पंतनगर 7 नवंबर। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज उत्तराखण्ड के रजत जयंती वर्ष उत्सव के अवसर पर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर में वृहद कृषक सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस दौरान कृषि, उद्यान, दुग्ध, मत्स्य, सहकारिता क्षेत्र के प्रगतिशील कृषक व लखपति दीदी को मुख्यमंत्री द्वारा प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र व अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आए किसानों को उत्तराखण्ड राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष की हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि किसान भाईयों का परिश्रम और त्याग ही हमारी सच्ची पूंजी है और उनका पसीना हमारी ताकत है। उन्होंने उत्तराखण्ड निर्माण के सपने को साकार करने में अपना योगदान देने वाले और बीते 25 वर्षों में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने में अपना अतुलनीय योगदान देने वाले किसानो को भी नमन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन केवल कृषि संबंधी योजनाओं की चर्चा हेतु एक आम कार्यकम नहीं है, बल्कि उत्तराखण्ड के हमारे सभी किसान भाईयों और उनके परिवारों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का भी अवसर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश व प्रदेश के संतुलित विकास हेतु यह जरूरी है कि हमारे किसान भाईयों की परेशानियां कम हों और वे सशक्त बनें। किसानों के सशक्तिकरण के बिना राष्ट्र का सशक्तिकरण अधूरा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकसित भारत के निर्माण का सपना भी तभी साकार हो सकता है, जब हमारे किसान विकसित होंगे। हम सभी जानते हैं कि भारत आदि काल से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती-किसानी के इर्द-गिर्द ही हमारा समाज विकसित हुआ, हमारी परंपराएं पोषित हुईं और हमारे पर्व व त्योहार निर्धारित हुए। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में भी लिखा है कि कृषि संपत्ति और मेधा प्रदान करती है और कृषि ही मानव जीवन का आधार है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके लिए तो खेती करना देव उपासना जैसा है, क्योंकि उनके पिता एक जवान भी थे और एक किसान भी। खेती द्वारा लोगों का पेट भरने से जो संतुष्टि प्राप्त होती है, उसकी व्याख्या नहीं की जा सकती। यही कारण है कि वे आज भी खेती से जुड़े हैं और जब भी उन्हें समय मिलता है तो अपने गांव में खेती करने भी जाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती से उन्हें आत्मिक शांति तो मिलती ही है साथ ही अपनी जमीन से भी जोड़े रखती है। माटी से ये जुड़ाव उन्हें सदैव उनके अस्तित्व, वांछित कर्म और कर्तव्य का बोध कराता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में किसानों का जितना सशक्तिकरण हुआ है, वो अभूतपूर्व है। प्रधानमंत्री जी का मत है कि देश के किसान का आत्मविश्वास देश का सबसे बड़ा सामर्थ्य है और इसी को मूल मानकर केंद्र सरकार किसानों की दशा सुधारने और कृषि नीतियों को किसान केंद्रित बनाने का कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री जी का संकल्प है कि हमारे किसान के लिए बीज से बाजार तक की यात्रा ना केवल सुगम हो बल्कि ये उसकी आय में वृद्धि करने वाली भी हो। आज, देश-भर के लगभग 11 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से आर्थिक सहायता दी जा रही है, जिसके अंतर्गत उत्तराखण्ड के भी लगभग 9 लाख के करीब अन्नदाताओं को सहायता राशि प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जहां एक ओर सभी प्रमुख फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में अभूतपूर्व वृद्धि कर किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य प्रदान किया जा रहा है। वहीं, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से किसान को प्राकृतिक आपदाओं, फसल रोगों और कीटों से होने वाले नुकसान हेतु सुरक्षा कवच भी प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के द्वारा खेतों की मिट्टी की वैज्ञानिक जांच कर किसानों को पोषक तत्त्वों की कमी और आवश्यक उर्वरकों की जानकारी भी दी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में हमारी राज्य सरकार भी प्रदेश के किसानों के उत्थान एवं समृद्धि हेतु संकल्पित होकर निरंतर कार्य कर रही है। हम एक ओर जहां प्रदेश में किसानों को तीन लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध करा रहे हैं, वहीं कृषि उपकरण खरीदने हेतु फार्म मशीनरी बैंक योजना के माध्यम से 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी दे रहे हैं। यहीं नहीं, हमने किसानों के हित में नहरों से सिंचाई को पूरी तरह मुफ्त करने का काम किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने किसानों की आय बढ़ाने के लिए पॉलीहाउस के निर्माण हेतु ₹200 करोड़ रूपए की राशि का प्रावधान भी किया है। हम जहां एक ओर गेहूं खरीद पर किसानों को ₹20 प्रति क्विंटल का बोनस प्रदान रहे हैं, वहीं हमने गन्ने के रेट में भी ₹20 प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की है। इसके