की स्थिति राष्ट्रीय औसत से अधिक हैरू-उत्तराखण्ड मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत विषेशज्ञों की भारी कमी है एवं पुनर्वास केन्द्रों की संख्या भी बहुत सीमित है।

राज्य सरकार नशामुक्त भारत अभियान के तहत संकल्पबद्ध है। जिसके क्रम में सरकार द्वारा 30 राजकीय चिकित्सकों को निम्हांस बंगलुरू से डीपीसीपी का कोर्स कराया गया है और उनसे भी मानसिक रोगियों के उपचार का कार्य करवाया जा रहा है। प्रदेश में दो स्थानों पर 100 शैय्यायुक्त नशामुक्ति केन्द्र एक कुमाऊं और एक गढ़वाल मण्डल में बनाये जाने की प्रकिया गतिमान है।मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, सेलाकुई को 100 शैय्यायुक्त मानसिक चिकित्सालय में उच्चीकृत किया गया है। इसके अतिरिक्त गेठिया जनपद नैनीताल में 100 बेड का मानसिक चिकित्सालय को बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। सरकार द्वारा राज्य के जिला चिकित्सालयों में 5 प्रतिशत बेड मानसिक रोगियों एवं नशे के आदि व्यक्तियों के उपचार के लिए आरक्षित करने के निर्देश दिये गये है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया नशामुक्त उत्तराखंड अभियान को अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार बेहतर सेवाएं और इलाज की व्यवस्था कर रही है। नशामुक्ति के लिए टेली-काउंसिलिंग की सुविधा भी दी जा रही है। टेली-मानस के तहत चौबीस मानसिक स्वास्थ्य सहायता उपलब्ध करायी जा रही है। जिसका टोल-फ्री नं0-14416 एवं 18008914416 है।

उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट में हेल्थकेयर एवं फार्मा सेक्टर में लगभग 18,500 करोड़ के पॅूंजी निवेश के एमओयू हुए साइन, उत्तराखंड संभावनाओं, संसाधनों व क्षमताओं से परिपूर्ण और निवेश के लिए सर्वथा उपयुक्त राज्य: रेखा आर्या



देहरादून 8 दिसंबर। उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट में उत्तराखंड के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण हेल्थकेयर सुविधाओं के विस्तार की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए निवेशकों ने सरकार के प्रयासों के साथ पूरा समर्थन व सहयोग प्रदान करने का भरोसा दिलाया।

समिट के शुरूआती दौर तक राज्य के हेल्थकेयर एवं फार्मा सेक्टर में लगभग साढे अठारह हजार करोड़ के पॅूंजी निवेश के एमओयू किए जा चुके हैं। सरकार और निवेशकों ने निश्चय किया है कि प्रस्तावित निवेश को जमीन पर उतारने के लिए अगले दौर की कार्रवाई तेजी से पूरी की जाएगी।

इन्वेस्टर्स समिट में हेल्थकेयर सेक्टर पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व के चलते उत्तराखंड विकास की राह में तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने राज्य के तेजी से विकास तथा रोजगार के नए व बेहतर अवसरों के सृजन के लिए नीतियों में जरूरी बदलाव करने के साथ ही निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड संभावनाओं, संसाधनों व क्षमताओं से परिपूर्ण और निवेश के लिए सर्वथा उपयुक्त राज्य है। राज्य सरकार ने निवेशकों की सहूलियतों का समुचित ध्यान रख कस्टमाइज्ड नीतियां तय कर प्रक्रियाओं और नियमों को सरल व सुविधाजनक बनाया है। जिसके चलते निवेशकों का राज्य के प्रति भरोसा बढा है और वह अधिकाधिक निवेश के प्रति रूचि दिख रहे हैं। उन्होंनें कहा कि राज्य सरकार उत्तराखण्ड के विकास के सारथी बनने वाले निवेशकों का विश्वास कभी भंग नहीं होने देगी और कोई भी समस्या आने पर मजबूती से उनके साथ खड़ी रहेगी।

