हरिद्वार में स्वामी आनन्द गिरि को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी से निष्कासित किए जाने के बाद तमाम तरह की चर्चाऐं शुरू हो गयी हैं। बता दें कि स्वामी आनंद गिरि आस्ट्रेलिया में एक महिला के साथ मारपीट और अभद्रता के मामले में घिरने के बाद देश दुनिया में चर्चा में आ गए थे। जिसके बाद से ही आनन्द गिरि को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी थीं। अखाड़े ने परिवार के साथ संबंध रखने के आरोप में उनका निष्कासन किया है। किन्तु मामला इतना भर नहीं है। इसके अलावा भी कई कारण हैं जिनको लेकर कार्यवाही किया जाना अखाड़े के लिए लाजमी हो गया था
इसके अलावा 13 मई को रुड़की हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने श्यामपुर कांगड़ी में संत आनंद गिरि का निर्माणाधीन तीन मंजिला आश्रम सील किया था।
अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी के मुताबिक अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का पंच परमेश्वरों को पत्र मिला था। पत्र में संत आनंद गिरि के संन्यास परंपरा के उल्लंघन का जिक्र किया था।
श्री निरंजनी अखाड़ा ने बड़ा कदम उठाते हुए बड़े हनुमान मंदिर के छोटे महंत व योगगुरु स्वामी आनंद गिरि को बाघम्बरी मठ व निरंजनी अखाड़े से निष्कासित कर दिया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य योगगुरु स्वामी आनंद गिरि पर की गई कार्रवाई की पुष्टि खुद परिषद अध्यक्ष ने की है।
महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य होने के कारण योगगुरु को अखाड़े के सबसे मजबूत लोगों में माना जाता रहा है। लेकिन पिछले कुछ समय से गुरु और शिष्य के बीच में मतभेद किसी न किसी रूप में दिखता रहा। हालांकि सार्वजनिक मंच पर कभी न तो महंत नरेंद्र गिरि ने योगगुरु के खिलाफ टिप्पणी की और न ही स्वामी आनंद गिरि ने कभी महंत नरेंद्र गिरि पर किसी प्रकार का बयान जारी किया। महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि योगगुरु ने नासिक, उज्जैन, प्रयागराज और हरिद्वार कुम्भ में अपने पूरे परिवार को बुलाया था। जबकि अखाड़े की परंपरा के अनुसार परिवार से सम्बंध नहीं रखा जा सकता है। माता-पिता का सम्मान किया जा सकता है, लेकिन अखाड़े की एक परंपरा है। एक माह पूर्व दी गई चेतावनी के बाद भी जब वे नहीं माने तो उन्हें पहले बाघम्बरी मठ से हटाया गया। बाद में शुक्रवार को अखाड़े से निष्कासन की कार्रवाई की गई है। इस बारे में जब स्वामी आनंद गिरि से पूछा गया तो उन्होंने फिलहाल किसी टिप्पणी से इनकार कर दिया है।
सूत्र बताते हैं कि इतना ही नहीं करीब छह माह पूर्व दिल्ली के एक सार्वजनिक आश्रम जिसमें भारती नामा नृसिंह मढ़ी के एक संत रहते हैं, पर आनन्द गिरि ने जबरन कब्जा कर लिया था। जिसको बाद में उन्हें दवाब में आकर छोड़ना पड़ा। इतना ही नहीं आस्ट्रेलिया के अतिरिक्त देश में भी कई मुकद्में उन पर हैं। इसके अलावा अखाड़े के सूत्रों के मुताबिक श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि ने आनन्द गिरि को बाघम्बरी गद्दी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। जिसका अखाड़े में विरोध था। वहीं अपने बचाव के लिए आनन्द गिरि को बली का बकरा बनाया गया। कारण की अखाड़े के एक बड़े संत भी परिवार से गरीब थे। कुछ वर्ष पूर्व में करोड़पति हो गए। जिस परिवार में कुछ नहीं था वे आज आलीशान महल में रहने रहे। इन सब बातों को लेकर अपना बचाव करते हुए आनन्द गिरि पर यह कार्यवाही की गयी। वहीं चर्चा है कि जिस मुलतानी मढ़ी का आनन्द गिरि को साधु बताया गया है। वह पुरी नामा साधुओं की मढ़ी है। ऐसे में आनन्द गिरि का गिरि नामा होना भी फर्जी है। निरंजनी अखाड़े में गिरि नामा की 13 व 14 मढ़ी हैं। जबकि मुलतानी मढ़ी पुरी नामा ही है। अखाड़े के सूत्रों का कहना है कि निष्कासन केवल दिखावा है, कुछ समय बाद आनन्द गिरि का निष्कासन रद्द हो जाएगा। यदि आनन्द गिरि ने अपनी जुबान को लगाम में रखा तो।
स्वामी आनन्द गिरि श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि के शिष्य हैं। जिनका अखाड़े में अपना प्रभाव है। ऐसे में आनन्द गिरि पर कार्यवाही होना कोई बड़ा ही कारण होना दर्शाता है।
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