ऋषिकेश,22 दिसम्बर । गौ भक्त मंडल ऋषिकेश के द्वारा आयोजित द्बारा गंगा तट स्थित त्रिवेणी घाट पर, ऋषिकेश में गोपाल मणि महाराज एवं आचार्य सीता शरण के मुखारबिद से धेनुमानस गौ कथा के दूसरे दिन सैकड़ों गौभक्तों के बीच प्रवचन करते हुए संत गोपाल मणि महाराज ने कहा कि हमारे यहां भगवान के जितने भी अवतार हुए हैं, सब धर्म रक्षा के लिए हुए हैं। जब-जब धर्म की हानि हुई है ,धर्म की ग्लानि हुई है ।
जब-जब समाज में अधर्म और राक्षस प्रवृत्ति व्यविचार बढ़ा है ,तब तब भगवान ने अवतार लिए हैं और धर्म की मूलजीवन में सुख प्राप्ति का एक ही मार्ग है गौ सेवा आधार गौमाता है ।जो आज का समाज भूल गया है ।
धार्मिक आयोजन तो बहुत हो रहे है, लेकिन दुर्भाग्यवश धर्म की मूल गौमाता लाखों की संख्या में आज भी कत्लखानों में कट रही है। रामचरितमानस के अंदर रावण का प्रसंग सुनाते हुए मणि ने कहा रावण ने हमेशा धर्म की मूल गौमाता को खत्म करने का प्रयास किया है ।इसलिए रावण उच्चकुल में पैदा होते हुए भी राक्षस कहलाये।
महाराज ने कहा कि अपने ही कर्मो का फल मनुष्य भोगता है न उसे कोई सुख दे सकता है न कोई उसे दुःख दे सकता है इसलिए हम अपने कर्म के माध्यम से बीज वो सकते है। मानव बैठकर कथा सुनता है जिससे भगवान हमें अपनी शरण में रखे। इस संसार में पाप की कोई कमी नहीं है ।
लेकिन उन पापों का अगर सर्वथा नाश हो सकता है तो गौ सेवा और गौवर्धन कार्य एवं भगवान की कथा भगवान के नाम से ही हो सकता है।उन्होने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता आज पूरे विश्व में पढी और पढ़ाई जाती है ।
इस गीता का प्रादुर्भाव भगवान कृष्ण के श्रीमुख से हुआ है श्रीमद्भगवद्गीता को भगवान कृष्ण ने गौ माता के दूध पीकर ही गाया है.. आज जरूरत है कि पुनः अब भारत के लोगों गौ का दूध पिलाया जाय इसके लिए गौ की रक्षा अतिआवश्यक है गाय बचेगी तो भारत बचेगा जिस दिन भारत से गौ खत्म हो गयी उस दिन भारत का अस्तित्व भी खतरे में पढ़ जाएगा।
इस अवसर पर प्रवचन के माध्यम से आचार्य सीताशरण ने कहा महाराज ने कहा कि “मानव धर्म क्या सिखाता है ? मानव धर्म ये नहीं की 24 घंटे खाओ – कमाओ अपने बच्चे को पालों, और आओ सो जाओ और दुनिया से चले जाओ ये मानव धर्म नहीं इसके अलावा भी बहुत कुछ है जो हम नहीं करते, जो हमें करना वो क्या है, दीन दुखियों पर दया करों बने तो सेवा करो पूज्य आचार्य सीता शरण जी ने कथा में भगवान श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाई और भजन “गोकुल का मेरा कान्हा है…. गोकुल का मेरा कान्हा है मेरा कान्हा है”…..भजन स्रोता खूब झूमें।।
इस अवसर पर अस्सी वरुणा पीठ के महंत पूज्य आचार्य शिव प्रसाद सेमवाल,श्रीमती चंदना साधुक, सुमन कुमार साधुका( चंदना फ्लावर सेंटर),श्रीमती सावित्री गैरोला,श्रीमती मूंगा देवी, श्रीमती अबल देवी,आचार्य सूरतराम डंगवाल,आचार्य महावीर खण्डूरी,सूरजमणि रतूड़ी,आर के सूरी,सते सिंह गुसाईं, शौभा भंडारी, साब सिंह पंवार आदि कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे हैं।
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