रेखा आर्या ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक गुणवत्तापूर्ण व सर्वसुलभ बनाने के लिए सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता से काम कर रही है। उन्होंने सरकार के इन प्रयासों में सहयोग करने तथा दूरस्थ पर्वतीय इलाकों तक बेहतर हेल्थ केयर सुविधाएं जुटाने के लिए निजी क्षेत्र से निरंतर सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि देवभूमि में उनका निवेश पुण्य का भी सबब बनेगा।

कार्यक्रम में उत्तराखंड के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार ने उत्तराखंड के हेल्थकेयर एवं फार्मा सेक्टर में निवेश की संभावनाओं व जरूरतों को रेखांकित करते हुए राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं और इससे जुड़ी नीतियों के बारे में जानकारी प्रस्तुत की।

उन्होंने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य के प्रति जन-जागरूकता में वृद्धि तथा गुणवत्तापूर्ण हेल्थकेयर की बढ़ती मांग के चलते हमें निरंतर बढ़ती आबादी की स्वास्थ्य संबंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र के सहयोग की नितांत आवश्यकता है। सरकार व निजी क्षेत्र के सम्मिलित प्रयासों से हम हर क्षेत्र तक स्तरीय हेल्थकेयर सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही जन-समुदाय के जीवन की गुणवत्ता को भी सुधार सकते हैं। राज्य में निजी क्षेत्र के जरिए कुछ अस्पतालों तथा 108 एंबुलेंस सेवा के संचालन के अनुभव का उल्लेख करते हुए डा. राजेश कुमार ने कहा कि हेल्थ एवं फार्मा सेक्टर में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने नीतियों में अनुकूल बदलाव करने के साथ की अनेक सहूलियतों का प्राविधान किया है। राज्य सरकार ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज, हर्रावाला देहरादून स्थित 300 बेड के सुपर स्पेशलिटी कैंसर अस्पताल, मोतीनगर हल्द्वानी स्थित 200 बेड के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, हरिद्वार स्थित 200 बेड के एमसीएच सेंटर को लीज-ऑन एंड ट्रांसफर मॉडल पर निजी क्षेत्र के सहयोग से संचालित करने का निश्चय किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य में हेल्थकेयर पर निवेश की प्रचुर संभावनाएं हैं।

समिट के हेल्थकेयर सत्र में अपोलो हेल्थ केयर में सीएफओ कृष्णन अखिलेश्वरन, टाटा 1एमजी के वाइस प्रेसिडेंट डा. प्रशांत नाग, ग्राफिक एरा हॉस्पिटल के चेयरमैन प्रो. कमल घनशाला, हेल्थकेयर रोडिक कंसल्टेंट प्रा.लि. के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर आलोक सक्सेना, कृष्णा डाईग्नोस्टिक की प्रतिनिधि करिश्मा, एनएचएम उत्तराखंड की मिशन डायरेक्टर स्वाति एस भदौरिया ने विचार रखे। संचालन स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डा. अमित शुक्ला ने किया।

ऋषिकेश में आरएसएस के प्रकल्प भाऊराव देवरस न्यास द्वारा 19 नवम्बर को देशभर में सेवा क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाओं को करेगी सम्मानित  देह व्यापार में संलिप्त महिलाओं के बच्चों को पढ़ा लिखा  संस्कारी और स्वावलंबी बनाने और पिछड़े क्षेत्र में 48 वर्षों से चिकित्सा सेवा कार्य के लिए होगी दो महिलाएं सम्मानित 



ऋषिकेश, 17 नवम्बर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रकल्प भाऊराव देवरस न्यास आगामी 19 नवम्बर को देश भर में सेवा क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाली प्रतिभावान दो महिलाओं को भाऊराव देवरस स्मृति सेवा सम्मान से उत्तराखंड में सम्मानित करेगा।

