तीर्थ नगरी ऋषिकेश में संतों की कुटियाओं को भू माफियो द्वारा कब्जे कर खाली करवाए जाने को लेकर संतो में रोष, कंठी मालाएं छोड़कर अपनी कुटियाओं को बचाने के लिए कोर्ट कचहरी के लगा रहे चक्कर, भू माफियाओं के कारण तपस्या करना भी दुर्भर 


ऋषिकेश,07सितम्बर । ऋषिकेश तीर्थ नगरी में वर्षों से कुटियाओं में रहकर कंठी माला जप रहे, संतो की कुटियाओं को भू माफिया द्वारा कब्जे कर खाली करवाए जाने को लेकर संतो ने‌‌ अपना विरोध प्रकट करते हुए संतों का नया संगठन बनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया।

लक्ष्मण झूला स्थित राम जगन्नाथ मंदिर‌‌ में महंत विनय सारस्वत की अध्यक्षता और मंहत निर्मल दास के संचालन में आयोजित बैठक के दौरान संतों ने ऋषिकेश लक्ष्मण झूला ब्रह्मपुरी क्षेत्र में भू माफिया द्वारा कुटिया में रहकर कंठी माला जपने वाले संतो की कुटियायों पर अवैधानिक रूप से कब्जा करने वाले भू माफियाओं के विरुद्ध रोष व्यक्त करते हुए कहा कि आज संतो को कथित भू माफियाओं के कारण तपस्या करना भी दुभर हो गया है, जो कि अपनी कंठी मालाएं छोड़कर अपनी कुटियाओं को बचाने के लिए कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं।

जिससे उनकी तपस्या भी भंग हो रही है। जिसके संबंध में स्थानीय प्रशासन से भी कई बार गुहार लगाई जा चुकी है , परंतु उसका कोई समाधान नहीं निकला है। हाल ही में राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री के नाम एक करोड रुपए देने वाले 100 वर्षों से तपस्या कर रहे साधु की की गुफा और उसकी ध्यान कुटिया को भी तहस नहस कर दिया है।

इसी प्रकार के मामले ब्रह्मपुरी क्षेत्र में भी देखने में आ रहे हैं, जिससे साधुओं में भारी रोष उत्पन्न हो रहा है। जिसे देखते हुए सभी संतो ने एक राय से यह निर्णय लिया कि उनकी कुटियाओं को बचाने के लिए संघर्ष करने वाले युवा संतों को उनके संगठन की कमान सौंपी जाए, जोकि उनकी समस्याओं को प्रदेश सरकार के जिम्मेदार मंत्री और अधिकारीयों से मिलकर समाधान करवा सकेंगे। बैठक में सभी संतो ने‌‌ कहा कि नया संगठन बनाने के लिए जल्द ही संतो की वृद्ध स्तर पर एक बैठक बुलाई जाएगी।

बैठक में स्वामी कृष्ण मुरारी दास, महामंडलेश्वर विष्णु दास , महंत हरिदास,महंत रवींद्र दास, सखी बाबा, मंहत राकेश दास, अच्युता नंद पाठक, महंत दीपक दास, महंत सुदर्शनाचार्य, महामंडलेश्वर वृंदावन दास, महंत अखंडानंद, महंत छोटन दास, स्वामी रामायणी, स्वामी सर्वतमानंद सरस्वती, स्वामी सहजानंद, स्वामी हरि शरण दास, स्वामी पूर्णानंद, धर्मवीर दादू पंथी, आदि काफी संख्या संत उपस्थिति थे।

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