गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती : उत्तराखंड कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और नि .महापौर अनिता ममगाईं  हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा में माथा टेककर, शहर की खुशहाली की करी कामना


ऋषिकेश 17 जनवरी । उत्तराखंड कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ओर नि .महापौर अनिता ममगाईं ने गुरुद्वारा हेमकुंट साहिब में गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर आयोजित शबद कीर्तन, गुरुवाणी और लंगर के कार्यक्रम में शिरकत की।

लक्ष्मणझूला रोड स्थित गुरुद्वारे में क्षेत्रीय विधायक व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पहुंचे। उन्होंने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब के आगे माथा टेका। यहां सिख समाज ने मंत्री डॉ अग्रवाल को सरोपा पहनाकर सम्मानित किया गया। इसके बाद मंत्री डॉ अग्रवाल ने रागी जत्थों द्वारा गुरुवाणी और शबद कीर्तन का पाठ किया गया।

 इसी कड़ी में शहर की नि .महापौर अनिता ममगाईं ने भी गुरू गोविंद सिंह की जयंती पर प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग पर हेमकुंड गुरुद्वारा पहुंची नि .महापौर ने सबसे पहले माथा टेक कर और शब्द कीर्तन सुनकर गुरु गोविंद सिंह का स्मरण किया। इस दौरान गुरुद्वारा समिति ने उन्हें हेमकुंड साहिब की तस्वीर देकर सम्मानित किया।

हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा पहुंचे डा. अग्रवाल ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। इसके अलावा वह एक दार्शनिक, कवि और महान योद्धा थे। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने खालसा नामक सिख योद्धा समुदाय की स्थापना की। जिसे सिख धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में चिह्नित किया। उन्होंने पाँच लेखों को पाँच ककार के रूप में प्रसिद्ध भी पेश किया और हर समय पहनने के लिए खालसा सिखों को आज्ञा दी।

इस मौके पर मंत्री डॉ अग्रवाल ने आज, सिख समुदाय गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मदिन मनाता है और सिख समुदाय के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन है। डॉ अग्रवाल ने कहा कि पिता गुरू गोविंद सिंह की प्रेरणा से प्रेरित होकर उनके पुत्र साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह ने अपनी शहादत दे दी, लेकिन धर्म पर आंच नहीं आने दी।

इसी क्रम में गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब पहुंची  नि. महापौर ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह का सिख धर्म के उत्थान में अमूल्य योगदान है। उन्होंने सिख पंथ की स्थापना की थी। वे सत्य और धर्म की रक्षा के मार्ग पर चलने वाले सच्चे दिव्यात्मा थे। त्याग और बलिदान के साथ ही दृढ़ संकल्प का अद्भुत रूप गुरू गोबिंद सिंह में था। वे साहस, करुणा और उदारता के प्रतीक थे। और गुरू का जीवन और संदेश लाखों लोगों को शक्ति देता है। उन्होंने समाज में अनेकता में एकता का संदेश दिया। साथ ही समाज में समानता की स्थापना कर आत्मसम्मान की भावना जागृत की।

इस मौके पर अध्यक्ष हेमकुंट साहिब सरदार नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा, प्रबंधक दर्शन सिंह, निर्मल आश्रम के महंत राम सिंह , सरदार मंगा सिंह, सरदार अजीत सिंह, महंत बलवीर सिंह, सरदार सुदर्शन ओबराय, प्रेम सिंह डंग, सरदार बूटा सिंह, सरदार विक्रम सिंह, शिव कुमार गौतम, विवेक शर्मा, तनु तेवतिया आदि उपस्थित रहे।

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