यह जानकारी ऋषिकेश में आईएसबीटी में स्थित प्रेस क्लब में पत्रकारों को न्यास के केंद्रीय कार्यालय प्रमुख संजय गुप्ता, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तराखंड प्रांत के कार्यवाह दिनेश सेमवाल, विद्या भारती के सत्य प्रसाद बंगवाल, जिला संघ चालक सुदामा सिंघल, जिला व्यवस्था प्रमुख संदीप मल्होत्रा ने संयुक्त रूप से देते हुए बताया कि भाऊराव देवरस न्यास देश भर में विभिन्न क्षेत्रों के सेवा कार्यों को प्रमुखता के साथ कर रहा है। जिसके अंतर्गत ऋषिकेश में भी न्यास द्वारा वीरभद्र मंदिर के निकट 123 कमरों का विश्राम गृह जिसमें 430 बेड होंगे , जिसका शिलान्यास 12, 13 जून 2022  में किया गया था। जिसका निर्माण कार्य मेंमई 2024 में पूरा हो जाएगा।जो की ऋषिकेश एम्स में आने वाले मरीजों के तीमारदारों को सस्ते दरों पर खाने और रहने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

गुप्ता ने बताया कि 1995 में ख्याति प्राप्त अन्ना हजारे, उत्तराखंड में सामाजिक कार्यों के लिए प्रसिद्ध डॉक्टर निखिल शर्मा को सम्मानित करते हुए इस सेवा सम्मान श्रृंखला का प्रारंभ किया गया था, इस दौरान बनवासी कल्याण आश्रम के जगदेव राम उरांव, पद्म विभूषण नानाजी देशमुख , दत्तोपंत ठेंगड़ी,विक्रम सिंह बहादुर जमातिया, दिव्य प्रेम सेवा मिशन के आशीष गौतम प्रमुख थे ।

इसके उपरांत न्यास ने पहले चरण में देश के सभी राज्यों में काम करने वाले एक महानुभाव को सम्मानित करने का लक्ष्य पूरा करते हुए चयन समिति के माध्यम से किसी एक या दो कार्य क्षेत्र में प्रमुख रूप से सेवा करने वाली विभूति को सम्मानित करने का निर्णय किया गया, इसी कड़ी में इस वर्ष का सम्मान दिया जाना निश्चित किया गया है।

जिनमें डॉक्टर प्रतिभा राजहंस को नागपुर में पिछड़े क्षेत्र में 48 वर्षों से चिकित्सा सेवा कार्य के लिए सम्मानित किया जाएगा, दूसरी महिला चैतन्य महिला मंडल पुणे की ज्योति पठानिया जो कि देह व्यापार में संलिप्त महिलाओं के बच्चों को पढ़ा लिखा कर संस्कारी और स्वावलंबी बनाने के लिए कार्य कर रही है ।

यह कार्यक्रम 19 नवम्बर को दोपहर में वीरभद्र मंदिर मार्ग पर निर्माणाधीन माधव सेवा विश्राम सदन में किया जाएगा। पत्रकार वार्ता में मनोज राणा नगर प्रचार प्रमुख, मनमोहन त्यागी, नगर व्यवस्था प्रमुख अनुज सैनी जिला सोशल प्रमुख आदि भी उपस्थित थे।

प्रदेश में मातृ मृत्यु अनुपात को कम करने को लेकर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग द्वारा एनएचएम की सहयता से मेंटरों की दो दिन की प्रशिक्षण कार्यशाला का किया गया आयोजन



 देहरादून 7 नवंबर।प्रदेश में मातृ मृत्यु अनुपात को कम करने को लेकर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग द्वारा नेशनल हेल्थ मिशन उत्तराखंड, सरकारी दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून और तकनीकी साथी USAID SAMVEG के साथ प्रसभन स्थानिय स्तर पर डिलीवरी पॉइंट्स की मेंटरिंग के लिए मेंटरों की दो दिन की प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित किया गया।

