हरिद्वार, 13 अप्रैल ।आदि गुरु शंकराचार्य के सानिध्य में प्रारंभ हुई चारों धाम छड़ी यात्रा का शुभारंभ हरिद्वार में गंगा स्नान के बाद विधि विधान से आह्वान पीठाधीश्वर आचार्य महामण्ड़लेश्वर स्वामी अरूण गिरी महाराज के संचालन और श्री महन्त गोपाल गिरी महाराज राष्ट्रीय अध्यक्ष षड् दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति की अध्यक्षता में किया गया।
गुरुवार को हरिद्वार स्थित ब्रह्मकुंड में आयोजित छड़ी स्नान कार्यक्रम के दौरान सुबह विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई, षड दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल गिरी ने बताया कि देव भूमि उत्तराखण्ड़ चारोधाम में छड़ी यात्रा की परंपरा सन् 805 ई० की आह्वान अखाड़े की है । उस समय मात्र तीन अखाड़े ही थे, आहवाहन,अटल, और महानिर्वाणी, यह तीनों अखाड़े के साधु ही आदि गुरु शंकराचार्य महाराज के साथ ऋषिकेश से बसन्त पंचमी को हृषिकेश नारायण देवता की स्थापना कर के 13 अप्रैल को हरिद्वार व 14 अप्रैल को ऋषिकेश त्रिवेणी संगम त्रिवेणी घाट में छड़ी का स्नान श्री बद्रीनारायण के लिए रवाना हुई थी। तभी से यह पैदल छड़ी यात्रा की परम्परा है ।
छड़ी यात्रा अखाड़ा श्री शम्भु पंच दश नाम आवाहन नागा संन्यासी की थी, जिस का संचालन षड् दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति ऋषिकेश द्वारा संचालित किया जाता रहा है। जिस में बाद में सभी अखाड़े के साधु समलित हुए जिसे षड् दर्शन साधु समाज की छड़ी यात्रा के नाम से संचालित किया जाता है।
13 अप्रैल 2023 ई० वृहस्पतिवार को आवाहन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्ड़लेश्वर स्वामी अरूण गिरी महाराज , उपाध्यक्ष स्वामी चैतनानन्द गिरी जी, अखाड़े के श्री महन्त थाना पति रवि गिरी जी,थाना पति प्रेम गिरी , कारवारी लालेश्वर गिरी, महन्त प्रयाग गिरी, महन्त भोला गिरी, गोपाल दास गुड्डू ब्रह्मचारी, आचार्य पण्डित सुबोध शास्त्री आदि की उपस्थिति में छड़ी ने स्नान किया और हरिद्वार भूपत वाला से ऋषिकेश के लिए रवाना हो हुई, जो कि 14 अप्रैल को प्रातः श्री वीरभद्र महादेव दर्शन कर त्रिवेणी घाट ऋषिकेश में त्रिवेणी संगम में 11/15 बजे स्नान कर मां गंगा की भोग आरती कर श्री गंगा अन्नपूर्णा अन्न क्षेत्र लंगर में भोग प्रसाद लेगी। और जन्ता के दर्शनार्थ मन्दिर श्री गौरीशंकर महादेव के अन्तर्गत त्रिवेणी मन्दिर में रखी जायेगी, तथा दुसरे दिन सभी आश्रम और मंदिरों में दर्शन देगी। और अक्षय तृतीया को यमनोत्री पंहुचेगी , और गंगा सत्मी को गंगोत्री पंहुचेगी, तथा फिर केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ के लिए रवाना होगी।
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