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ऋषिकेश में वर्ष 2017 के मुकाबले 2022 के चुनाव में घटा मतदान होना पिछले तीन बार से विधायक रहे भाजपा प्रत्याशी के लिए अच्छे संकेत नहीं, भाजपा का कैडर भी विधायक के व्यक्तिगत व्यवहार के कारण बटा नजर आया -भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी भितरघात से नहीं रहे अछूते। पढ़िए पूरी रिपोर्ट


ऋषिकेश, 14 फरवरी । उत्तराखंड में लोकतंत्र के महापर्व के दौरान हुए मतदान के चलते ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2017 में हुए चुनाव के दौरान 64.79 %करीब 65% के सापेक्ष वर्ष 2022 में मतदान के काटकर 61.58 % रह जाना भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विधानसभा अध्यक्ष के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहा है।

ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र में सोमवार को हुए मतदान के दौरान सुबह 9:00 बजे तक 5.14%, 11:00 बजे तक 16 .75%, दोपहर 1:00 बजे तक 31 .30 %, 3:00 बजे तक 45 .39%, 5:00 बजे तक 57.82%,अंतिम 6बजे तक 61.58% रहा।

जिसे लेकर आम मतदाताओ मैं जीत हार के लिए कयास लगाने प्रारंभ हो गए हैं। जिसका कारण ऋषिकेश शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र में हुए मतदान का होना है। इस बार ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र में 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। जिसमें भारतीय जनता पार्टी के विधायक प्रेमचंद अग्रवाल तीन बार विजयी होने के बाद चौथी बार चुनाव मैदान में थे ।

जिनके सामने कांग्रेस के युवा प्रत्याशी जयेंद्र रमोला नई टीम के साथ उम्मीदवार पढ़कर चुनौती के रूप में खड़े हैं। वही ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में बंटे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच गुटबाजी किसी से छिपी नहीं थी। जिसके परिणाम स्वरूप भाजपा का कैडर भी विधायक के व्यक्तिगत व्यवहार के कारण जहां बटा नजर आया।

वही कांग्रेस प्रत्याशी ने अपने वोट बैंक को साधने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की है। इसी के साथ ग्रामीण क्षेत्र में उजपा, आप , उक्रांद ने भाजपा के संगठनात्मक वोट बैंक में सेंध मारने का कार्य किया है।

तो वही अन्य निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस के लिए बोट कटवा के रूप में सामने आए हैं ,कुल मिलाकर यदि भाजपा प्रत्याशी जीतते हैं तो यह परिस्थिति भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की जीत के मार्जन को घटाने जा रही है।

पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रेमचंद अग्रवाल ने करीब 15,000 मतों से जीत हासिल की थी ।लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी का व्यवहार कार्यकर्ताओं की नाराजगी का कारण भी बन रहा है।

कुल मिलाकर नए युवा मतदाता इस चुनाव को क्या दिशा दे रहे हैं। यह तो 10 मार्च को सामने आएगा ,परंतु आम मतदाता जीत के अंतर को कम आंक कर चल रहे हैं। जिनका मानना है कि जहां भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी भाजपा प्रत्याशी के लिए चिंता का विषय रही, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के लिए गुटबाजी भी किसी से छिपी नहीं है।


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