प्रदेश में मातृ मृत्यु अनुपात को कम करने को लेकर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। मातृ स्वास्थ्य में सुधार करना सरकार का प्राथमिक फोकस बना हुआ है एवं उक्त लक्ष्य की प्राप्ती हेतु राज्य सरकार द्वारा विभिन्न जन स्वास्थ्य प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत सरकार द्वारा जारी एस०आर०एस० सर्वे रिपोर्ट 2017-19 में वर्तमान में प्रदेश का मातृ मृत्यु अनुपात 103 प्रति 1 लाख जीवित जन्म है।इस कार्यशाला में, गाइनेकोलॉजिस्ट, महिला चिकित्सा अधिकारी, स्टाफ नर्स, जिला कार्यक्रम प्रबंधक और मातृ और शिशु स्वास्थ्य के कार्यक्रम अधिकारी जैसे विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य पेशेवरों का समूह शामिल हुआ। प्रशिक्षण के दौरान यह विशेष ध्यान और महिला और नवजात मृत्यु कम करने के लिए मातृ और नवजात की जानकारी को बढ़ाने, साझा करने और प्रसव के दौरान आदरपूर्ण देखभाल को बढ़ावा देने के एक सामान्य लक्ष्य की ओर काम कर रहे हैं।राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मेनटिंग विजिट्स के लिए वित्तीय समर्थन प्रदान कर रहा है, इससे यह सुनिश्चित होता है कि इस कार्यशाला के दौरान प्राप्त ज्ञान और विशेषज्ञता को राज्य के स्वास्थ्य Facility में प्रभावी रूप से लागू किया जा सकता है।

कार्यशाला की शुरुआत डॉ अमित शुक्ला, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मातृ स्वास्थ्य के अधिकारी, और डॉ चित्रा जोशी, दून मेडिकल कॉलेज के जनन विभाग के प्रमुख के साथ आयोजित तात्कालिक दिये गए प्रकार की लैम्प – रोशनी कर्म समारोह के रूप में हुई।

कार्यशाला के दौरान, डॉ नितिन अरोड़ा, सीनियर सलाहकार, कार्यक्रम के लक्ष्यों और प्रशिक्षण के मुख्य विषय को स्पष्ट किया और डॉ नितिन बिष्ट ने सुरक्षित डिलीवरी ऐप और गर्भाशय बैलून टैम्पोनेड (UBT) के बारे में विस्तार से व्याख्या की, जो पोस्टपार्टम हेमोरेज (PH) का प्रबंधन करने के लिए एक चिकित्सा प्रक्रिया है। डॉ चित्रा जोशी ने आदरपूर्ण मातृतव देखभाल, जन्म के आस-पास की देखभाल पर एक डिमोन्स्ट्रेशन सत्र आयोजित किया। दून मेडिकल कॉलेज के प्रतिष्ठित शिक्षक ने प्रासंगिक मातृ स्वास्थ्य देखभाल, आपातकालीन अभ्यास और पोस्टपार्टम हेमोरेज के प्रबंधन जैसे विभिन्न विषयों पर प्रस्तावना की।

इस कार्यशाला में, डॉ रीना पाल, डॉ गौरव मुखिजा, डॉ शिव कुमार, डॉ मीनाक्षी सिंह और डॉ नफीस फातिमा ने भाग लिया।नेशनल हेल्थ मिशन उत्तराखंड, दून मेडिकल कॉलेज, और USAID SAMVEG के सहकारी प्रयास दर्शाते हैं कि राज्य ने मातृ और नवजात मृत्यु के खिलाफ यथार्थ कदम उठाने की प्रतिबद्धता मजबूती से दिखाई है। स्वास्थ्य पेशेवरों को नवीनतम ज्ञान और श्रेष्ठ अभिगम के साथ आदरपूर्ण प्रसव अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उत्तराखंड राज्य ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। डॉ आशुतोष सयाना निदेशक चिकित्सा शिक्षा और डीन दून मेडिकल कॉलेज ने कहा कि हम इस प्रकार के प्रशिक्षण और कार्यशाला का आयोजन करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं ताकि राज्य भर में आदरपूर्ण मातृतव देखभाल प्रदान की जा सकें।

नवनियुक्त उपाध्यक्ष सुरेश भट्ट ने ली एन.एच.एम. के अंतर्गत संचालित कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक,स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदेश के अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए सरकार  कटिबद्व:- सुरेश भट्ट



देहरादून 30 अक्टूबर। आज राज्य स्तरीय राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य एवं अनुश्रवण परिषद के नवनियुक्त उपाध्यक्ष सुरेश भट्ट, द्वारा एन.एच.एम. के अंतर्गत संचालित सभी कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक ली।

