एक पेड़ मां के नाम लगाने के आह्वान से मनाया हरेला पर्व, पेड़ पौधे लगाने नहीं बल्कि इनका उचित संरक्षण का विशेष ख्याल रखें : अनिता ममगाईं, हरेला पर्व हमें अपनी धरती और पर्यावरण की देखभाल के प्रति प्रेरित करता है: प्रेम चंद अग्रवाल


ऋषिकेश 16 जुलाई । बायपास रोड स्थित स्मृति वन में देवभूमि उत्तराखंड के बड़े पर्वों में से एक हरेला पर्व मनाया गया। नगर निगम और वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया था । कार्यक्रम में फलदार पौधे लगाये गए। मुख्य अतिथि नि. महापौर अनिता ममगाईं विशेष उत्तराखंडी परिधान में मौजूद रहीं। इस अवसर पर नगर आयुक्त शैलेन्द्र सिंह नेगी, रेंजर गंभीर सिंह धामंदा व अन्य लोग भी मौजूद रहे।

इस अवसर पर अनिता ममगाईं ने कहा, आज हम देख रहे हैं मौसम कैसे बदल रहा है। कितनी गर्मी हो रही है, इस बार के गर्मी के मौसम को देखते हुए हमें आगे आने वाले वर्षों में पर्यावरणीय बदलाव या कहिये और भी असुंतलन देखने को मिल सकता है। वैज्ञानिक, पर्यावरणविद बार-बार हमें चेतावनी दे रहे हैं। ऐसे में हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधों को लगाना चाहिए साथ ही उनका संरक्षण भी करना चाहिए। ताकि आने वाले पीढ़ी को हम कुछ दे सकें। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में “एक पेड़ मां के नाम” की शुरुआत की है । अब ये नारा जनआंदोलन बन गया है। अब देश का हर एक शख्स अपनी मां के नाम पेड़ लगाकर धरती मां को नमन करने का काम कर रहा है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कितनी गंभीरता से और कितने अपनत्व से उन्होंने इसको लिया है। हर एक ब्यक्ति पेड़ पौधे लगाए और उनका संरक्षण करे। इस अवसर उन्होंने बधाई देते हुए कहा, आप सभी को हरियाली व सुख-समृद्धि के प्रतीक उत्तराखण्ड के पौराणिक लोकपर्व हरेला की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देती हूँ। इस अवसर पर सभी ने पर्यावरण बचाने का संकल्प भी लिया।
कार्यक्रम में, मुख्य नगर आयुक्त शैलेंद्र सिंह नेगी, वन क्षेत्र अधिकारी गंभीर सिंह धमांदा , नि. पार्षद विजय बडोनी, विपिन पंत, सुरेन्द्र मोगा, राजकुमारी जुगलान, गौरव केंथुला, रमेश अरोड़ा, अजय कालड़ा, अशर्फी रणावत, हेमलता चौहान, राजेश कोटियाल, विजय जुगलान, डा विनोद जुगलान, हर्ष गवाड़ी, पूजा पोखरियाल, विनीता बिष्ट, विजय नोटियाल, सहोदरी, शशि सेमलती, मंजू गुसाई, सुसीला सेमवाल, चिता नेगी आदि लोग मौजूद रहे।

इसी कड़ी में क्षेत्रीय विधायक व मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने हरेला पर्व की शुभकामना देते हुए कहा कि यह पर्व उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण संरक्षण की हमारी परंपरा का प्रतीक है। हरेला न केवल हरियाली और समृद्धि का संदेश देता है, बल्कि हमें पर्यावरण की देखभाल के प्रति जागरूक भी करता है।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि हरेला पर्व हमें अपनी धरती और पर्यावरण की देखभाल के प्रति प्रेरित करता है। आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध और स्वस्थ वातावरण देने के लिए पौधरोपण और पर्यावरण संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या है, हरेला पर्व इसके प्रभावों को कम करने का भी सन्देश देता है। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों का आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक पौधरोपण करें और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें। डॉ अग्रवाल ने इस दिशा में जन सहभागिता को महत्वपूर्ण बताते हुए सभी सामाजिक संगठनों और संस्थाओं से भी सहयोग की अपील की है।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड अपने धर्म, अध्यात्म और संस्कृति के लिए विख्यात है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता पर्यटकों को आकर्षित करती है। इसलिए, पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। हमें अपने जल स्रोतों, नदियों और गदेरों के पुनर्जीवन और संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि हमारे लोक पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत की पहचान हैं। राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए हम सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। तभी हम अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक जड़ों से जुड़े रह पाएंगे और इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचा पाएंगे।


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