कांग्रेस को झटका देते हुए कांग्रेसी नेता जितिन प्रसाद हुए बीजेपी में शामिल


 

दिल्ली/ देहरादून 9 जून ।अगले साल उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने हैं और देश के सबसे बड़े राज्य के चुनाव की तैयारी में बीजेपी जुट चुकी है. इस कड़ी में बीजेपी ने एक बड़ी जीत हासिल की है और कांग्रेस के एक दिग्गज नेता को अपने पाले में कर लिया है.

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में पैदा हुए 48 साल के जितिन प्रसाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस के दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं. प्रसाद ने अपना राजनीतिक करियर साल 2001 में कांग्रेस के युवा संगठन यूथ कांग्रेस के साथ महासचिव के तौर पर शुरू किया था. साल 2004 में उन्होंने अपने गृह जिले शाहजहांपुर से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता.

 

अपने पहले कार्यकाल में जितिन प्रसाद को कांग्रेस सरकार में इस्पात राज्य मंत्री बनाया गया. वे मनमोहन सिंह सरकार में सबसे युवा मंत्रियों में से एक थे. साल 2009 में उन्होंने धरौरा से चुनाव लड़ा. उन्होंने मीटर गेज लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने का वादा किया. जिससे उन्हें भरपूर जनसमर्थन मिला. उन्होंने दो लाख वोट से जीत हासिल की.

यूपीए सरकार के दौरान जितिन प्रसाद ने कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली. एक साल तक इस्पात मंत्रालय संभालने के बाद वे 2009 से 2011 तक वो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री रहे. 2011-12 में उन्होंने पेट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी. 2012-14 तक जितिन, मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री भी रहे.  साल 2008 में इस्पात मंत्री रहते हुए उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र में एक स्टील फैक्ट्री भी लगवाई.

जितिन प्रसाद अपनी पीढ़ी के तीसरे नेता हैं, इससे पहले उनके दादा ज्योति प्रसाद कांग्रेस पार्टी के नेता रहे और स्थानीय निकायों से लेकर विधानसभा तक कांग्रेस के नेतृत्व का किया.

इसके साथ ही  उनके जितेंद्र प्रसाद भी कांग्रेस में बड़े नेता रहे. उनके पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार रहे.

जब ेेेेेेेेेेेेे मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार केंद्र में आई है, तब से बतौर कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद का कद लगातार कमजोर हो रहा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार मिली और इसके साथ ही साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

हार का सिलसिला 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा है और उन्हें बीजेपी के करारी हार मिली. खास बात ये है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्य का प्रभारी नियुक्त किया था, लेकिन वहां कांग्रेस अपना खाता खोलने में नाकाम रही थी.

यूपी पंचायत चुनाव में भी वो अपने इलाके में कांग्रंस को जीत नहीं दिला सके थे. इन हालात में वो कांग्रेस में हाशिए पर थे.

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