बंगाल बचाओ” मंच की वर्चुअल  पत्रकार वार्ता

 

देहरादून 27 मई । आज “बंगाल बचाओ” (Save Bengal) के अंतर्गत उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में सेवा निवृत्त मुख्य न्यायाधीश, नैनीताल हाई कोर्ट, न्यायाधीश बी.सी. काण्डपाल और सेवा निवृत्त मेजन जनरल रणवीर यादव ने इस विषय पर एक वर्चुअल पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर निवृत्त मेजर जनरल के.डी. सिंह और (Save Bengal) के सदस्य राजेश सेठी उपस्थित रहे। श्री सुभाष कुमार पूर्व मुख्य सचिव कुछ पारिवारिक कारणवश प्रेस कांफ्रेंस में नहीं जुड सके। राजेश सेठी वर्चुअल प्रेस वार्ता का संचालन किया।

समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित पूर्व न्यायपालिका,प्रशासनिक सेवा, सशस्त्र बलों एवं राजनयिक पदाधिकारियों के मंच ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने पर विशिष्ट लक्षित नागरिकों के प्रति हिंसा की जांच की अनुशंसा महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द से की है।
राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में उक्त पदाधिकारियों ने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने वाले लोगों के विरूद्व प्रतिशोध हिंसा, बलात्कार, हत्या और आगजनी करने वालों के विरूद्व एन.आई.ए. को जांच सोंपने की मांग की है। मंच ने चिन्ता व्यक्त की है कि हिंसा के शिकार लोगों को जान बचाने के लिए पड़ोसी राज्यों में भागकर शरण लेनी पडी है।
न्यायाधीश  बी.सी. काण्डपाल ने बताया कि पश्चिम बंगाल के 23 में से 16 जिले हिंसा से बुरी तरह प्रभावित है। महिलाओं सहित 25 लोग हिंसा में मारे गए है। 15 हजार से अधिक हिंसा की घटनाऐं हुई है। 4000 से 5000 लोग कथित रूप से सीमावर्ती प्रदेशों में पलायन कर चुके हैं। ऐसे शरणार्थी बने लोगों के लिए राहत पैकेज की आवश्यकता है। लक्ष्यीकरण द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति और धार्मिक बे अदबी की घटनाएं सबसे खराब अभिव्यक्ति है। विशेष पोशाक और एक पार्टी के लोगों द्वारा प्रतिशोध की भावना से हिंसा करने वालों तथा उन लोक सेवकों के विरूद्व भी कार्यवाही हो जो निष्पक्ष कार्यवाही में विफल रहे हैं। एन.आई.ए. द्वारा जांच जरूरी है, क्योंकि मामला देश की संस्कृृति और अखंडता पर राष्ट्रीय हमला है।

सेवा निवृत्त मेजर जनरल  रणवीर यादव ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का मामला है परंतु नव निर्वाचित सरकार पश्चिम बंगाल में हिंसा रोकने, हिंसा की निष्पक्ष जांच करने एवं दोषियों के विरूद्व कार्यवाही करने में पूर्णतः असफल रही है, जबकि नागरिकों की पूर्ण सुरक्षा का जिम्मा राज्य सरकार का होता है। किसी भी प्रकार की जान, माल या सम्पत्ति के नुकसान की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है।

 

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