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देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने पर संतो में हर्ष – लहर देवस्थानम बोर्ड को भंग किया जाना सरकार की सद्बुद्धि का परिचय: संत समाज


ऋषिकेश ,01 दिसम्बर । संत समिति ऋषिकेश द्वारा आयोजित बैठक के दौरान उत्तराखंड सरकार द्वारा देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने के साथ उत्तराखंड के समस्त मंदिरों के लिए बनाए गएअधिनियम को रद्द किए जाने के बाद समस्त संतो ने खुशी जाहिर करते हुए सरकार से विधानसभा में इसे रद्द किए जाने की मांग की है ।

बुधवार को प्राचीन सोमेश्वर मंदिर के प्रांगण में संत समिति ऋषिकेश के अध्यक्ष और वेद स्थानम के पीठाधीश्वर महंत विनय सारस्वत ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने के साथ अधिनियम को रद्द किए जाने के बाद उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश के लोगों में हर्ष देखा जा रहा है, जिसे अब जनहित में सरकार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अधिनियम को समाप्त किया जाना चाहिए उन्होंने कहा कि सभी तीर्थ पुरोहितों पंडा पंचायत और संतो के साथ उनके आंदोलन से जुड़े सभी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के आंदोलन से भयभीत होकर लिए गए सरकार द्वारा अपने ही फैसले को बदलना जहां उत्तराखंड के हित में है वहीं सरकार ने उनकी मांगों को मानकर अपनी सद्बुद्धि का परिचय भी दिया है ।

लेकिन अभी तीर्थ पुरोहितों के साथ संतों का आंदोलन जब तक जारी रहेगा। तब तक उत्तराखंड की विधानसभा में इस कानून को रद्द किए जाने के लिए प्रस्ताव लाकर इसे निरस्त किए जाने का ऐलान नहीं किया जाता ।उन्होंने कहा कि यह जीत सभी संतो के साथ संस्थाओं की भी जीत है ,और उत्तराखंड को इस काले कानून से निजात मिली है ।

ऋषिकेश संत समिति के महामंत्री महंत रामेश्वर गिरी ने कहा कि सरकार द्वारा उत्तराखंड के हित में लिए गए इस निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए ।क्योंकि इस कानून के बनने के बाद चार धाम में सेवा देने वाले सभी तीर्थ पुरोहितों के हक हकूक पर होने वाले सरकारी कुठाराघात से निजात मिलेगी ।

बैठक मैं महंत पूर्णानंद ,धर्मानंद गिरी, महंत विवेकानंद ,महंत हरिदास, स्वामी धर्मवीर दादूपंथी ,महंत धर्मदास, महंत केवलयानंद सरस्वती ,मंहत् जगदीशानंद, महंत नित्यानंद पुरी ,महंत कृष्णानंद ,महंत हरिनारायणाचार्य ,महंत सविंद्र सिंह ,महंत तनवीर सिंह, स्वामी मुकेश वत्स , महंत शिवानंद, योगी सिद्धांत सारस्वत, ,महंत श्रद्धा गिरी, महंत संध्या गिरी, कोतवाल ध्यान दास आदि उपस्थित थे।


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