हरिद्वार 28 मई । विवाद बाबा रामदेव का पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहे हैं। पहले ऐलोपैथिक चिकित्सकों पर बयान, उसके बाद पतंजलि गुरुकुलम हरिद्वार स्थित वैदिक कन्या गुरुकुलम से छत्तीसगढ के गरियाबंद जिले के चार बच्चों का विवाद गहरा गया है। हालांकि चारों बच्चों को सकुशल उनके पालकों को सुपुर्द कर दिया गया है। बच्चों के पालक कौशल कुमार सिन्हा और ललित राम सिन्हा ने बताया कि गुरुकुलम प्रबंधन से बातचीत के बाद बच्चों को उन्हें सकुशल सुपुर्द किया गया है।
बताया जा रहा है कि देवभोग ब्लॉक के धौराकोट और छैलडोंगरी के रहने वाले 4 बच्चों को वापस गृह ग्राम भेजने के लिए इंकार किया जा रहा था। पालकों ने इन चारों बच्चों को पढ़ाई के लिए हरिद्वार के पतंजलि योगपीठ संस्थान के पतंजलि गुरुकुलम भेजा था। पालकों ने बच्चों को घर में अति आवश्यक काम एवं उनकी माताओं की अचानक तबियत बिगड़ जाने के कारण उन्हे वापस बुलाने की ठानी। जब बच्चों के अभिभावक उन्हें वापस लेने गए, तब पालकों से पैसों की मांग की गई।
पालकों ने मामले की शिकायत छत्तीसगढ़ में की। जिसके बाद तत्काल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर गरियाबंद कलेक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर ने उत्तराखंड में पदस्थ अपने बैचमेट आईपीएस आशीष श्रीवास्तव के जरिए हरिद्वार के कलेक्टर से चर्चा कर मामले की जानकारी दी।
इसके बाद तत्काल ही वैदिक गुरुकुलम के प्रबंधन से बातचीत कर बच्चों को परिजनों को सौंपा गया। एगरियाबंद एसपी भोजराज पटेल ने भी उत्तराखंड में पदस्थ अपनी बैचमेट आईपीएस तृप्ति भट्ट के जरिए चर्चा कर हरिद्वार के पुलिस अधीक्षक से आवश्यक कार्रवाई के लिए बात की। बच्चों के अभिभावक कौशल कुमार सिन्हा ने बताया कि गुरुवार रात 10.40 बजे चारों बच्चों को उन्हें सुपुर्द किया है। जिला प्रशासन की पहल से परिजन पूरी तरह संतुष्ट हैं। कौशल सिन्हा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संवेदनशील प्रयासों के लिए भी उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया है। साथ ही कलेक्टर निलेश क्षीरसागर और एसपी भोजराज पटेल को भी त्वरित कार्रवाई के लिए धन्यवाद दिया है।
परिवार ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को एक पत्र लिखा। जिसमें यह सभी बातें कही गईं। किसी तरह से देर शाम जिलाधिकारी और एसएसपी के हस्तक्षेप के बाद आचार्यकुलम से परिवार बच्चों को ले जाने में कामयाब हो गया। बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी गरियाबंद जिलाधिकारी निलेश कुमार क्षीरसागर को निर्देश दिया था। जिसके बाद उन्होंने अपने स्तर पर अधिकारियों से बातचीत की और बच्चों को वापस बुलाया गया। इस संबंध में सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट करते हुए बच्चों को छुड़ाने के लिए गरियाबंद प्रशासन की सराहना की है। उन्होंने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
वहीं बाबा रामदेव के प्रवक्ता एसके तिजारावाला का कहना है कि यह सब आरोप बेबुनियाद हैं। आचार्यकुलम में जो कोई भी विद्यार्थी पढ़ने आता है, वह आचार्य बनने आता है। ऐसे में जब यहां पर किसी का दाखिला होता है, तो सभी नियम-कायदे उन्हें बताए जाते हैं। जिस वक्त बच्चों का दाखिला हो रहा था, उस वक्त तमाम कागजी कार्रवाई भी होती है, क्योंकि पतंजलि एक प्रतिष्ठित संस्थान है। लिहाजा यहां पर किसी तरह का कोई हेरफेर नहीं हो सकता। परिवार जो बात कह रहा है, वह बेबुनियाद है। किसी भी संस्थान को चलाने के लिए नियम जरूरी होते हैं। अगर वह बच्चों को ले जाना चाहते थे, तो जो भी फॉर्मेलिटीज होती हैं, वह पूरी नहीं कर रहे थे। इसीलिए उन्हें इंतजार करना पड़ा। बाद में सभी चीजें सही होने पर बच्चों को परिजनों के साथ भेज दिया गया है।
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