गिरिराज सुता माता पार्वती के अद्वितीय रूप में प्रसिद्ध बीं माता की उत्सव मानवाकृति को अन्द्रवाडी गांव के निकट परंपरागत रूप से विसर्जित किया


गोपेश्वर ,02 अप्रैल। गिरिराज सुता माता पार्वती के अद्वितीय रूप बीं के रूप में प्रसिद्ध बीं माता की उत्सव मानवाकृति को अन्द्रवाडी गांव के निकट परंपरागत रूप से विसर्जित किया गया। इस दौरान सैकड़ों धियानियों ने माता के उत्सव डोली के दर्शन कर प्रसाद रूप में हरियाली ग्रहण की। प्रत्येक तीन वर्ष बाद अंदरवाडी गांव में बीं अर्थात विधाता को कई परिवार अपने घर में आवाहन करके स्थापित करते हैं। यह चैत्र मास के संक्रांति से शुरू होता है, जो कि 15 से 20 दिन के अंतराल में विसर्जित किया जाता है। इस दौरान रात्रि भर जागरण कर प्रसिद्ध जागरी तथा धियानियों द्वारा माता की स्तितियाँ गाई जाती है। साथ ही बीं माता की स्तुति की जाती है । विसर्जन से पूर्व रात्रि जागरण कर माता को मानव आकृति देकर उसे सोलह श्रृंगार कर सजाया जाता है । इसके बाद बीं माता के स्थापना दिवस से अपने घर में रोपित हरियाली को प्रसाद रूप में सुख और समृद्धि की कामना के लिए एक दूसरे के परिवार में वितरित की जाती है। मान्यता है कि गिरिराज सुता मां पार्वती को बीं माता के रूप में अन्द्रवाड़ी गांव के भक्त अपने घर बुलाकर उसकी स्तुतियाँ गाकर मानवाकृति रूप में विसर्जित की जाती है। प्रत्येक 3 वर्षों बाद इस गांव में बीं माता का आयोजन किया जाता है।। इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा गांव से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी तक बीं माता की श्रृंगार यात्रा निकालकर उच्च स्वर में जागर गाकर माता के जयकारे गाए जाते हैं।।

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