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दयानिधि मारन ने संसद भवन में संस्कृत भाषा को लेकर दिए बयान से संस्कृत प्रेमियों में रोष व्याप्त, निकाली आक्रोश रैली,  भारत की आत्मा है संस्कृत, संस्कृत का विरोध भारत और भारतीयता का विरोध जो कदापि स्वीकार्य नहीं: जनार्दन प्रसाद कैरवान


ऋषिकेश 20 फरवरी।  ऋषिकेश के समस्त संस्कृत विद्यालय/महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य,आचार्य,छात्रों तथा नगर के संत समाज ने देश की संसद में डीएमके के सांसद दयानिधि मारन के द्वारा संस्कृत भाषा के विरोध करने पर नगर में आक्रोश रैली निकाल कर उपजिला अधिकारी के माध्यम से भारत के महामहिम राष्ट्रपति,देश के प्रधानमंत्री तथा लोकसभा अध्यक्ष के नाम ज्ञापन दिया।

बृहस्पतिवार को आयोजित एक आक्रोश रैली में उपस्थित संस्कृत के आचार्यों ने कहा कि भारत की संसद में एक जिम्मेदार व्यक्ति के द्वारा भारत की आत्मा संस्कृत के प्रति इस प्रकार के बयान कदापि स्वीकार्य नही हो सकते हैं जिस व्यक्ति के नाम में ही संस्कृत है दयानिधि शब्द संस्कृत का शब्द है वही व्यक्ति संस्कृत को अप्रासंगिक बता रहा है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है उन्होंने सांसद दयानिधि मारन के बयान को घोर निंदनीय और आपत्तिजनक करार देकर भारत की अस्मिता, संस्कृति और सभ्यता के खिलाफ बताया तथा उनसे क्षमा मांगने की मांग की।

देहरादून तिराह से आरम्भ आक्रोश रैली उपजिलाधिकारी कार्यालय पहुंची मार्गों में छात्रों ओर शिक्षकों के द्वारा जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम्, भारतस्य आत्मा संस्कृत के नारों से पूरा मार्ग गूंज उठा।

इस मौके पर प्रबंधकीय संस्कृत शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर जनार्दन प्रसाद कैरवान ने कहा कि
संस्कृत का संरक्षण न केवल संस्कृत, बल्कि भारतीय भाषाओं की समृद्धि के लिए भी आवश्यक है। भारत के विभिन्न प्रदेशों ने सामाजिक, राजनीतिक आध्यात्मिक, कला, साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। जिसे सेतु भाषा के रूप में संस्कृत भाषा ने जोड़ने का काम किया है। धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और मोक्षशास्त्र संस्कृत में ही लिखे गए हैं। बौद्ध-जैन साहित्य के हजारों ग्रन्थ भी संस्कृत में लिखे गए हैं।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी ने मारन की टिप्पणी का विरोध करते हुए सही कहा कि यह भारत देश है, जिसकी मूल भाषा संस्कृत है। सम्पूर्ण सस्कृत जगत ने ओम बिड़ला जी की प्रसंशा करते हुए उनका आभार व्यक्त किया है।

इस अवसर पर संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्य  सुरेंद्र दत्त भट्ट  विजय जुगलान, कृष्ण प्रसाद उनियाल ,विनायक भट्ट , नवीन कुमार भट्ट ,डॉक्टर संतोष मुनि  डॉक्टर शांति प्रसाद मैठाणी, शांति प्रसाद डंगवाल , डॉक्टर भानूप्रकाश उनियाल ,महंत रवि प्रपन्नाचार्य ,महंत परब्रह्म आनन्द ,महंत करुणा शरण , गंगाराम व्यास, डॉक्टर सुशील नौटियाल जी श्री संदीप कुकरेती जी,डॉक्टर रूपेश जोशी , हंसराज भट्ट, विनोद गैरोला , लालमणि व्यास, श्याम भट्, मनोज कुमार द्विवेदी , डॉक्टर अनिल नौटियाल , कामेश्वर लसियल , डॉक्टर दयाकृष्ण लेखक, विपिन उनियाल ,संदीप खुलशाल, सुबोध बमौला, सूरज बिजलवान, शुभम नौटियाल ,आदि अध्यापक छात्र मौजूद रहे।


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