नगर निगम ऋषिकेश के अधिकारियों पर ब्लीचिंग व चुना पाउडर खरीद में 76.61लाख रुपए के घोटाले का पूर्व पालिका अध्यक्ष ने लगाया आरोप, ऑडिट रिपोर्ट का दिया हवाला,   2020 -21 में पूर्व वर्ष की अपेक्षा 8 गुना अधिक कीमत पर हुई खरीदारी, सक्षम अधिकारियों से करवाई जाए जांच – दीप शर्मा



ऋषिकेश,0 8 जुलाई । भारत सरकार के नियंत्रण महालेखा परीक्षक द्वारा 2021-22 के प्रतिवेदन में किए गए ऑडिट रिपोर्ट को आधार मानते हुए पूर्व पालिका अध्यक्ष दीप शर्मा ने ऋषिकेश नगर निगम पर 2020-2021 मे खरीदे गए, चूने के साथ अन्य ‌ सामग्री ‌ की खरीद में 76.61 लाख रुपए के घोटाले का आरोप लगाते हुए सक्षम अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने की मांग की है।

यह आरोप दीप शर्मा ने शनिवार को ऋषिकेश प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान लगाते हुए कहा कि उक्त खुलासा भारत सरकार के नियंत्रण महालेखा परीक्षक द्वारा वर्ष 2021- 22 के प्रतिवेदन में किए गए ऑडिट में किया गया है। जिसमें कहा गया है, कि कोरोना काल के दौरान चूना, ब्लीचिंग पाउडर ,मलाथयम पाउडर, की खरीद संविदा आमंत्रित कर बाजार भाव से खरीदी जानी थी। यह निविदा एक वर्ष के लिए लागू थी। इस दौरान बाजार भाव पर भी नजर रखे जाने के लिए निर्देशित किया गया, जिसमें कहा गया था, कि यह सारी खरीदारी जेम पोर्टल के माध्यम से की जाएगी, लेकिन ऑडिट की रिपोर्ट में कहा गया कि नगर निगम ऋषिकेश के अभिलेखों की जांच से पता चला है, कि वर्ष 2020- 21 के  अगस्त महीने में लाइम पाउडर एवं ब्लीचिंग सैनिटाइजर 102.61 करोड़ की खरीद कोटेशन के आधार पर एक फर्म से लिया गया है ।इसके अलावा कम दरों का लाभ प्राप्त करने और जेम पोर्टल पर सामग्री की खरीद के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। जांच में यह भी पता चला कि इकाई ने उक्त सामग्री की खरीद जीईएम पोर्टल पर उपलब्ध कीमत से 4 गुना अधिक कीमत पर की गई थी, परिणाम स्वरूप 76.61 का‌ व्यय अतिरिक्त किया गया है। ऑडिट रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2019-20 में लाइम पाउडर अन्य ‌‌‌‌‌‌‌फर्म‌ से ₹418 प्रति क्विंटल की दर से कोटेशन के आधार पर खरीदा जा रहा था,

और अप्रैल 2020 में लाइम पाउडर फीस ₹3500 की दर से खरीदा गया है, क्योंकि 2019-20 की तुलना में 8 गुना अधिक है। जांच में यह भी पता चला कि यह खरीद उत्तर प्रदेश नगर निगम 1959 नियम 123 का उल्लंघन करते हुए की गई है ,जो कि 103 करोड़ की सामग्री नगर निगम बोर्ड के प्रस्ताव के अनुमोदन के बिना खरीदी गई थी।

जांच के दौरान यह भी पता चला कि नगर आयुक्त ने इस संबंध में जो जवाब दिया था, उसमें कहा गया कि जो सामान खरीदा जा रहा है, वह मांग के अनुसार ‌‌है,उसमें आश्वासन दिया कि भविष्य में जेम पोर्टल का उपयोग करके ही अन्य सामान खरीदा जाएगा। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण सक्षम अधिकारी के आदेश के अनुसार बहुत अधिक दर पर खरीदा गया था। दिया गया जवाब तर्कसंगत नही था ,क्योंकि आपूर्तिकर्ता द्वारा खरीदी गई सामग्री की दरों की तुलना नहीं की गई थी, बाजार कीमतों या अन्य संगठनों में अन्य सामान दर अनुबंधों में वर्णित कीमतों के साथ तथा इसके अलावा खरीद कोटेशन के आधार पर टुकड़ों में की गई थी जबकि अनुबंध एक बार में 1 वर्ष के हुए संपन्न किया जाना चाहिए था। इस प्रकार विभाग नियमों का अनुपालन करने और पारदर्शीता‌ बनाए रखने में पूरी तरह से विफल रहा है। परिणाम स्वरूप की‌‌ गई खरीद में 76 . 60 लाख का अधिक व्यय किया गया है।

पूर्व पालिका अध्यक्ष दीप शर्मा ने इस संबंध में सक्षम अधिकारी से जाच करवा कर नगर निगम के अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने की मांग की है।