21 वर्ष पहले खारिज किए गए पट्टे पर‌ अवैध रूप से काबिज प्रशासन, न्यायालय के आदेश पर स्वर्गाश्रम ट्रस्ट से भूमि वापस ले – नगर पंचायत सभासद ने कार्रवाई ना होने पर अवमानना का वाद दायर करने की दी चेतावनी


 

ऋषिकेश, 19 सितम्बर ।जनपद पौड़ी गढ़वाल के अंतर्गत लगभग 21 वर्ष पहले जिलाधिकारी द्वारा निरस्त किए गए स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट की भूमि के पट्टे के बावजूद भी जमीन खाली न किए जाने के विरुद्ध नगर पंचायत जौंक स्वर्गाश्रम के सभासद नवीन राणा ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उच्च न्यायालय के आदेश पर स्वर्गाश्रम ट्रस्ट से भूमि वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो न्यायालय में अवमानना का वाद दायर किया जाएगा।

जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल को पत्र प्रेषित करे नगर पंचायत के सभासद नवीन राणा ने कहा कि नगर पंचायत जौंक स्वर्गाश्रम के पूर्व वर्ती राजस्व ग्राम जौंक में स्वर्गाश्रम ट्रस्ट के नाम ग्राम जौंक की कुल 68 नाली व 11 मुट्ठी भूमि का एक पट्टा धर्मार्थ प्रयोजन हेतु गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के अनुसार स्वर्गाश्रम ट्रस्ट के नाम स्वीकृत था। वर्ष 1999 में तत्कालीन जिलाधिकारी गढ़वाल ने आदेश जारी कर स्वीकृत पट्टे निरस्त कर दिए। निरस्तीकरण के उपरांत भी स्वर्गाश्रम ट्रस्ट ने उक्त भूमि को रिक्त नहीं किया।

सभासद ने बताया कि जनवरी 2022 में उन्होंने ट्रस्ट के खिलाफ आंदोलन किया था और सरकारी भूमि के दुरुपयोग और ट्रस्ट के कार्यकलापों की जांच की मांग की थी। इस बीच वर्ष 2022 में ट्रस्ट ने उच्च न्यायालय में एक वाद यह कहते हुए दर्ज किया गया कि उक्त भूमि में साधु संतों के निवास के लिए आवास बनाए गए हैं।

सभासद राणा ने बताया कि स्वर्गाश्रम ट्रस्ट की ओर से दायर की गई याचिका में छह जनवरी 2022 को ट्रस्ट के तथ्यों को खारिज करते हुए स्वर्गाश्रम ट्रस्ट के विरुद्ध आदेश पारित किये गए। न्यायलय ने सरकार को निर्देशित किया कि संबंधित भूमि पर यथाशीघ्र कब्जा प्राप्त करें। उन्होंने बताया कि स्वर्गाश्रम ट्रस्ट पूर्व में ही लगभग ढाई हजार नाली भूमि पर काबिज है। लेकिन इसके बावजूद भी इन्हें सरकारी जमीन की आवश्यकता क्यों है।

उच्च न्यायालय ने ट्रस्ट के विरुद्ध फैसला देते हुए यह आदेश किया गया कि सरकार अतिशीघ्र 68 नाली भूमि पर कब्जा ले। परंतु शासन, प्रशासन सभी लोग मौन हैं। सरकार के इस प्रकार के रवैया से क्षेत्रीय जनता में रोष है। सरकार क्षेत्रीय जनता को न्यायालय में अवमानना वाद दायर करने हेतु बाध्य कर रही है।


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