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अच्छे लोगों की संगति हमेशा नहीं मिलती अगर उनके सामने नहीं बैठ सकते तो उनके शब्दों के साथ बैठ लो: आचार्य प्रशांत, ऋषिकेश में चल रहे तीन दिवसीय अद्वैत महोत्सव का हुआ समापन,


ऋषिकेश 26 दिसंबर। :  हमेशा से आचार्य प्रशांत  के लिए वेद और उपनिषदों मे बात करने के लिए एक ख़ास शहर रहा है। शहर में चाहे तपोवन हो, या तपोवन के आगे, ब्रह्मपुरी, शिवपुरी, फूलचट्टी इत्यादि के गंगा तट हों, गहन वेदान्त चर्चाएं तो यहां 2012-13 से होती रही हैं।

और इन अनेक चर्चाओं के पीछे छुपी हैं अनेक कहानियां, अनेक रोचक क़िस्से, और अनेक ऐसे जीवन जिन्हें इन चर्चाओं ने बदल ही डाला।

पिछले महीने नवंबर के बाद अब दिसंबर मे एक और शिविर आयोजित हुआ और इस शिविर के साथ भी बहुत सी जगहों से लोग भी जुड़े. इस बार अद्वैत महोत्सव से पहले प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन संस्था के संस्थापक आचार्य प्रशांत ने भारत आध्यात्म दर्शन राष्ट्र पुस्तक का विमोचन भी किया।

उस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि लोगों की संगति हमेशा नहीं मिलती ,अगर उनके सामने नहीं बैठ सकते तो उनके शब्दों के साथ बैठ लो ,संगति ही सब कुछ है उन्होंने कहा कि हमारी संस्था का उद्देश्य मानव चेतना को जाग्रत करना भी है।मनुष्य अपने को तभी बेहतर बन सकता है जब वह पुरी तरह से चेतन होगा, परन्तु आज युवा पुस्तक पढने से विमुख हो रहा है।जिन्हें पुस्तकों की ओर वापस लाना होगा।

आयोजक अंशु शर्मा ने बताया कि संस्था के संस्थापक आचार्य प्रशांत ने विगत 2006 से भारत के वैदिक ग्रन्थों का आम जनमानस को ज्ञान देने हेतु आध्यात्मिक मिशन में कार्यरत हैं और उनकी संस्था द्वारा हिंदू समाज को उनके ग्रन्थों का ज्ञान हो सके, इसके लिए अब आगामी माह से “घर घर उपनिषद” नामक विशाल कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है।

उन्होन आचार्य प्रशांत के बारे मे बताते हुए कहा कि
प्रशांत त्रिपाठी, जिन्हें आचार्य प्रशांत के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय लेखक और एक अद्वैत शिक्षक हैं। वे गीता के सत्रह रूपों और उपनिषदों के साठ रूपों की शिक्षा देते हैं। उनकी हालिया अमेज़ॅन बेस्टसेलर पुस्तक कर्मा: व्हाई एवरीथिंग यू नो अबाउट इट इज़ रॉन्ग, पेंगुइन बुक्स द्वारा प्रकाशित की गई है।


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