सैन्य उपकरण बनाने के लिए स्वीडन की कंपनियां को भारत आने का न्यौता : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह


नई दिल्ली 09 जून । भारतीय रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने और सैन्य उपकरणों के आयात को कम करने की दिशा में काम कर रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वीडन की दिग्गज हथियार निर्माता कंपनियों को भारत आने का न्यौता दिया ।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को स्वीडन की दिग्गज हथियार निर्माता कंपनियों को भारत में आकर सैन्य उपकरण बनाने का न्यौता दिया है। भारत-स्वीडन रक्षा उद्योग सहयोग पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, भारत निवेश के लिहाज से एक बेहतर विकल्प है और स्वीडिश कंपनियों को यहां रक्षा उत्पादन का हब स्थापित करने आना चाहिए।

राजनाथ ने कहा, केंद्र सरकार ने कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं जिसके बाद रक्षा उद्योगों को न केवल देश बल्कि वैश्विक मांग को भी पूरा किया जा सकता है। रक्षा मंत्री ने इस बात का भी जिक्र किया कि रक्षा उत्पादन क्षेत्र में सरकार ने स्वचालित रूप से 74 फीसदी तथा सरकार के रास्ते से 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दी है।

तकनीक आधारित एफडीआई से भारतीय उद्योगों को स्वीडन के साथ मिलकर काम करने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा, विदेश के मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) व्यक्तिगत रूप से या भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी में संयुक्त उद्यमों या प्रौद्योगिकी समझौते के माध्यम से मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा बन सकते हैं।

सिंह ने स्वीडन की कंपनियों को खास तौर पर उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा कॉरिडोर स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया और कहा कि इससे उन्हें राज्य सरकारों की विशेष प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ मिल सकता है। द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक संबंधों को मजबूत करने के लिए सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्यूफैक्चरर्स (एसआईडीएम) और स्वीडिश सिक्योरिटी एंड डिफेंस इंडस्ट्री एसोसिएशन (एसओएफएफ) के बीच एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी हुए।

रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी केंद्रित एफडीआई नीति के चलते भारतीय उद्योग प्रामाणिक एवं उपयुक्त सैन्य प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में स्वीडन के उद्योगों के साथ सहयोग कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि विदेशी ओईएम (ऑरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) अपने दम पर संस्थान स्थापित कर सकते हैं, वे इस काम के लिए भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी कर सकते हैं तथा ‘मेक इन इंडिया’ पहल का लाभ उठा सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘एसएएबी जैसी स्वीडन की कंपनियां पहले से भारत में मौजूद हैं और मुझे भरोसा है कि अन्य स्वीडिश कंपनियां भी पाएंगी कि रक्षा विनिर्माण के लिए भारत निवेश का प्रमुख स्थल है। स्वीडिश कपंनियों और भारत के रक्षा उद्योग के बीच सह-उत्पादन तथा सह-विकास की अनेक संभावनाएं हैं। भारतीय उद्योग स्वीडिश उद्योगों को संघटकों की आपूर्ति भी कर सकते हैं।’ रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान किफायती एवं उच्च गुणवत्ता के उत्पादन से संबंधित है और इसका मूल उद्देश्य है ‘भारत में बनाएं’ और ‘दुनियाभर के लिए बनाएं’।

उन्होंने कहा, ‘इस अवसर पर मैं स्वीडिश कंपनियों को उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु में समर्पित रक्षा गलियारों में निवेश के लिए आमंत्रित करता हूं जहां पर वे राज्य सरकारों द्वारा प्रदत्त लाभों का और उच्च दक्षता प्राप्त कार्यबल का फायदा उठा सकती हैं।’ स्वीडन के रक्षा मंत्री पीटर हल्टक्विस्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को विस्तारित करने की काफी गुंजाइश है और दोनों देश भविष्य की समस्याओं का समाधान ला सकते हैं।

स्वीडन में भारत के राजदूत तन्मय लाल ने कहा कि भारत और स्वीडन दीर्घकालिक साझेदार हैं और संबंधों के व्यापक आयामों में रक्षा सहयोग एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। वहीं, भारत में स्वीडन के राजदूत क्लास मोलिन ने कहा कि दोनों देशों के बीच कारोबार और रक्षा क्षेत्र में व्यापक संभावना है तथा स्वीडन की 200-250 कंपनियां पहले ही भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर विभिन्न उत्पाद विकसित कर रही हैं।

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