पीएम मोदी के मेगा प्रोजेक्ट ऋषिकेश करणप्रयाग परियोजना – उत्तराखंड में बनने वाले रेलवे स्टेशन चारों धामों के साथ गढ़वाल के विख्यात मंदिरों की आकृति में बनने के बाद यात्रियों को करेंगे अपनी और आकर्षित -अजीत कुमार यादव 41 में से 40 परियोजनाओं पर कार्य तेज गति से जारी है
ऋषिकेश ,19 जनवरी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेगा प्रोजेक्ट ऋषिकेश करणप्रयाग रेल परियोजना के अंतर्गत बनाए जा रहे, रेलवे स्टेशन बद्री केदार ,गंगोत्री ,यमुनोत्री के साथ राज्य के विख्यात मंदिरों की शक्ल में उत्तराखंड आने वाले यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करेंगे।
यह जानकारी रेल विकास निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत कुमार यादव ने गुरुवार को आरवीएनएल के मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान देते हुए बताया कि यह परियोजना कुल 125 किलोमीटर लंबी होगी। जिसमें 12 स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा। जिसकी लागत लगभग16000 करोड़ की है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना में देश सहित विदेश की तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है। जिसके अंतर्गत आज भी विदेशी वैज्ञानिकों की देखरेख में तेजी के साथ कार्य किया जा रहा है। जिससे उनका कार्य संतोषजनक होने के साथ सुरक्षा की दृष्टि से सभी मानकों पर खरा उतरा है।।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत कुल 41 सुरंगो का निर्माण किया जा रहा है ,इसमें से एक सुरंग मरोड़ा में निर्माण के दौरान हुए भूस्खलन के चलते कार्य को रोक दिया गया है,जिस पर सर्वे का कार्य दोबारा किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत यह भी देखा जा रहा है कि यदि डिजाइन में कोई परिवर्तन करना होगा तो उसे भी किया जाएगा ।
यादव का कहना था कि इस गांव में सर्वे किया जा रहा है और 35% कार्य पूरा भी कर लिया गया है ।जिसके अंतर्गत गांव वालों को शीघ्र मुआवजे की राशि दी जा रही है। जो कि जिलाधिकारी के माध्यम से दी जाएगी।उनका कहना था कि इस कार्य में देश की सभी विख्यात सर्वे करने वाली एजेंसी की सहायता भी ली गई है, जिसके अंतर्गत मानवीय दृष्टि से को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं पर भी गंभीरता से विश्लेषण कर कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उनका निर्माण कार्य ऋषिकेश से अभी फिलहाल करणपयाग तक ही चल रहा है भविष्य में चार धाम को जोड़ने के लिए गंगोत्री यमुनोत्री -केदारनाथ- बद्रीनाथ में सर्वे का कार्य चल रहा है जबकि गंगोत्री- यमुनोत्री में सर्वे का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इस कार्य में पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण ब्लास्टिंग पर भी वैज्ञानिकों ने गंभीरता पूर्वक मंथन कर अपनी राय दी है ।जिसमें एक्सपर्टो की भी राय ली गई है यादव ने बताया कि धनबाद में होने वाली सबसे अधिक माइनों में ब्लास्टिंग को देखते हुए वहां के वैज्ञानिकों को भी इस परियोजना में शामिल किया गया है।
जिसे देखते हुए उन्होंने कहा कि जोशीमठ में जो पहाड़ है वह सीधे खड़े हैं, जबकि बाकी जगह पर पहाड़ ढलान वाले हैं ।हम जोशीमठ से पहले 80 किलोमीटर की दूरी पर कार्य कर रहे हैं। जिसका प्रभाव जोशीमठ में हो रहे भूधंस्साव पर नहीं पड़ेगा। मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत कुमार का कहना था कि कार्य की प्रगति तेजी पर है ।जिसमें पहला फेस वीरभद्र से ऋषिकेश तक था। जिसे विगत 20 मार्च 2020 को पूरा कर लिया गया है। अगले फेस में 2024 तक इस कार्य को समाप्त कर दिया जाएगा।
पत्रकार वार्ता में पूरी परियोजना का डेमो भी दिखाया गया इस दौरान परियोजना प्रबंधक ओपी मालगुडी और भूपेंद्र सिंह भी मौजूद थे।
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