समीक्षा बैठक में प्रदेश में राष्ट्रीय कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वय हेतु सभी अधिकारियों व कार्मिकों को जरुरी दिशा-निर्देश भी दिए गए ।

इस दौरान उन्होंने सभी अधिकारियों व कार्मिकों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाने ओर अस्पतालों को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके। समाज के हर व्यक्ति को स्वस्थ रखना व सभी तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। ये बातें राज्य स्तरीय राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य एवं अनुश्रवण परिषद के नवनियुक्त उपाध्यक्ष सुरेश भट्ट, द्वारा एन.एच.एम. के अंतर्गत संचालित सभी कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक में कही। उन्होंने कहा जन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एक महत्वपूर्ण कड़ी है। समीक्षा बैठक में प्रदेश में राष्ट्रीय कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वय हेतु सभी अधिकारियों व कार्मिकों को जरुरी दिशा-निर्देश दिए गये।

सुरेश भट्ट द्वारा उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के पश्चात आयोजित प्रथम बैठक में प्रदेश में संचालित विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों की समीक्षा की।  उपाध्यक्ष द्वारा बताया गया कि स्वास्थ्य सेवाएं आमजनमानस की भावनाओं से जुडा विषय है, जिसका संपादन केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अति आवश्यक हो जाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखंड से जुड़कर मैं एक सहयोगी के नाते काम करूंगा व मेरे द्वारा एन.एच.एम. को संपूर्ण सहयोग प्रदान किया जाएगा।

बैठक में प्रस्तुतिकरण के दौरान उन्होंने प्रदेश में संचालित सभी कार्यक्रमों को विस्तारपूर्ण जाना और संबंधित अधिकारियों व कार्मिकों को विभिन्न जनकल्याणकारियों नीतियों को धरातल में अमल करने पर उचित दिशा-निर्देश दिए।

अधिकारियों-कर्मचारियों को दिलाई सत्यनिष्ठा की शपथ

सुरेश भट्ट द्वारा बताया गया कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम जिनमें टी.बी उन्मूलन, मातृ स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, गैर संचारी रोगों की रोकथाम जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर और अधिक कार्य करने की जरुरत है, जिससे प्रदेशवासियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिल सके।

बैठक के दौरान देशभर में संचालित ‘सतर्कता जागरुकता सप्ताह’ के अंतर्गत मा. उपाध्यक्ष द्वारा एन.एच.एम. अधिकारियों व कर्मचारियों को सत्यनिष्ठा की प्रतिज्ञा भी दिलाई।

उन्होंने कहा हम सब समर्पित होकर कार्य करें जिससे कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत बनें।

बैठक में  स्वाति एस भदौरिया मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन,  अमनदीप कौर, अपर मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, कार्यक्रम अधिकारी डॉ अजय कुमार नगरकर, डॉ अमित शुक्ला, डॉ फरीदुजफर, डॉ पंकज सिंह, डॉ राजन अरोड़ा, डॉ मुकेश राय, डॉ अर्चना ओझा, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक महेंद्र मौर्य, राज्य लेखा प्रबंधक राम कृष्ण भट्ट आदि अधिकारी/कर्मचारी मौजूद रहे।

केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांशु पंत  तीन दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर,  हैल्थ सैक्टर सेवा का सैक्टर, आपसी समन्वय से काम करें अधिकारी-कर्मचारी, अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ- सुधांशु पंत



