ऋषिकेश में अब गोबर से बनी लकड़ियों से किया जाएगा दाह संस्कार -अनिल किंगर

ऋषिकेश 29 अप्रैल । तीर्थ नगरी ऋषिकेश मैं  मृतकों के दाह संस्कार के लिए लकड़ियों का अभाव होने लगा है । ऋषिकेश में सामान्य परिस्थितियों से उलट कोरोना काल में जहां मृतकों की संख्या बढ़ी है जिससे ऋषिकेश के शमशान घाट के लकड़ी स्टॉल में लकड़ीया खत्म होने लगी है ।ऋषिकेश चंदेश्वर नगर स्थित शमशान घाट के संचालक अनिल किंगर ने बताया कि जहां सामान्य परिस्थितियों में रोजाना 4 से 5 शव अंतिम संस्कार के आते थे वहीं अब रोजाना 15 से 20 शव अंतिम संस्कार के लिए लगातार रूप से आ रहे हैं, जिनके लिए लकड़ियों की पर्याप्त संख्या की पूर्ति कर पाना कठिन हो गया है। दाह संस्कार के लिए लकड़ी को लकड़ी स्टॉल से ले जाकर क्रिया स्थल तक पहुंचाने में काफी दिक्कत आ गई थी। जिसे देखते हुए अस्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है वहीं उन्होंने बताया कि लगातार दाह संस्कार में उपयोग की जाने वाली लकड़ियों की कमी को देखते देखते हुए हरिद्वार में लगे गोबर की लकड़ी के प्लांट से अब गोबर से निर्मित की गई, लकड़ियांं गुरुवार को मंगवाई गई है। जिसका एक ट्रक पहुंच भी गया है। जोकि 600 से ₹700 प्रति क्विंटल के हिसाब से दाह संस्कार करने वाले लोगों को उपलब्ध होगी। यह लकड़ी सामान्य लकड़ियों के साथ दी जाएगी ,अभी उनके द्वारा पहले एक मृतक के दाह संस्कार के लिए 4 कुंटल लकड़ी दी जा रही थी ।परंतु अब लगातार आ रहे, मृतकों के शवों के संस्कार किए जाने के लिए लकड़ियों के अभाव को देखते हुए निर्णय लिया गया कि एक शव को जलाने के लिए ढाई क्विंटल लकड़ी ही उपलब्ध करवाई जाएगी। अनिल किंगर का कहना था ,कि अगर गोबर से निर्मित लकड़ी का शव संस्कार में प्रयोग सफल रहेगा, तो वह इसका प्लांट ऋषिकेश में ही सरकार अगर जगह उपलब्ध करवाएगी तो लगवा देंगे। उन्होंने बताया कि गोबर से निर्मित लकड़ी के प्लांट के लिए 2 से 3 बीघा जमीन की आवश्यकता है। जिससे ऋषिकेश में ही प्लांट लगने से उन्हें लकड़ी की पूर्ति के लिए भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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