ऋषिकेश 31 दिसंबर। ऋषिकेश में ब्राह्मण सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ। जिसमें उपस्थित सभी संत महंतों द्वारा उत्तराखंड समेत भारत की प्राचीन और आध्यात्म संस्कृति को वैश्विक पटल पर उभारने के लिए मंथन किया गया।
बुधवार को ऋषिकेश स्थित मोदी योगा रिट्रीट में वैश्विक ब्राह्मण सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक सम्मेलन की अध्यक्षता राजाऋषि भूपेंद्र कुमार मोदी ने की। सम्मेलन में देश-विदेश से पधारे संत-महात्माओं, महामंडलेश्वरों, योगाचार्यों एवं विद्वानों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे राजा ऋषि भूपेंद्र कुमार मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज सनातन धर्म केवल भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह विश्व चेतना का आधार बनता जा रहा है। योग, ध्यान, आयुर्वेद, वेदांत और भारतीय जीवन दर्शन को आज विश्व के कोने-कोने में अपनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में लाखों लोग योग और ध्यान के माध्यम से सनातन मूल्यों से जुड़ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की मान्यता इस बात का सशक्त प्रमाण है कि सनातन धर्म आज संपूर्ण मानवता का मार्गदर्शन कर रहा है।
राजाऋषि मोदी ने कहा कि सनातन धर्म किसी एक पंथ या समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना पर आधारित एक वैश्विक जीवन पद्धति है। आज जब पूरा विश्व तनाव, युद्ध, हिंसा और मानसिक अशांति से जूझ रहा है, तब सनातन धर्म शांति, संतुलन और सह-अस्तित्व का समाधान प्रस्तुत करता है।
उन्होंने कहा कि भारत के संत, ऋषि और आचार्य विदेशों में जाकर सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। आज गीता, उपनिषद, वेद और गुरुकुल परंपरा का अध्ययन विदेशी विश्वविद्यालयों में भी हो रहा है, जो भारत की आध्यात्मिक शक्ति का प्रमाण है।
राजाऋषि मोदी ने कहा कि ब्राह्मण समाज ने सदियों तक इस ज्ञान परंपरा को सुरक्षित रखा। जब-जब बाहरी आक्रांताओं ने हमारे ग्रंथों और संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया, तब ब्राह्मण समाज ने इन्हें कंठस्थ कर पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाया।
उन्होंने कहा कि आज डिजिटल माध्यमों, सोशल मीडिया और वैश्विक सम्मेलनों के माध्यम से सनातन धर्म को नई पीढ़ी तक पहुँचाया जा रहा है। युवा वर्ग पुनः अपनी जड़ों की ओर लौट रहा है और भारतीय संस्कृति पर गर्व अनुभव कर रहा है।
राजाऋषि मोदी ने कहा कि सनातन धर्म प्रकृति के साथ सामंजस्य सिखाता है। पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण और पृथ्वी के प्रति सम्मान की भावना सनातन संस्कृति की मूल आत्मा है, जिसे आज पूरा विश्व स्वीकार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना के केंद्र रहे हैं। आज भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी भव्य मंदिरों की स्थापना हो रही है।
राजाऋषि मोदी ने कहा कि कुंभ, अर्धकुंभ और अन्य धार्मिक आयोजन आज वैश्विक आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं। करोड़ों श्रद्धालु भारत आकर सनातन संस्कृति और जीवन दर्शन का अनुभव कर रहे हैं।
उन्होंने वर्ष 2026 में आयोजित होने वाले कुंभ का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर भी विशेष स्नान एवं आध्यात्मिक आयोजन किया जाता है, तो यह ऋषिकेश की आध्यात्मिक गरिमा को वैश्विक स्तर पर और अधिक सुदृढ़ करेगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सनातन धर्म किसी से संघर्ष नहीं सिखाता, बल्कि सह-अस्तित्व, करुणा, सत्य और मानव कल्याण का मार्ग दिखाता है।
अपने संबोधन के अंत में राजाऋषि भूपेंद्र कुमार मोदी ने कहा “सनातन धर्म न अतीत है, न भविष्य सनातन धर्म एक निरंतर चलने वाली चेतना है, जो आज भी सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन कर रही है और भविष्य में भी करती रहेगी।”
उन्होंने बताया कि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य विश्व में सनातन धर्म के संरक्षण, संवर्धन और विकास में ब्राह्मण समाज की ऐतिहासिक एवं वर्तमान भूमिका पर व्यापक विमर्श करना रहा। वक्ताओं ने बताया कि किस प्रकार ब्राह्मण समाज ने सनातन ग्रंथों, वेद-उपनिषदों और भारतीय संस्कृति को सुरक्षित रखने के साथ-साथ मंदिरों की स्थापना एवं पुनर्स्थापना में अमूल्य योगदान दिया।
इस मौके पर महामंडलेश्वर दुर्गा दास
महामंडलेश्वर ललितानंद,महंत रामविलास देव ,योगाचार्य गोविंद
स्वामी गुरुमाल
महंत पहलाद दास
महंत केशवानंद ,
महंत विवेकानंद,
महंत विश्व केतु समेत सिंगापुर से पधारे ऋषि मनीष त्रिपाठी,
पंकज भट्ट पूर्व महापौर अनीता ममगाईं सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी द्वारा किया गया।













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