15 वर्षों के बाद ऋषिकेश निगम प्रशासन ने गढ़वाल आयुक्त के निर्देश पर भूरी माई ट्रस्ट की संपत्ति पर अधिग्रहण की कार्रवाई को दिया अंजाम – किरायेदारों ने संपत्ति पर कार्यवाही का किया विरोध
ऋषिकेश, 31 अगस्त। पिछले 15 वर्षों से विवादों के घेरे में फंसी भूरी माई की धर्मशाला की संपत्ति पर आयुक्त गढ़वाल मंडल के आदेश पर नगर निगम प्रशासन की एक्शन कमेटी ने ट्रस्ट की संपत्ति के अधिग्रहण की कार्रवाई को आज अंजाम देते हुए कार्रवाई की।
सोमवार आयुक्त गढ़वाल मंडल के आदेश के प्रतिपालन में ट्रस्ट की कई एकड़ में फैली तीन संपत्तियों के बाहर कुछ पार्षदों द्वारा विरोध के बावजूद सार्वजनिक नोटिस का बोर्ड लगा दिया गया। मौके पर ट्रस्ट की संपत्ति पर काबिज कुछ लोग ने प्रतिरोध किया। जिन्हें नगर निगम प्रशासन की ओर से न्यायालय में जाने की सलाह दी गई।
आयुक्त गढ़वाल मंडल व अध्यक्ष लैंड फ्रॉड समन्वय समिति गढ़वाल मंडल सुशील कुमार की ओर से भूरी माई ट्रस्ट की संपत्ति के मामले में बीते 25 अगस्त को स्पष्ट आदेश जारी करते हुए नगर निगम को ट्रस्ट की संपत्ति को कब्जे में लेने के आदेश जारी किए थे।
साथ ही समिति अध्यक्ष ने यह भी आदेश दिए थे ,कि जो व्यक्ति यहां रह रहे किरायेदारों से अवैध रूप से किराया वसूल कर रहा है, उसके खिलाफ संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई जाए। नगर निगम प्रशासन की ओर से इस मामले में तीन दिन पूर्व एक्शन कमेटी का गठन करके उसमें नगर आयुक्त राहुल कुमार गोयल को अध्यक्ष बनाया था।एक्शन कमेटी ने तहसीलदार अमृता शर्मा की मौजूदगी में तीनों संपत्ति के बाहर सार्वजनिक नोटिस बोर्ड लगाने की कार्रवाई शुरू की।
मौके पर नगर निगम पार्षद मनीष कुमार शर्मा , देवेंद्र प्रजापति और कुछ किरायेदारों ने यह कहकर विरोध किया कि हम यहां 30 से 40 वर्ष से काबिज है। हमें इस तरह से बेघर ना किया जाए। सहायक नगर आयुक्त ने बताया कि जो भी व्यक्ति नगर निगम को किराया दे रहा है ,उसे बेदखल नहीं किया जाएगा। यह कार्रवाई आयुक्त के आदेश पर की जा रही है। जिस व्यक्ति को आपत्ति है वह न्यायालय में जा सकता है। निगम प्रशासन का कहना है कि उक्त संपत्ति पर 43 किरायेदारों का कब्जा है।
मौके पर पहुंचे कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर राय, पार्षद देवेंद्र प्रजापति, मनीष शर्मा, स्वयं को अध्यासी बताने वाले कृष्ण केशव ने कहा कि 25 अगस्त को आयुक्त ने आदेश जारी किए, एक सप्ताह तक आदेश को संबंधित न्यायालय में चुनौती देने का अधिकार न्याय प्रक्रिया के तहत दिया जाता है। मगर नगर निगम ने इससे पहले ही आदेश पर अमल करना शुरू कर दिया। नगर निगम प्रशासन ने इस तरह के विरोध को दरकिनार कर तीनों संपत्तियों में सार्वजनिक बोर्ड लगाने की कार्रवाई पूरी की।
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