ऋषिकेश 21 जनवरी। 14 फरवरी को होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने 70 सीटों में से 59 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है जिसमें ज्यादातर मौजूदा विधायकों को ही टिकट मिला है भाजपा की इस सूची से कई नेताओं जो कि टिकट की चाह रख रहे थे, भाजपा के अंदर बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। जिन विधानसभा क्षेत्रों में टिकट के प्रबल दावेदार पिछले काफी समय से अपने क्षेत्रों मेे सक्रिय रहकर दिन रात एक किए हुए है वह इस लिस्ट के जारी होते ही बगावत पर उतारू हो गए है। कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे है जहा भाजपा में बगावत की सुगबुगाहट देखने को मिल रही है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक नरेंद्रनगर से ओम गोपाल रावत ने भारतीय जनता पार्टी से बगावत करके अपनी अलग राह पकड़ ली है। जिस पर ओम गोपाल रावत कांग्रेस का दामन पकड़ कर नरेंद्र नगर विधानसभा से ताल ठोक सकते हैं। उधर दूसरी ओर धनोल्टी से महावीर सिंह रांगड़ और धर्मपुर में भी बगावती सुर देखने को मिल रहे है। जिनमे धर्मपुर सीट पर लंबे समय से जनता के बीच सक्रिय रहे बीर सिंह पंवार ऐसे चेहरे है जो टिकट ना मिलने पर अब बगावत के मूड में है। इन्होंने टिकट ना मिलने पर अब निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला भी कर लिया है। आज भाजपा की पहली सूची जारी होते ही बीर सिंह पंवार के समर्थकों की बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से चुनाव लड़ने का ऐलान किया गया। भाजपा के कई बड़े कार्यकर्ता इस बैठक में मौजूद थे। वहीं कई पार्टी की महिला कार्यकर्ता भी उनके साथ खड़ी दिखाई दी। इतना ही नहीं उन्होंने विधायक विनोद चमोली पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि 5 साल में उन्होंने विकास के नाम पर कोई काम नहीं किया। यहां तक की वह राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को भी इस विस क्षेत्र में लागू नहीं कर पाए।
वर्ष 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नरेंद्रनगर और धनौल्टी सीट बेहद कम अंतर से जीत थी, इन सीटो पर बागी नेता भाजपा के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा कर सकते है।
हालांकि ये तो केवल अपवाद भर है अभी असल पिक्चर तो बाकि है।आज जारी बीजेपी की पहली लिस्ट के बाद जिस तरह से शुरुआती बगावती सुर देखने को मिल रहे है , हो सकता है आने वाले एक दो दिन में कई ओर सीट पर भी ऐसे चेहरे सामने आए जो पार्टी के लिए मुश्किल पैदा कर सकते है।यदि भाजपा ने समय रहते डैमेज कंट्रोल नहीं किया तो ये भाजपा के लिए बड़ा नुकसान कर सकते है।ऐसे मेे भाजपा के लिए उन सीटो पर बागी ज्यादा दिक्कत कर सकते है जिन पर पार्टी ने पिछले चुनावों में बेहद कम अंतर से जीत दर्ज की थी ।