धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति केवल गाय से हो सकती है:गोपाल मणि
ऋषिकेश 24 दिसंबर। ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर धेनुमानस गौ कथा के चौथे दिन सैकड़ों गौभक्तों के बीच प्रवचन करते हुए प्रसंग में गोपाल मणि महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन का लक्ष्य है ।
धर्म अर्थ काम और मोक्ष की प्राप्ति लेकिन इन सबकी प्राप्ति इस कलियुग में सहज रूप से केवल गौ से ही सम्भव है गाय के पास क्या नही है सब कुछ है लेकिन यह तभी सम्भव होगा जब गौ को सम्मान मिलेगा इसीलिए गौ को कामधेनु कहा गया है अर्थात समस्त कामनाओं पूर्ति करने वाली केवल और केवल गौमाता है । आगे प्रसंग में मणि महाराज जी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में गौ की अनन्त महिमा बताई गई है। सनातन धर्म में जितने भी सत्कर्म है वह सभी बिना गाय के नही हो सकते हैं प्रत्येक सत्कर्म की साक्षी गौ है। भारत और गाय दोनों एक दूसरे के पूरक है इसीलिए भारत को माता कहा गया है गौमाता ही भारतमाता है।
महाभारत का प्रसंग सुनाते मणि जी ने कहा कि जहां गाय है वही भारत है जहां गायों का सम्मान है।
पूज्य आचार्य सीता शरण जी ने कहा भक्त के जीवन में भी दुख बहुत होते हैं लेकिन ये बात भी सत्य है कि प्रभु भक्त के चेहरे पर कभी मायूसी नहीं रहती है भक्ति दुख नहीं मिटाती है बस दुख सहने की क्षमता को इतना बढ़ा देती है कि बड़े से बड़ा दुख भी उसके आगे बौना ही नजर आता है। भक्ति जीवन का श्रृंगार है। भक्ति वो प्रसाधन है जो जीवन के सौंदर्य को बढ़ा देता है। प्रभु श्री राम स्वयं माँ शबरी से कहते हैं कि-
भगति हीन नर सोहइ कैसा।
बिनु जल बारिद देखिअ जैसा॥
जैसे बिना जल के बादल शोभाहीन एवं अनुपयोगी हो जाता है, उसी प्रकार भक्तिहीन मानव का जीवन भी समझा जाना चाहिए।
प्रभु चरणों में विश्वास हमारे अंदर की सकारात्मकता को बनाए रखकर हमारे आत्मबल को मजबूत बनाता है। सत्य कहें तो भक्ति ही किसी व्यक्ति के अंदर साहस पैदा करती है। हनुमानजी महाराज ऐसे ही साहसी और बलशाली नहीं बन गये। सच पूछो तो भक्ति के प्रताप से ही वो साहसी औ बलशाली भी बन पाये हैं। इस अवसर पर श्रीमती चंदना साधुका , सूरज मणि रतूड़ी, सते सिंह गुसाई, श्रीमती नागेश्वरी, डॉ सीता जुयाल,गोपाल रतूड़ी आदि कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे हैं।
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