ऋषिकेश ,21 दिसम्बर । अखिल भारतीय गोक्रांति के ध्वजवहाक द्वारा त्रिवेणी घाट पर आयोजित सात दिवसीय धनु मानस गो कथा का शुभारंभ नगर में निकाली गई कलश यात्रा के बाद गंगा में दूध अभिषेक किए जाने के साथ हुआ।
मंगलवार को प्रारंभ गऊ कथा पीठ पर विराजमान गोपाल मणि महाराज एवं आचार्य सीताशरण महाराज ने कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि यह गौकथा दुनियां की सबसे पुरानी कथा है जिसको आज हम भूल गये है ,गौमाता सनातन धर्म की मूल है।महाराज ने कहा कि भगवान राम और कृष्ण भी इस धरा पर गौ की रक्षा के लिए अवतरित हुए है।
इस देश में करोड़ो राम कृष्ण भक्त है, फिर भी गौमाता का तिरस्कार हो रहा है। महराज ने पूरे देश वासियों से आह्वान किया कि घर का कूड़ा कचरा नदियों में प्रवाहित कर नदियों को प्रदूषित करने कि जो गलत परम्परा चल पड़ी है । वह बड़ी दुखदाई है जिसके विरोध में अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है।
महाराज ने मंच से कहा कि वैसे तो भगवान गणेश हमेशा घर में रखने चाहिए विसर्जन नही कर अगर विसर्जित करना ही है तो गौमाता के गोबर की बनी गणेश की मूर्तियों को विसर्जित करें ,इससे नदियां प्रदूषित नही होगी। बल्कि वातावरण शुद्ध होगा। इस अवसर पर चंदना साधुका ने सेकड़ो गौ गंगा भक्तो के साथ 251 कुंतल दूध से वैदिक मंत्रो चार के साथ माँ गंगा का दुग्ध अभिषेक किया।
इस अवसर पर आचार्य राकेश सेमवाल,आर के सूरी, सूरज मणि रतूड़ी, सते सिंह गुसाई,आचार्य सूरत राम डंगवाल,घनसाली प्रभारी मनमोहन डिमरी ,गोपाल रतूड़ी,करतार सिंह ,महावीर खण्डूरी, आचार्य कुलानंद कंसवाल आदि सैकड़ों गौभक्त उपस्थित थे।
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