पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की बड़ी मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने दिया दोषी करार, पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर वन क्षेत्र को नष्ट करने का मामला

 दिल्ली देहरादून 6 मार्च । उत्तराखंड सरकार में वन मंत्री रहते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर वन क्षेत्र को नष्ट करने के मामले में पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने आदेश में  दोषी करार दिया है जिसके बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की मुश्किलें थामती नजर नहीं आ रही है। 

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत को पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में जंगल और पारिस्थितिकी को नष्ट करने का दोषी ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि ये राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के बीच सांठगांठ का स्पष्ट मामला है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चल रही सीबीआई जांच को तीन महीने के भीतर शीर्ष अदालत को स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अब वो जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में पेड़ों की कटाई, अतिक्रमण और नियमों के उल्लंघन की सीबीआई जांच की निगरानी करेगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर वन क्षेत्र को नष्ट करने के लिए दोषी अधिकारियों से लागत वसूलने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने परिधीय और बफर क्षेत्र में बाघ सफारी और चिड़ियाघर के निर्माण की अनुमति दी है लेकिन कुछ शर्तों के साथ। ये शर्तें आज शीर्ष अदालत द्वारा गठित विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा तैयार की जाएगी। इस समिति द्वारा तैयार दिशानिर्देश पूरे भारत में लागू होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में राष्ट्रीय उद्यानों के लिए केंद्र द्वारा तैयार किए गए दिशानिर्देशों को रद्द कर दिया। एससी ने कहा कि इन दिशानिर्देशों ने पर्यटन को बढ़ावा दिया और वन और वन्यजीव संरक्षण की अनदेखी की। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि टाइगर सफारी और चिड़ियाघरों की स्थापना के लिए विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार की जाने वाली शर्तों पर 2016 के दिशानिर्देशों पर विचार किया जा सकता है, जो सिर्फ पर्यटन ही नहीं, बल्कि इको टूरिज्म को भी बढ़ावा देते हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि सफारी और चिड़ियाघरों में केवल घायल जानवरों और जिनका इलाज और पुनर्वास चल रहा है, उन्हें ही प्रदर्शित किया जा सकता है।

स्थापित एवं निर्माणाधीन टाइगर सफारी को परेशान नहीं किया जाएगा। हालाँकि उन्हें पारिस्थितिकी और शोर पर विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार की गई शर्तों का पालन करना होगा।

उत्तराखंड सरकार को दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने और तीन महीने के भीतर अदालत को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।

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