ऋषिकेश ,08 मई ।गंगा सप्तमी के अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालुओं ने ऋषिकेश, स्वर्ग आश्रम ,लक्ष्मण झूला के घाटों पर गंगा में श्रद्धा कीडुबकी लगाकर मां गंगा की पूजा अर्चना किये जाने के साथ मां गंगा का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया। इस दौरान त्रिवेणी घाट पर श्री गंगा सभा ने भव्य गंगा आरती के साथ हवन ,पूजन भी किया।
रविवार को ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर मां गंगा जी के जन्मोत्सव के दौरान उत्तराखंड राज्य के शहरी विकास एवं वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ,गंगा सभा के मुख्य संरक्षक महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, गंगा सभा के महामंत्री रामकृपाल गौतम ,राहुल शर्मा भी उपस्थित थे ।
गंगा आरती के उपरांत हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में दीप प्रज्वलित किए ,वही गंगा के जन्मोत्सव को भी धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान नगर में विभिन्न संस्थाओं नेमीठे शीतल जलकी छविलियां लगाकर लोगों में मीठे शीतल जल को वितरित किया।
भगवान गिरी आश्रम के पीठाधीश्वर महंत भूपद्र गिरी ने कहा कि पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्ग लोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां गंगा का पूजन किया जाता है।
गंगा सप्तमी के अवसर पर्व पर मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है, लेकिन इस दिन स्नान करने से मनुष्य सभी दुखों से मुक्ति पा जाता है। इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
कहा जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने से दस पापों का हरण होकर अंत में मुक्ति मिलती है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जीवनदायिनी गंगा में स्नान, पुण्यसलिला नर्मदा के दर्शन और मोक्षदायिनी शिप्रा के स्मरण मात्र से मोक्ष मिल जाता है।
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