अतिरिक्त, हमने उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा आधारित खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए लगभग ₹1,000 करोड़ की लागत से उत्तराखण्ड क्लाइमेट रिस्पॉन्सिव रेन-फेड फार्मिंग प्रोजेक्ट भी स्वीकृत किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सब्जियों की तरह ही फलों के उत्पादन को बढ़ाने हेतु भी विभिन्न स्तरों पर काम कर रही है। हमारी सरकार ने ₹1200 करोड़ की लागत से नई सेब नीति, कीवी नीति, स्टेट मिलेट मिशन और ड्रैगन फ्रूट नीति जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया है। इनके तहत बागवानी को प्रोत्साहन देने हेतु किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम किसानों की उपज की गुणवत्ता को बढ़ाने हेतु ग्रेडिंग-सॉर्टिंग यूनिट के निर्माण के लिए भी अनुदान दे रहे हैं। प्रदेश में 50 से अधिक मशरूम इकाईयां, 30 से अधिक मौनपालन इकाईयां, 30 कोल्ड चेन इकाईयां, 18 कोल्ड स्टोरेज, 5 सी.ए. स्टोरेज, 128 बड़ी खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां, 1030 सूक्ष्म खाद्य उद्यम और 2 मेगा फूड पार्क स्थापित हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत प्रदेश के कृषकों को पौधशाला स्थापना, संरक्षित खेती, औद्यानिक यंत्रीकरण, तुड़ाई उपरान्त प्रबंधन व प्रसंस्करण हेतु 50 से 55 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। सरकार के प्रयासों से फलों की उत्पादकता में ढाई गुना वृद्धि हुई है, जो पहले 1.82 मैट्रिक टन प्रति हेक्टेयर थी, वह अब 4.52 मैट्रिक टन हो गई है। मशरूम उत्पादन में आज उत्तराखण्ड देश में पाँचवें स्थान पर है। राज्य गठन के समय जहाँ मशरूम का उत्पादन मात्र 500 मैट्रिक टन था, वहीं आज यह बढ़कर 27,390 मैट्रिक टन हो गया है। इसी प्रकार शहद उत्पादन में भी राज्य देश में आठवें स्थान पर पहुँचा है और अब 3,320 मैट्रिक टन शहद का उत्पादन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बागवानी के समग्र विकास हेतु जापान सहयोगित उत्तराखण्ड एकीकृत औद्यानिक विकास परियोजना के तहत ₹526 करोड़ की बाह्य सहायतित परियोजना टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल और पिथौरागढ़ जनपदों में लागू की जा रही है। सगंध पौधा केन्द्र द्वारा लेमनग्रास, मिन्ट, गुलाब, तेजपात, कैमोमिल जैसी फसलों को प्रोत्साहन देकर 9,500 हेक्टेयर क्षेत्र में सगंध खेती विकसित की गई है, जिससे 28,000 से अधिक कृषक 109 एरोमा क्लस्टरों के माध्यम से जुड़ चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चाय उत्पादन में भी राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य गठन के समय जहाँ केवल 196 हेक्टेयर में चाय की खेती होती थी, वहीं आज यह 1,585 हेक्टेयर तक विस्तृत हो चुकी है। अब प्रदेश में 06 लाख किलोग्राम हरी पत्तियाँ उत्पादित हो रही हैं और लगभग डेढ़ लाख किलोग्राम प्रसंस्कृत चाय तैयार की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि टी-टूरिज्म को बढ़ावा देते हुए चम्पावत के सिलिंगटॉग, नैनीताल के श्यामखेत व घोड़ाखाल तथा बागेश्वर के कौसानी में चाय बागानों को पर्यटन से जोड़ा गया है, जिससे स्थानीय युवाओं को नए रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रजत जयंती वर्ष में हम उत्तराखण्ड का किसान-उत्तराखण्ड का गौरव के संदेश के साथ एक नई शुरुआत कर रहे हैं। उन्होंने सभी से आह्वान करते हुए कहा कि आइए, हम सब मिलकर उत्तराखण्ड को समृद्ध, आत्मनिर्भर और आधुनिक कृषि राज्य बनाएं। क्योंकि आपका परिश्रम, हमारी नीतियां और केंद्र सरकार का सहयोग, यही मिलकर हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ, समृद्ध और स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करेंगे और उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के हमारे विकल्प रहित संकल्प को पोषित करने में सार्थक सिद्ध होंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्टालों का निरीक्षण भी किया।
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने अपने संबोधन में सभी को रजत जयंती वर्ष की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में कृषि एवं उद्यान के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितनी चिंता सीमा पर खड़े जवान की करते हैं, उतनी ही चिंता किसान की भी करते हैं। उन्होंने कहा कि बागवानी के क्षेत्र में उत्तराखण्ड अब कश्मीर और हिमाचल के बाद तीसरे स्थान पर है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए क्षेत्रीय विधायक तिलकराज बेहड़ ने किच्छा में औद्योगिक पार्क बनाये जाने के लिए आभार व्यक्त किया और साथ ही उन्होंने पंतनगर की सड़कों की मरम्मत की घोषणा करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर दायित्वधारी अनिल कपूर डब्बू, बलराज पासी, उत्तम दत्ता, खतीब अहमद, मेयर विकास शर्मा, दीपक बाली, सचिव मुख्यमंत्री एवं कुमाऊँ आयुक्त दीपक रावत, सचिव एसएन पाण्डे, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल मंजूनाथ टीसी सहित अनेक जनप्रतिनिधि व बड़ी संख्या में कृषक बन्धु मौजूद थे।















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