ऋषिकेश/हरिद्वार 29 मार्च। परमार्थ निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती के खिलाफ हरिद्वार के कुछ संत विरोध में खड़े हो गए। उनका आरोप है कि चिदानंद मुनि ने सनातन धर्म और संस्कृति के विरूद्ध कार्य किया है।
पूरा मामला परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती की मुस्लिम समाज के लोगों के साथ वायरल हो रहे फोटो पर बखेड़ा खड़ा हो गया है। कुछ फोटो को सोशल मीडिया पर यह क्या कर वायरल किया जा रहा है कि आश्रम के ऋषि कुमारों द्वारा मुस्लिम समाज के लोगों की नमाज के लिए गंगा के तटों को साफ कराया गया।
इन फोटो के वायरल होने के बाद शांभवी आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप की अध्यक्षता में सोमवार को संतों की बैठक हुई। बैठक में आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि गंगा के पावन तट पर नमाज पढ़ने से संत आहत हैं। काली सेना इसका विरोध करेगी। उन्हें सनातन धर्म और अखाड़े से बाहर करने की मांग करेगी। उनका कहना है कि योग नगरी के संत ने सनातन धर्म और संस्कृति का अपमान किया है।
दूसरी ओर परमार्थ निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सफाई देते हुए कहा कि यह चार वर्ष पुरानी फोटो है जिसे जानकारी के अभाव में सोशल मीडिया पर डाली गई और जो सत्य से परे हैं। उन्होंने वायरल करने वाले फेसबुक यूजर की सद्बुद्धि के लिए भी प्रार्थना की है उन्होंने कहा कि सच ये है कि चार साल पहले 2018 में एक बैठक हुई थी, जो (राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान) राष्ट्र की गरिमा बनाए रखने के लिए थी। वर्ष 2018 में देवबंद के विभिन्न मदरसों में पढ़ने वाले 100 छात्रों को राष्ट्रीय इमाम संघ के मुख्य इमाम डॉक्टर उमैर अहमद इलियासी परमार्थ निकेतन लेकर आए थे जहां पर डॉक्टर उमैर अहमद इलियासी और उन्होंने एक साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराया था वह सभी हिंदू और मुस्लिम धर्म के छात्रों ने हाथों में तिरंगा झंडा लेकर राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया था। जबकि कुछ लोगों ने इस को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया है।
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