 देहरादून /नैनीताल 23 अक्टूबर। केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांशु पंत अपने तीन दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर हैं। इन तीन दिनों में स्वास्थ्य सचिव ने कुमांउ मंडल की विभिन्न चिकित्सा इकाईयों का निरीक्षण कर संबधित अधिकारियों को जरूरी दिषा निर्देष दिए। केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव द्वारा जिन चिकित्सा इकाईयों का निरीक्षण किया गया उनमें बीडी पांडेय हॉस्पिटल नैनीताल, टीवी सेंनिटोरियम भवाली, जीबी पंत हॉस्पिटल नैनीताल, सुषील तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी, बेस चिकित्सालय हल्द्वानी, महिला चिकित्सालय हल्द्वानी, उपजिला चिकित्साल काषीपुर, हैल्थ वेलनेंस सेंटर खुरपा ताल सहित कई अन्य चिकित्सा ईकाइयों का दौरा कर जरूरी दिशा निर्देश दिए।इसी क्रम में आज एटीआई नैनीताल से केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांशु पंत ने वीडियो कांन्फ्रेसिंग के जरिए राज्य स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा बैठक ली। जिसमें राज्य के सचिव स्वास्थ्य डॉ आर राजेष कुमार द्वारा राज्य में चल रही बिभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों, चिकित्सा षिक्षा, आयुष्मान योजना का विस्तार से प्रस्तुतीकरण दिया गया। केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांशु पंत ने राज्य में चल रही केन्द्र पोषित योजनाओं की प्रगति पर संतोष जाहिर करते हुए उनमें तेजी लाने के निर्देष अधिकारियों को दिये।

निर्माण कार्यों में तेजी लाने के निर्देष
केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांशु पंत ने कहा हैल्थ सैक्टर सेवा का सैक्टर है। इसमें सभी को मिलकर सेवा भाव से कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने अधिकारियों कहा प्रदेश के हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर क्रिटिकल केयर ब्लॉक, मेडिकल कॉलेज व अन्य निर्माणाधीन कार्य में तेजी लाई जाये। जिससे आम जनता को इसका लाभ जल्द से जल्द मिल सके। केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने दिसंबर 2023 तक निर्माण कार्यों को पूरा करने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया। इसके साथ ही उन्होंने अल्मोड़ा, हरिद्वार, पिथौरागढ़, उधमसिंहगनर मेडिकल कॉलेज के निर्माणकार्यों को यथाशीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए।

केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांशु पंत ने अधिकारियों से बीडी पांडेय हॉस्पिटल नैनीताल में सुविधाओं को बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के बजट की कमी आती है तो केन्द्र उसमें राज्य को पूरा सहयोग देगा। इसके साथ ही उन्होंने जीबी पंत हॉस्पिटल नैनीताल को सैटिलाइट हॉस्पिटल के रूप में बिकसित करने के लिए कार्ययोजना बनाने की बात भी कही। केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने टीवी सेंनिटोरियम भवाली को उच्च स्तरीय टीवी एंव चेस्ट संस्थान के रूप में बिकसित करने के निर्देष भी अधिकारियों को दिए। इसके साथ ही नैनीताल के गेठिया सेंनिटोरियम को मेंटल हैल्थ इंस्टीटियूषन के रूप में विकसित करने के लिए कार्य योजना बनाने की बात कही।

केन्द्र सरकार देगी पूरा सहयोग
केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांशु पंत ने कहा उत्तराखंड के स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने हेतु भारत सरकार पूरा सहयोग देगी। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के यू कोट वी पे मॉडल की प्रशंसा करते हुए स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के मनोबल को बढ़ाने के लिए उच्चतम वेतन प्रदान करने के कार्य को अत्यधिक सराहना की। इसके साथ ही प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन योजना के यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज से उत्तराखंड के अधिक से अधिक लोगों को मिल रहे लाभ की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों व मैदानी इलाकों में कोविड टीकाकरण सहित अन्य मैनेजमेंट में अच्छा कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संबंधित सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए यह आवश्यक है वर्तमान में स्वास्थ्य संबंधित परियोजनाएं जो गतिमान हैं, उसका विभाग द्वारा अनुसरण एवं अनुपालन किया जाए। ताकि इन योजनाओं का लाभ राज्य के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।बैठक में डॉ. आर राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य, आषीष श्रीवास्तव, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, अमनदीप कौर, अपर सचिव स्वास्थ्य, श्रीमती नमामि बंसल अपर सचिव स्वास्थ्य सहित सभी 13 जनपदों के अधिकारी और कार्यक्रम अधिकारी वर्चवल रूप से जुड़े थे।

