भगवान गिरी महाराज के 35 निर्वाण उत्सव पर संतो ने महाकुंभ के दौरान गंगा को स्वच्छ बनाए जाने का दिया संदेश


गो-गंगा- गायत्री का संरक्षण किया जाना संतो के लिए अनिवार्य -बाबा भूपेंद्र गिरी

ऋषिकेश,07 अप्रैल । गो -गंगा -गायत्री मनुष्य के कल्याण के लिए उतनी ही आवश्यक है जिसने सनातन धर्म में वेद पुराणों व समस्त ग्रंथों दिए गए संदेश का है। जिस के संरक्षण के लिए सभी संतो को संकल्प लेकर उसके प्रचार-प्रसार के लिए कार्य किए जाने की आवश्यकता है यह विचार भगवान गिरी आश्रम के संचालक बाबाा भूपेंद्र गिरी ने मायाकुंड स्थित ब्रह्मलीन भगवान गिरी महाराज के 35 वेें निर्वाण उत्सव के दौरान संत सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित लोगोंं को संबोधित करते हुए कहा कि महाकुंभ जैसे पर्व पर गो-गंगा- गायत्री का प्रचार प्रसार किया जाना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि वर्तमान में गो गंगा गायत्री दोनों ही संकट के दौर से गुजर रही है आज गंगा पर बन रहे बांधों के कारण गंगा का अस्तित्व खतरे में पड़़ गया है ,वही जगह जगह खुले बूचड़खाना में गोवंश खुलेआम काटा जा रहा है जिससे गोवंश भी नहीं बच पा रहा है। जिसके कारण कभी भारत में दूध की नदियां बहाए जाने का किया जाने वाला उदाहरण भी समाप्त हो रहा है। तो वही भारत मेंं आजादी के बाद दी जा रही, बच्चों को मैकालेे शिक्षा पद्धति के चलते गायत्री भी संकट में पड़ गई है इससे अनजान बच्चे अपने वेद पुराण के अतिरिक्त गायत्री जैसे ग्रंथों से विमुख हो रहे हैं इन तीनों को बचाया जाना संतों का परम कर्तव्य है।और वह इस महाकुंभ के दौरान तीनों को बचाए जाने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर देश दुनिया में प्रचार प्रसार करें।

आश्रम के प्रबंधक गुरप्रीत सिंह ने बताया कि भगवान गिरी महाराज के 35 वें निर्वाण उत्सव के दौरान बाबा भूपेंद्र गिरी महाराज की अध्यक्षता में रामायण पाठ प्रारंभ भी किया गया । जिस का समापन भी आज किया गया है। आश्रम में संतों के सम्मेलन के दौरान षड्दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी ,उत्तराखंड के महामंत्री कपिल मुनि, राजेंद्र दास, मंहत इंद्र गिरी, परमोद गिरी , अजय गिरी महाराज, जतिन विरमानी, गोपाल विरमानी, मनोहर ग्रोवर, सहित काफी संख्या में संत उपस्थित थे।

 

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