ऋषिकेश,14 अक्टूबर । देशभर में पूर्णा संक्रमण को लेकर जारी की गई गाइडलाइन के अनुपालन के चलते इस वर्ष भी त्रिवेणी घाट पर असत्य पर सत्य के प्रतीक रावण कुंभकरण मेघनाथ के पुतलों का दहन नहीं देख पाएंगे लाखों की संख्या में जुटने वाले श्रद्धालु। क्योंकि किसी भी बड़े आयोजन की अनुमति प्रशासन की ओर से नहीं दी गई है। सुभाष कलब दशहरा कमेटी परंपरागत रूप से रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का गंगा में विसर्जन करेगी।
वैश्विक महामारी कोरोना ने तीर्थनगरी ऋषिकेश में दशकों से चली आ रही परंपरा को भी प्रभावित किया है। हर साल त्रिवेणीघाट पर धूमधाम से मनाया जाने वाला दशहरा मेला लगातार दूसरी बार स्थगित रहेगा। असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशालकाय पुतलों के दहन से भी लोग वंचित रहेंगे।
शहर की हृदयस्थली त्रिवेणीघाट पर आयोजित दशहरा मेला और शाम को रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला दहन पूर्व में होता आया है। ऋषिकेश ही नहीं बल्कि आसपास क्षेत्र के हजारों नागरिक मेले में आतिशबाजी के साथ पुतलों का दहन देखते हैं। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण मेला आयोजित नहीं हो पाया था।इस वर्ष भी प्रशासन ने इस तरह के किसी भी आयोजन की अनुमति नहीं दी है।
सुभाष कलब दशहरा कमेटी के अध्यक्ष ललित सक्सेना ने बताया कि परंपराओं का निर्वाहन इस वर्ष भी जारी रहेगा। दशहरा के रोज दोपहर में रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के 12 से 15 फुट तक ऊंचे पुतले बनाए जाएंगे। विधिवत पूजा अर्चना के पश्चात इन पुतलों को गंगा में प्रवाहित किया जाएगा।


















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