ऋषिकेश 27 फरवरी। उत्तराखंड के संस्कृत शिक्षा निदेशक शिवपसाद खाली ने कहा कि संस्कृत को राज्य भाषा बनाए जाने और उसका सम्मान वापस दिलाए जाने के लिए विशेष कार्य योजना तैयार करनी होगी, यह तभी संभव है जब हम सब एक जुट होकर कार्य कर सकेंगे।हांलाकि उत्तराखंड में स्थापित 97 संस्कृत विद्यालयो द्बारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
यह विचार रविवार को ऋषिकेश स्थित श्री जयराम आश्रम संस्कृत महाविद्यालय में संस्कृत शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रधानाचार्य प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन अवसर पर शिक्षा निदेशक खाली ने उपस्थिति को सम्बोधित करते हुए कहा कि दो दिन तक चली कार्यशाला मैं सभी विषयों पर गंभीरता पूर्वक मंथन किया है।
कार्यशाला के दौरान दूसरे दिन उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा परिषद के परिषदीय परीक्षाओं के प्रबंधन में प्रधानाचार्य एवं अन्य व्यक्तियों की कार्यकुशलता, शिक्षा की उपयोगिता एवं पारदर्शिता के साथ विद्यालयों में मानव संसाधन के समुचित विकास एवं छात्र छात्राओं की सुरक्षा हेतु ऑनलाइन गूगल कक्षाओं के संचालन के अतिरिक्त शैक्षणिक गतिविधियों के आयोजन एवं प्रसार नवाचारी, पर गंभीरता पूर्वक विचार विमर्श किया गया।
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि विद्यालयों में किस प्रकार की पढ़ाई कराई जा रही है, शिक्षा किस प्रकार की है उस पर भी मंथन किया जाना अत्यंत आवश्यक है। इस दौरान भूकंप ग्रस्त क्षैत्रों में चल रहे विद्यालयों की स्थिति और उसमें शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के लिए पानी के पीने की व्यवस्था भी दुरुस्त ब पर किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया ।क्योंकि पानी के कारण बच्चों में कुपोषण जैसी बीमारियां भी फैलती है ,जिससे सुरक्षित रहने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है।
कार्यशाला में यह भी कहा गया कि बच्चों की समस्याओं के समाधान के लिए विद्यालयों के बाहर सुझाव पेटिका में लगाई जानी चाहिए ,कार्यशाला में वर्तमान समय में सोशल मीडिया का उपयोग किए जाने के साथ उस पर बच्चे क्या देख रहे हैं, इसकी भी मॉनिटरिंग किया जाना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि बच्चे कुछ ऐसी सोशल मीडिया की साइड भी देख रहे हैं। जिससे वह गलत संगति में पडकर जेल तक जा रहे हैं। जिससे बचाने के लिए उन्हें उनके परिजनों को भी जागरूक किया जाना चाहिए ।जिससे वे उसकी निगरानी कर सकेंगे।
कार्यशाला में बोर्ड परीक्षाओं की समस्याओं के समाधान के लिए सभी विद्यालयों को पहले से तैयारी किए जाने के लिए भी निर्देशित किया गया। जिसमें कहा गया कि परीक्षाओं से पूर्व प्राप्त होने वाले प्रश्न पत्रों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक विद्यालय में अलमारियों व लोकर का होना अत्यंत आवश्यक है।
कार्यशाला के दौरान वर्तमान समय में विद्यालयों की स्थिति और भूमिका , आदर्श विद्यालयों की संरचना और उनमें संसाधनों की अभिवृद्धि किए जाने के साथ सामुदायिक सहभागिता निभाने पर भी विचार किया गया। इस दौरान विद्यालय भवन का निर्माण किए जाने के अतिरिक्त छात्रों की संख्या बढाए जाने के साथ बाल अधिकार सुरक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे विषय पर भी विचार किया गया।
कार्यशाला में उपनिदेशक पद्माकर मिश्र सहायक निदेशक हरिद्वार वाजसरवा, संजू प्रसाद ध्यानी , मुख्य प्रशासनिक अधिकारी शिक्षा निदेशालय खिलाफ सिह , उत्तम सिंह राणा मायाराम रसौली प्रधानाचार्य जयराम आश्रम शिव प्रसाद भट्ट प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ जनार्दन कैरवान, विजय जुगराण, ओमप्रकाश पोरवाल ,विवेक पुरी, बृजेश शैयाणा, वाणी भूषण भट्ट ,शैलेंद्र कोठियाल, राम प्रसाद थपलियाल, उत्तराखंड के सभी संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्य उपस्थित थे ।
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