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कैंसर से होने वाली मौतों में सर्वाधिक मौतें लंग कैंसर की वजह – रविकांत


 

ऋषिकेश,03 सितम्बर  ।यदि आप धूम्रपान करते हैं और आपको लम्बे समय से खांसी की शिकायत के साथ थकान महसूस हो रही है, तो सावधान हो जाएं। यह लंग कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार कैंसर से होने वाली मौतों में सर्वाधिक मौतें लंग कैंसर की वजह से होती हैं। ऐसे मरीजों के लिए एम्स ऋषिकेश में अब स्पेशल लंग क्लीनिक शुरू किया गया है। इस क्लीनिक का संचालन प्रत्येक शुक्रवार को किया जायेगा।फेफड़े के कैंसर में फेफड़ों के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित व असामान्य वृद्धि होने लगती है।

चिकित्सकों के अनुसार कईदफा फेफड़े के कैंसर का शुरुआती दौर में पता नहीं चल पाता है और यह अंदर ही अंदर बढ़ता जाता है। लिहाजा इसके लक्षण अक्सर विलंब से पता चलते हैं।इस बाबत एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि फेफड़े का कैंसर एक गंभीर बीमारी है लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब कैंसर से छुटकारा संभव है। लक्षणों के आधार पर समय पर उपचार शुरू कर दिए जाने से कैंसर की गंभीर स्थिति से बचाव किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश में लंग कैंसर के लिए स्पेशल क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। इस बीमारी के समुचित इलाज के लिए एम्स में सभी तरह की आधुनिक मेडिकल सुविधाएं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उपलब्ध है।पल्मोनरी विभाग के एडिशनल प्रो. डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि बीड़ी-सिगरेट आदि धूम्रपान का सेवन करना फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।

इसके अलावा विभिन्न प्रकार के तम्बाकू उत्पाद, खैनी, गुटखा, सिगार का सेवन करने, धुएं के संपर्क में रहने, घर या कार्य स्थल पर एस्बेस्टस या रेडॉन जैसे पदार्थों के संपर्क में आने और पारिवारिक इतिहास होने के कारण भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में लंग कैंसर के मरीजों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में एम्स ऋषिकेश में इस बीमारी से ग्रसित औसतन 40 से 50 मरीज प्रति माह आ रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर एम्स के पल्मोनरी विभाग में अलग से लंग क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। इस क्लीनिक में केवल लंग कैंसर से ग्रसित मरीज ही देखे जायेंगे।


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