उत्तराखंड में यौन शोषण के लिए हो रही मानव तस्करी को रोके जाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता – ज्ञानेंद्र कुमार उत्तराखंड राज्य महिला आयोग द्वारा मानव तस्करी को लेकर 4 जिलों की कार्यशाला का हुआ आयोजन


ऋषिकेश ,27 अगस्त । मानव तस्करी को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान के लिए अनेकों पुरस्कार प्राप्त कर चुके, ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा कि मानव समाज को बचाने के लिए मानव तस्करी को रोका जाना अत्यंत आवश्यक है।

यह विचार शनिवार को ज्ञानेंद्र कुमार ने ऋषिकेश के नगर निगम में आयोजित राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से उत्तराखंड राज्य महिला आयोग द्वारा महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल की अध्यक्षता में उत्तराखंड के चार जिलों देहरादून ,हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी, जिलों में की जा रही‌ मानव तस्करी को लेकर कार्यशाला के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थिति को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में महिलाओं का उपयोग यौन शोषण के लिए राष्ट्रीय और ‌अंतरराष्ट्रीय स्तर तक किया जा रहा है।

ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा कि मानव तस्करी के चपेट‌ मे आज भारत की नहीं अपितु नेपाल, मयमार माल और बांग्लादेश में भी काफी लोग सक्रिय है। जिसे रोका जाना अत्यंत आवश्यक है। मानव तस्करी को रोके जाने के लिए उनके द्वारा विकसित किए गए प्रीवेंशन मॉडयूल को नेपाल एवं वियतनाम में भी तमाम स्थानों पर अपनाया जा चुका है। यह मॉडयूल मानव तस्करी के रोकथाम में बेहद कारगर सिद्ध हुआ, है। उनका कहना था कि जो गिरोह मानव तस्करी में संलिप्त है वह किडनी निकाल ले जाने का कार्य करते हैं,परंतु अब तक की गई कार्रवाई के अंतर्गत मात्र एक संस्था पर कार्रवाई की गई है, जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है उन्होंने कहा कि मानव तस्करी को रोके जाने के लिए उनके द्वारा विकसित किए गए माड्यूल के अंतर्गत वधू तस्करी की रोकथाम में नेपाल एवं वियतनाम ने अपनाकर कुछ हद तक इसे रोकने का कार्य किया है, उन्होंने बताया कि मानव तस्करी के शिकार 26 सौ से अधिक महिलाओं और बच्चों को भारत ही नहीं अपितु विदेशों से भी उनके द्वारा अपने अभियान के अंतर्गत प्रस्तुत किया जा चुका है, उन्होंने इसके लिए मित्रों को न्याय दिलाने के लिए अदालती लड़ाई भी लड़ी है जिसके कारण तमाम अपराधियों को सजा हुई है।

उन्होंने उत्तरकाशी की एक घटना का भी हवाला देते हुए एक लड़की को बचाए जाने का उदाहरण दिया। इस मामले में लड़की को शादी के नाम पर हरियाणा ले जाया गया था जोकि मांस शराब और लड़की के चक्कर में ही उसे ले जाया गया था। इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए भी हमें लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि जो एजेंसी इस कार्य मेंंं लिप्त है कि वह इन्हें किसको गांव के नाम पर अपने मुंह जाल मेंंं फंसा भूलेख कहां ले जा रहे हैं इस प्ररकार एजेंसियोंं की भी जांच। की जानीीी चाहिए।

इस अवसर पर उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल का कहना है कि मानव तस्करी को रोका जाना अत्यंत आवश्यक है, जिसके लिए उत्तराखंड में भी जागरूकता अभियान को चलाया जाना चाहिए, उनका कहना था कि इसके पीछे पलायन रोजगार भी सबसेेे बड़ी समस्या है। 

कार्यशाला में महिला आयोग की सदस्य ‌सचिव कामिनी गुप्ता, मुख्य चिकित्सा अधिकारी पौड़ी प्रवीण सिंह कुमार, महिलाााा सशक्तिकरण विभाग की दाल के विशेषज्ञ शुक्रिया चंद्र राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन उत्तराखंंंंड के प्रबंधक सरोोज ध्यानी, वन स्टॉप सेंटर के एडमिनिस्ट्रेशन देहरादून की माया नेगी पौड़ी की ‌‌ रश्मि भी उपस्थित थीं।


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