कारगिल विजय दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीदों को श्रद्धांजलि देकर उनके परिजनों को किया सम्मानित, राज्य के वीरता पदक से अलंकृत सैनिकों को दी जाने वाली एकमुश्त तथा वार्षिकी में की अभूतपूर्व वृद्धि



ऋषिकेश देहरादून 26 जुलाई। मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने आज कारगिल विजय दिवस के मौके पर गांधी पार्क में आयोजित कार्यक्रम में शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उनके परिजनों को भी सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि कारगिल में माँ भारती की रक्षा के लिये हमारे वीर जवानों ने पराक्रम की नई परिभाषा लिखी।


मुख्यमंत्री  धामी ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने कारगिल युद्ध में जिस प्रकार विपरीत परिस्थितियों में वीरता का परिचय देते हुए घुसपैठियों को सीमा पार खदेड़ा, उससे पूरे विश्व ने भारत का लोहा माना। उत्तराखण्ड अपने 75 जाँबाज सपूतों का बलिदान कभी नहीं भुलाएगा।
उन्होंने कहा कि मैं स्वयं एक सैनिक परिवार से आता हूं और सेना के साथ मेरा आत्मीयता का रिश्ता है। अपने पिता जी से सुनी सैन्यवीरों की गाथाओं ने मुझे बचपन से ही बहुत प्रभावित किया और मेरे अंदर राष्ट्र के प्रति संपूर्ण समर्पण की भावना को जागृत किया।
कारगिल युद्ध के समय स्व. अटल बिहारी वाजपेयी  प्रधानमंत्री थे। हमने युद्ध भी जीता और वैश्विक स्तर पर कूटनीति में भी जीत दर्ज की। आज प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी  के प्रयासों से सेना अधिक सशक्त हो रही है और उसकी यश और कीर्ति भी बढ़ रही है। मुख्यमंत्री  धामी ने कहा कि इस समय देश #AmritMahotsav मना रहा है और इस अमृतकाल में हमारे सामने नए लक्ष्य, नए संकल्प और कई चुनौतियां हैं। हमें अपने लक्ष्यों को तय कर इनकी सिद्धि का संकल्प लेना है और इस सिद्धि के मार्ग में आने वाली चुनौतियों को दूर करना है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा राज्य के वीरता पदक से अलंकृत सैनिकों को दी जाने वाली एकमुश्त तथा वार्षिकी में अभूतपूर्व वृद्धि की गई है।

परमवीर और अशोक चक्र पदक से अलंकृत सैनिक को दी जाने वाली राशि को बढ़ाकर ₹50-50 लाख करने को मंजूरी दी गई है। महावीर और कीर्ति चक्र विजेता को ₹35-35 लाख, वीर और शौर्य चक्र विजेता को ₹25-25 लाख और सेना गेलेन्ट्री मेडल से अलंकृत सैनिक को दी जाने वाली राशि को बढ़ाकर ₹15 लाख करने को मंजूरी दी गई है। उत्तराखण्ड एकमात्र राज्य है जहाँ भूतपूर्व सैनिकों में से ब्लॉक प्रतिनिधियों की नियुक्ति कर उन्हें मानदेय दिया जा रहा है। इनका मुख्य कार्य अपने क्षेत्र के सेवानिवृत्त सैनिकों तथा सैनिक विधवाओं से सम्पर्क कर उनकी समस्याओं को सुलझाना है।