ऋषिकेश,03 अगस्त ।: उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत की सिफारिश पर रुड़की से ऋषिकेश एम्स में उपचार के लिए लाए गए12 दिन के बच्चे को आईसीयू बेड नहीं मिलने से उसकी मौत हो जाने के बाद एम्स की लापरवाही सामने आने के चलते , एम्स प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
मृतक नवजात के पिता रुड़की निवासी भूपेंद्र सिंह 1 अगस्त की शाम को रुड़की से अपने बच्चे की तबीयत खराब होने के बाद एम्स ऋषिकेश उपचार के लिए लाये थे. उनका कहना है कि मेरे बच्चे का पेट फूल रहा था, संभवत इंफेक्शन था। जिसे रुड़की से डॉक्टरों ने एम्स के लिए रेफर किया था।एम्स आने के बाद बच्चे को इमरजेंसी भर्ती किया गया था ।
एम्स के डॉ संजीव मित्तल का कहना है, कि बच्चे को ऑक्सीजन भी दिया गया था, लेकिन उस दौरान आईसीयू बेड उपलब्ध नहीं होने के कारण बच्चे को जौलीग्रांट भेजा गया । जिसे लेकर परिजन जब तक वहां पहुंचते बच्चे ने रास्ते में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया। बच्चे के पिता भूपिंदर सिंह का कहना है ,किि यह उनका पहला बेबी था।
एम्स के मेडिकल सुपरीटेंडेंट संजीव मित्तल का कहना है कि “1 अगस्त को जब बच्चे को लाया गया था तो इमरजेंसी में उसको देखा गया था, ऑक्सीजन भी दी गई थी, लेकिन आईसीयू बेड नहीं होने के कारण बच्चे को अन्य जगह ले जाया गया. जहां रास्ते में उसकी मौत हो गई ऐसे में उनका कहना था कि यहां पर बेड की व्यवस्था बढ़ाई जा रही है।
एम्स को जगह और मिल रही है उसके बाद और बढ़ाई जाएगी।उनका कहना है यहां पर जो भी मरीज आता है हम उसको उपचार देते हैं. कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। 12 दिन के बच्चे को 12 साल का बताने के मामले पर डॉक्टर मित्तल ने कहा मुझे जानकारी पहले 12 साल के बच्चे की दी गई थी आज सुबह फिर मैंने जब पता किया ,तो पता चला कि बच्चा 12 साल का नहीं 12 दिन का था। प्रीत उपेंद्र सिंह ने उक्त मामले की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने के साथ दोषी चिकित्सकों के हुए कार्रवाई की मांग की है।
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