प्रफुल्ल विजय कर होम्योपैथिक रिसर्च डेवलपमेंट फाउंडेशन मुंबई ने ‌ आयोजित किया निशुल्क होम्योपैथिक चिकित्सा शिविर -शिविर में मानसिक एवं शारीरिक रूप से 183अक्षम मरीजों का परीक्षण कर दी गई दवाइयां



ऋषिकेश, 0 1 अक्टूबर ‌। कैलाश आश्रम में प्रफुल्ल विजय कर होम्योपैथिक रिसर्च डेवलपमेंट फाउंडेशन मुंबई ‌द्वारा आयोजित दूसरा होप फार द‌ होपलेस शिविर में मानसिक एवं शारीरिक रूप से अक्षम मरीज जैसे सेरेब्रल पाल्सी, ऑटिज्म, मूक-बधिर, डाउन सिंड्रोम आदि दिव्यांगों बच्चों का निःशुल्क रूप से उपचार किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में 20 वर्ष से काम की उम्र के उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश के दिव्यांग बच्चों ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाए जाने के साथ दवाइयां भी प्राप्त की।

रविवार को आयोजित चिकित्सा शिविर, होम्योपैथी द्वारा प्रिडिक्टिव होम्योपैथी मुंबई एवं कैलाश आश्रम ऋषिकेश के सहयोग से एवं ए०डी०एम० पिथौरागढ़ डॉ शिव कुमार बरनवाल के दिशानिर्देशन में निशुल्क सफल आयोजन किया गया।

जिसमें 183 मरीजों का पेडिक्टिव होम्योपैथी की टीम द्वारा उपचार किया गया। शिविर के दौरान‌ डॉ अवधेश कुमार ने बताया कि आज के समय में सेरिब्रल पाल्सी, ऑटिज्म, मूकबधिर एवं डाउन सिंड्रोम से ग्रसित बच्चों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है, ,पूरे विश्व में किसी भी विधा में इन जन्मजात रोगों का इलाज हो पाना बहुत कठिन है। ऐसे में होम्योपैथी इन रोगों के इलाज में एक अच्छा विकल्प साबित हो रही है। पूर्व में आयोजित 1 अप्रैल 2023 के रोगियों का फॉलो- अप अत्यंत सुखद एवं उत्साहवर्धक रहा।

ऐसे में आगे भी इन बच्चों के स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रत्येक 6 माह में इस तरह का कैंप आयोजित किया जाता रहेगा। जिससे कि ऐसे बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार हो सके। अगला कैम्प ऋषिकेश में ही 7 अप्रैल 2024 को लगाया ‌जायेगा।

इस कैंप में मुख्य रूप से डॉ अवधेश कुमार, एस बी चौहान, डॉक्टर आर०जे० पाल, डॉक्टर धनंजय, डॉक्टर राम लखन सिंह डॉक्टर बच्चन यादव, डॉक्टर गौरी शंकर, डॉक्टर जितेंद्र यादव, डॉ अश्वनी जायसवाल, राजेन्द्र, डॉ दीपशिखा, डॉ अनिल, डॉ सतीश पिंगल, डॉ सचिन राजपूत, डॉ मेघा गुप्ता, डॉ वंदना अथवाल जगूड़ी, डॉ अल्पना ममगाईं, डॉ सना मसूरी, डॉ हिमानी गुप्ता, डॉ गौरव दुबे, डॉ प्रणव ममगाई, आकाश, सुरेश पैन्यूली, सुमित शर्मा एवं राजकीय के०जी०के होम्योपैथिक कॉलेज मुरादाबाद से 28 मेडिकल स्टूडेंट्स उपस्थित रहे।

डेंगू से बचाव के लिए नगर पालिका परिषद मुनिकीरेती-ढालवाला द्वारा प्रत्येक घर में ब्लीचिंग पाउडर बाटने के साथ वार्डों में फागिंग अभियान को जिलाधिकारी और नगर पालिका अध्यक्ष ने हरी झंडी दिखा निकाय वाहनों को किया रवाना



ऋषिकेश 30 अगस्त। डेंगू से बचाव के लिए नगर पालिका परिषद मुनिकीरेती-ढालवाला क्षेत्रान्तर्गत प्रत्येक घर में ब्लीचिंग पाउडर बांटा जाएगा, साथ ही वार्डों में फागिंग अभियान शुरू किया जाएगा।

