ऋषिकेश 11 जून ।श्री कबीर दास साहेब जी का 625 वां प्राकट्य दिवस बड़ी धूमधाम के साथ कबीर चौरा आश्रम में मनाया गया। विद्वान संतों ने कहा कि जहां संतों का समागम होता है, वह स्थान तीर्थ बन जाता है।
बुधवार को कबीर चौरा आश्रम में कबीर दास साहेब जी का 625 वां प्राकट्य दिवस के अवसर पर दो दिवसीय अखंड पाठ का भी आयोजन किया गया। साथ ही इस अवसर पर आए सभी संत महंतों के के मुखारविंद से ज्ञान की गंगा वही।
कार्यक्रम के संयोजक व कबीर चौरा आश्रम के परमाध्यक्ष कपिल मुनि महाराज ने आए हुए सभी श्री महंत संतों को पुष्पहार और उत्तरीय उड़ा कर सम्मानित किया।
महंत कपिल मुनि महाराज ने कहा कि आज प्रायः चहुँदिशि विद्वानों के मुखारविन्द से सद्गुरु कबीर साहेब की वाणी शान्ति एवं सत्य का दर्शन विश्व को करा रही है। सभी सम्प्रदायों के विद्वान बिना मतभेद के कबीर साहेब की वाणी का प्रयोग कर समाज सुधारक कार्यों को गति देने में लगे हैं।
“संत मिलन को जाइऐ, तज माया अभिमान ज्यों ज्यों पग आगे धरे, कोटिन यज्ञ समान” जहां संतों का समागम हो वह स्थान तीर्थ बन जाता है। जिस प्रकार कबीर साहेब ने पूरे विश्व में रूढ़िवादिता और अंधविश्वास के खिलाफ समाज को जागरूक किया। उसी प्रकार संत भी सबका उद्धार के लिए संसार में प्रकट होकर सबका उद्धार करते हैं।
इस अवसर पर कबीर चौरा आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन संत महंत प्रदीप दास महाराज को भी याद किया गया। संतो ने कहा कि भक्तों को सदमार्ग पर ले जाने वाले संत हमेशा पूजनीय होते हैं। महंत प्रदीप दास त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उनसे युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस अवसर पर योगी आशुतोष, षडदर्शन साधु समाज के अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी महाराज, कृष्ण कुंज आश्रम उत्तराधिकारी महंत गोपालाचार्य जी महाराज, महंत सरविंदर सिंह,महंत जतिद्रानंद, महिमानंद महाराज, स्वामी अखंडानंद, महंत रवि प्रपन्नाचार्य महराज, महंत बलबीर, महंत धर्मानंद, स्वामी गणेश दास, रामायणी, राजेंद्र दास, जतिन विरमानी आदि मौजूद रहे।
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