नियम‌ विरुध चल रहे, एक्यूमेंट आईटीआई संस्थान को बंद नहीं किया तो ग्रामीण करेंगे आंदोलन,  भूस्वामी ने संस्थान में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने का भी लगाया आरोप


ऋषिकेश ,17 जून। नेपाली फार्म स्थित खैरी खुर्द मैं एक्यूमेन आईटीआई नाम से चलाया रहा संस्थान बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है। यदि शीघ्र बंद न किया गया, तो ग्रामीणों के साथ दिया जाएगा धरना।

यह आरोप शनिवार को ऋषिकेश प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान नेपाली फार्म में चल रहे संस्थान के भूस्वामी राणा जयेंद्र सिंह, बलदेव प्रसाद  कुकरेती, एडवोकेट खुशाल सिंह कलूडा, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राणा सुरेंद्र सिंह ने संयुक्त रूप से लगाते हुए कहा कि खैरी खुर्द विकट नेपाली फार्म श्यामपुर ऋषिकेश में संस्थान के संचालक अजय और दिल्ली के चंद्रशेखर और राम महाबल प्रजापति नाम ‎के व्यक्तियो ने उनके भवन पर वर्ष 2016 में किराए पर एक्यूमेन आईटीआई नाम का संस्थान खोला था जोकि 4 वर्षों से लगातार चला जिसके बाद वह कोरोना काल के दौरान संस्थान के संचालकों ने उनसे कहा कि वह घाटे में जा रहे हैं जिसे देखते मानवता के आधार पर उन्हें हमने कहा कि यदि आप बच्चों से फीस नहीं लेंगे तो हम भी आपसे भवन का किराया नहीं लेंगे, जिसके बाद संस्थान के संचालकों ने संस्थान को अनयत्र स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया है।

जो की पूरी तरह से नियम विरुद्ध था। जबकि नियमों के अनुसार कागजों में अभी भी आईटीआई संस्थान उसी पुराने भवन में संचालित है जो कि अन्यत्र कहीं और अभी स्थानांतरित नहीं हो सकता है। संस्थान का  पता भी उन्ही के भवन का दिया जा रहा है। जिनके द्वारा पूर्व के भवन स्वामी का 21 लाख 60 हजार रुपए किराया भी नहीं दिया  गया है। जिसकी शिकायत उन के माध्यम से उत्तराखंड के तकनीकी  ‌निदेशक सहित भारत सरकार के तकनीकी संस्थान को भी की गई है जिनके द्वारा उक्त संस्थान द्वारा संचालित गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाए जाने के लिए निर्देशित भी किया गया, परंतु उसके बावजूद भी संस्थान में गतिविधियां जारी है, जिनके द्वारा बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि संस्थान के संचालकों के विरुद्ध उप जिलाधिकारी और रायवाला थाने में भी शिकायत दर्ज कराई गई है, परंतु संस्थान के  संचालकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि उक्त संस्थान को तत्काल बंद नहीं कराया गया तो ,वह प्रशासन के विरुद्ध धरना देने के लिए मजबूर होंगे।

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