बुधवार को जिलाधिकारी टिहरी मयूर दीक्षित एवं पालिकाध्यक्ष रोशन रतूड़ी ने क्षेत्र में ब्लीचिंग पाउडर बांटने हेतु निकाय वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

अधिशासी अधिकारी तनवीर सिंह मारवाह ने बताया कि वर्तमान में डेंगू का प्रकोप फैलता जा रहा है, निकाय क्षेत्र में डेंगू एवं अन्य संक्रामक बिमारियों की रोकथाम हेतु प्रत्येक घर में ब्लीचिंग पाउडर के पैकेट बांटे जाएंगे। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही निकाय के ई-रिक्शा वाहन की सहायता से प्रतिदिन वार्डों में फागिंग अभियान भी चलाया जाएगा।

मौके पर सभासद गजेंद्र सजवाण, विनोद सकलानी, स्वास्थ्य एवं सफाई निरीक्षक मनोज बिष्ट, वरिष्ठ सहायक दिनेश कृषाली, बेताल सिंह, जितेंद्र सिंह सजवाण, ज्योति पसपोला आदि उपस्थित थे।

फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स ने प्रशिक्षण, परीक्षण और जागरूकता अभियान में हासिल किया दूसरा स्थान, खाद्य उद्योग प्रथाओं और गुणवत्ता मानकों बनाए रखने को लेकर जागरूकता पैदा करने का कर रहा काम :  डॉ आर राजेश कुमार 



ऋषिकेश/ देहरादून 24 अगस्त। उत्तराखंड में खाद्य सुरक्षा विभाग ने अपने गठन के बाद से खाद्य सुरक्षा व स्वच्छता को लेकर सराहनीय कार्य किये हैं।

यही वजह है कि आज आम जनमानस के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग की विश्वसनीयता लगातार बढ़ रही है। इसी कड़ी में फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स पहल ने प्रशिक्षण, परीक्षण और जागरूकता अभियान सहित रिकॉर्ड संख्या में गतिविधियों के संचालन में दूसरा स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने की दिशा में पहल की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

खाद्य सुरक्षा आयुक्त डॉ आर राजेश कुमार ने इस उपलब्धि के लिए फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स पहल को शुभकामनायें देते हुए कहा कि यह कहते हुए खुशी हो रही है कि फ़ूड सेफ्टी ऑन व्हील्स कार्यक्रम खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने में एक प्रेरक शक्ति रहा है।

खाद्य उद्योग प्रथाओं और गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने को लेकर जागरूकता पैदा करने का काम कर रहा है। जिसका लाभ आम जनता को मिल रहा है। पहल की यह उपलब्धि सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के प्रति समर्पण को लेकर उनके अथक प्रयासों को दर्शाती हैं।

खाद्य सुरक्षा आयुक्त डॉ आर राजेश कुमार ने कहा कि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा, कांवड़ यात्रा एवं विभिन्न पर्यटन स्थलों पर फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स का कार्य सराहनीय रहा है। इसके साथ ही मुख्यालय स्तर पर गठित प्रवर्तन टीम द्वारा मिलावटखोरी रोकने को समय-समय पर सराहनीय कार्य किया गया है।

गौरतलब है कि है कि उत्तराखंड ने दो अतिरिक्त फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स इकाइयों की शुरुआत करके खाद्य सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है। यह विस्तार पूरे क्षेत्र में और भी अधिक कवरेज और आउटरीच सक्षम करेगा। जिससे यह सुनिश्चित होगा कि व्यापक आबादी पहल की सेवाओं से लाभान्वित हो सके।

चारधाम यात्रा के दौरान फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स इकाइयों की तैनाती और श्रावण मेला कार्यक्रम के लचीलेपन और अनुकूलनशीलता को प्रदर्शित करता है।

बड़े पैमाने पर खानपान करके सामूहिक समारोहों में पहल यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है कि खाद्य सुरक्षा चुनौतीपूर्ण और गतिशील वातावरण में भी प्राथमिकता शीर्ष पर बनी रहे।