ऋषिकेश,20 सितम्बर । उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद तीरथ सिंह रावत ने परमार्थ निकेतन पहुंच कर पितृपक्ष प्रारंभ होने पर गंगा में किया परमार्थ के ऋषि कुमारों के साथ जलाभिषेक इस दौरान तीरथ सिंह रावतने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है, जो सदियों से माँ गंगा की गोद और हिमालय की छत्रछाया में विकसित हो रही है।
भारत की सभ्यता और संस्कृति में विविधता में एकता के साथ समृद्ध सांस्कृतिक विरासत भी शामिल है। भारतीय संस्कृति समस्त मानवता का कल्याण चाहती है। हम सभी भारतीयों को मिलकर ही हमारी प्रकृति, पर्यावरण और मानवता के संरक्षण के लिये कार्य करना होगा।
तीरथ सिंह रावत ने पितृपक्ष के शुभारम्भ के अवसर पर देशवासियों को पितृ तर्पण, पेड़ अर्पण का संदेश दिया।सनातन संस्कृति में पितृपक्ष का बड़ा ही महत्व है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध (तर्पण) किया जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों के नाम से पूजन, अर्चन, दान और पौधों के रोपण से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होता है और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है।
शास्त्रों के अनुसार पितरों का स्थान पूजनीय है, श्राद्ध कर्म के पश्चात जरूरतमंदों की सहायता करने से भी पितरों को पुण्य प्राप्त होता है।
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