स्वर्ग आश्रम क्षेत्र के 45 दुकानदारों को दुकान खाली किए जाने के निर्देश के‌ विरुध उच्च न्यायालय से मिली बड़ी राहत उच्च न्यायालय ने दुकानदारों को किराएदार मान कर ₹15000 महीने के हिसाब से जमा करने को कहा -न्यायालय से मिली राहत के बाद दुकानदारों ने मिठाइयां बांटकर खुशी का किया इजहार


ऋषिकेश, 12 मई । जनपद पौड़ी गढ़वाल के अंतर्गत स्वर्ग आश्रम क्षेत्र में भारत साधु समाज की इमारत में‌ बनी 45 दुकानदारों के बीच न्यायालय में चल रहे, विवाद के चलते उच्च न्यायालय में दुकानदारों को, 6 माह का समय देते हुए किराएदार मान लिये जाने के बाद बड़ी राहत मिल गई है, जिसके चलते समस्त दुकानदारों में खुशी की लहर देखी जा रही है।

जिन्होंने अनुष्ठान किए जाने के साथ गंगा जी में दूग्धाअभिषेक किया और एक दूसरे को मिठाइयां खिलाकर खुशी का इजहार भी किया।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा स्वर्ग आश्रम स्थित भारत साधु समाज की भूमि पर वर्ष 1962 से किराए दार के रूप में व्यवसाय चला रहे, 45 दुकानदारों को भारत साधु समाज द्वारा लीज रिन्यूअल ना कराए जाने को लेकर खाली कराए जाने के निर्देश जिला प्रशासन ने दिये थे, जिसके चलते स्थानीय प्रशासन ने विगत 9 मई तक सभी दुकानदारों को दुकान खाली कर कर कब्जा प्रशासन को सौंपें जाने के लिए निर्देशित करते हुए चेतावनी दी थी, कि यदि उनके द्वारा दुकानों को खाली नहीं किया गया तो बलपूर्वक दुकानें खाली खाली करवा ली जाएगी, इस बीच पीड़ित दुकानदारों ने सुप्रीम कोर्ट में राहत दिए जाने की गुहार लगाई थी, जिसकी सुनवाई आज 12 मई को होनी थी। इसी परिपेक्ष में सुप्रीम न्यायालय द्वारा दुकानदारों को किराएदार मानकर 6 माह का समय देते हुए बड़ी राहत दी‌ है।

यहां बताते चलें कि उत्तराखंड हाई कोर्ट के निर्देश के बाद जिला प्रशासन सक्रिय हो गया था। जिसके चलते उप जिलाधिकारी आकाश जोशी ने ‌विगत मंगलवार की शाम तक दुकानदारों को दुकानें खाली किए जाने के निर्देश दिए थे। जिससे दुकानदारों में हड़कंप मचा था। और वह अपनी दुकानों को बंद कर जिला प्रशासन से 3 दिन का समय मांग रहे थे। जिसके बाद जिला प्रशासन ने उनकी मांग को मान लिया था।

उल्लेखनीय है कि यह मामला वर्ष 1998 से उत्तराखंड उच्च न्यायालय में विचाराधीन था। जहां दुकानदार मुकदमे को हार गये थे। जिसके बाद सभी दुकानदारों को 22 फरवरी 2023 को यम्केश्वर के तहसीलदार द्वारा 10 दिन के अंदर अपना कब्जा हटा लिए जाने के लिए आदेश देते हुए कहा था, कि यदि उनके द्वारा अपना कब्जा नहीं हटाया गया तो उनके विरुद्ध उचित बल प्रयोग कर निर्माण को हटा दिया जाएगा , जिसका खर्चा दुकानदार को देना होगा, यहां यह भी बताते चले कि जिला मजिस्ट्रेट की ओर से 19 जून 2010 को भारत साधु समाज के पट्टे के नवीकरण की जांच के संबंध में कार्रवाई भी की गई थी, जांच में कहा गया था कि भारत साधू समाज के द्वारा मूल पट्टे की शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया है, तथा पट्टे की शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा है ।भूमि का उपयोग निवास गृह निर्माण से विभिन्न व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन में दुकानों का निर्माण कर किराए पर दुकानों को देकर किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त भारत साधु समाज के द्वारा खसरा संख्या 63 के कुछ भूमि पर अतिक्रमण का निर्माण भी किया गया है ।

जबकि दुकानदारों का कहना है कि यह खसरा 63 नहीं 65 है। मौके पर उपस्थित दुकानदार संजय अग्रवाल का कहना था, कि इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 12 मई को सुनवाई भी की जानी थी, परंतु प्रशासन अपनी जिद पर अडा हुआ था। उपजिलाधिकारी आकाश जोशी का कहना है कि यह मामला वर्ष 1998 से न्यायालय में विचाराधीन था, जिस पर कई बार स्टे भी लिया गया था । जिसकी अवधि समाप्त हो चुकी है। इसी श्रृंखला में उच्च न्यायालय में भी जनहित याचिका डाली गई थी।नगर पंचायत अध्यक्ष माधव अग्रवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में डाली गई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे, अधिवक्ता एचएन शुक्ला ,लक्ष्मी सिंघानिया ने बहस करते हुए दुकानदारों का पक्ष रखा ।

जिस पर ‌माननीय न्यायालय ने दुकानदारों को किराएदार मानते हुए₹15000 मासिक के रूप में जमा किए जाने के लिए निर्देशित किया है। अग्रवाल का कहना था कि इस मामले में हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।जिसके बाद दुकानदारों ने बड़ी राहत महसूस करते हुए खुशियां मनाई ।

इस दौरान पूर्व विधायक शैलेंद्र नेगी, पंचायत सदस्य आरती गौड , पूर्व सभासद गजेंद्र नागर, संजय अग्रवाल, मनोज राजपूत , आदेश चौहान के नेतृत्व लड्डू बांटकर खुशियां मनाई।

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