ऋषिकेश 1 मई। तीर्थ नगरी ऋषिकेश माया कुंड स्थित श्री कृष्ण कुंज आश्रम में चल रहें पंच दिवसीय ब्रह्मोत्सव का समापन भगवान वेणुगोपाल के विवाह के साथ हुआ। भगवान वेणुगोपाल के विवाह से पूर्व नगर में शोभायात्रा का आयोजन भी हुआ।
गुरुवार को माया कुंड स्थित कृष्ण कुंज आश्रम में भगवान वेणुगोपाल के विवाह का आयोजन किया गया। इस मौके पर आश्रम के परमाध्यक्ष जगद्गुरु स्वामी कृष्णाचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्म का अर्थ है वर्धन करना। भगवान के ब्रह्मोत्सव में शामिल होने से मनुष्य के व्यक्तित्व का वर्धन होता है। भगवान नित्य हैं पर भक्तों के प्रेम से भगवान अवतार लेते हैं और उसी अवतार काल में भगवान का विवाह होता है। उसी प्रकार अर्चा विग्रह भी भगवान का अवतार है। भक्त अपने भगवान के अर्चा विग्रह का विवाह करके अपनी मनोरथ पूरी करते हैं।
आश्रम के उत्तराधिकारी स्वामी गोपालाचार्य महाराज ने कहा कि इस कार्यक्रम में हरिद्वार ऋषिकेश के वरिष्ठ संतो ने भक्तों को दर्शन दिए। विवाह से पूर्व जब भगवान नगर भ्रमण पर निकला तो पूरा मार्ग जयघोषों से गुंजायमान हो गया। हजारों की संख्या में श्रद्धालु वैवाहिक परिवेश में नजर आ रहे थे।
इस मौके पर आश्रम पहुंचे क्षेत्रीय विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि जगद्गुरु स्वामी कृष्णाचार्य महाराज के द्वारा लगाया गया कृष्ण कुंज रूपी वृक्ष पूरे विश्व में ऋषिकेश की कीर्ति का प्रसार कर रहा है।
कार्यक्रम में जगतगुरु दयाराम देवाचार्य महाराज, महामंडलेश्वर ईश्वर दास महाराज, श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, लक्ष्मण मंदिर के महंत जगदीश प्रपन्नाचार्य, महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद महाराज, महंत ऋषिश्वरानंद, बाबा हठ योगी, स्वामी दामोदराचार्य, डा जनार्दन कैरवान, स्वामी रामानंदाचार्य, स्वामी अखंडानंद सरस्वती आदि शमिल हुए।
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