Advertisement

भू कानून को लेकर उत्तराखंड सरकार पर बढ़ा दबाव, ‌‌देवस्थानम बोर्ड भंग होने के बाद भू कानून की मांग हुई तेज, जानिए क्या है भू कानून


ऋषिकेश देहरादून 2 दिसंबर। उत्तराखंड सरकार द्वारा उत्तराखंड के चार धाम को लेकर बनाए गए देवस्थानम बोर्ड पर उत्तराखंड के पंडा पुरोहित समाज के भारी विरोध के बाद उत्तराखंड सरकार ने जैसे ही देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का ऐलान किया तब से उसके बाद लगातार प्रदेश सरकार पर भू कानून को लेकर दबाव बन गया है।

पिछले काफी समय से राज्य में विभिन्न संगठनों के बैनर तले सशक्त भू कानून की मांग को लेकर लोग आंदोलित हैं। प्रदेश के सामाजिक संगठनों के द्वारा भी उत्तराखंड में एक मजबूत भू कानून को बनाए जाने की लगातार मांग कर रहे हैं।

इस विषय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू कानून को लेकर पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में जो कमेटी गठित की है।जिसमें पूर्व आईएएस अधिकारी डीएस गर्ब्याल और अरुण कुमार ढौंडियाल के अलावा भाजपा नेता अजेंद्र अजेय सदस्य हैं। समिति ने लोगों से सार्वजनिक सूचना के माध्यम से सुझाव मांगे थे। अब तक उसके पास 163 सुझाव पहुंच चुके हैं।उसने सात दिसंबर को देहरादून में भू कानून को लेकर एक अहम बैठक बुला ली है। भू कानून को लेकर की गई बैठक में समिति द्वारा  प्राप्त हो चुके 163 सुझावों पर मंथन करेगी। इस दौरान जन सुनवाई के बाद समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे कर उस सरकार को सौंप सकती है।

इस संबंध में भू कानून नियम अध्ययन समिति के अध्यक्ष सुभाष कुमार का कहना है कि आगामी 7 दिसंबर को होने वाली बैठक में हमने सभी से आपत्ति और सुझाव मांगे गए थे जो  प्राप्त हो चुके है।  इन पर तुरंत ही सुनवाई करके हम अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करने जा रहे हैं।

उत्तराखंड प्रदेश वासियों का मानना है कि  भू कानून ना लगने से प्रदेश में ‘उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था सुधार अधिनियम 1950 संशोधन कानून 2018 को जमीन की खरीद फरोख्त के नियमों को लचीला बना दिया गया। अब कोई भी पूंजीपति प्रदेश में कितनी भी जमीन खरीद सकता है।

उत्तराखंड प्रदेश वासी भी हिमाचल प्रदेश की तरह उत्तराखंड में भी उसी तरह भू कानून को लागू करवाना चाहते हैं जिससे बाहरी परदेस से आने वाले व्यक्तियों के द्वारा उत्तराखंड प्रदेश में बड़े पैमाने पर हो रही भूमि की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई जा सके।

इसके कारण पहाड़ में उद्योग लगाने के लिए भूमिधर स्वयं भूमि बेचे या उससे कोई भूमि खरीदेगा तो भूमि को अकृषि कराने के लिए अलग से कोई प्रक्रिया नहीं अपनानी होगी। औद्योगिक प्रायोजन से भूमि खरीदने पर भूमि का स्वत: भू उपयोग बदल जाएगा। अधिनियम की धारा 154 (4) (3) (क) की उपधारा (2) जोड़ी गई। इसके तहत 12.5 एकड़ भूमि की बाध्यता और किसान होने की अनिवार्यता भी खत्म कर दी गई है। 

आगामी 2022 के चुनाव को देखते हुए भी मुख्य विपक्षी दलों कांग्रेस ,आम आदमी पार्टी , ओर उत्तराखंड क्रांति दल द्वारा भी भू कानून को लेकर विशेष चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *