ऋषिकेश/ देहरादून 17 जनवरी। उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री और कोटद्वार से विधायक हरक सिंह रावत को सरकार के साथ-साथ बीजेपी से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरक सिंह रावत को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित करने की पुष्टि की है। वर्ष 2016 में कांग्रेस से बगावत करके नौ विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए हरक सिंह रावत अब सोमवार को दोबारा में कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। उनके साथ बीजेपी के एक-दो और विधायक भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। जिसमें हर सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति रावत भी शामिल हो सकती है। बताते चलें कि कल ही हरक सिंह रावत ने कांग्रेस के अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के नेता सुरजेवाला से भी मिले थे।
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि वह अपने अलावा अपने बेटे और बहू अनुकृति लिए भी टिकट मांग रहे थे, जो पार्टी को मंजूर नहीं था। वह लैंसडौन, यमकेश्वर और केदारनाथ सीट पर दावेदारी जता रहे थे। पार्टी उत्तराखंड में एक परिवार, एक टिकट के फॉर्मूले पर चलने की कोशिश कर रही है और उसे लगता है कि एक नेता को अडजस्ट करने पर दूसरे लोग भी परिवार के सदस्यों के लिए टिकट मांगने लगेंगे और इससे मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
शनिवार को देहरादून में भाजपा चुनाव संचालन समिति की बैठक में 46 उम्मीदवारों के नाम पर सहमति बन गई थी और यह करीब-करीब तय हो गया था कि हरक सिंह रावत को केदारनाथ से पार्टी उम्मीदवार बनाएगी। टिकट वितरण को लेकर नाराज चल रहे हरक सिंह इस मीटिंग में भी शामिल नहीं हुए थे और रविवार शाम को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली पहुंच गए। सूत्रों का कहना है कि उन्हें इन दोनों नेताओं से भी कोई आश्वासन नहीं मिला और इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के कुछ नेताओं से मुलाकात की थी, जिससे पार्टी आलाकमान नाराज था।
इसके बाद पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में जेपी नड्डा के निर्देश पर उन्हें भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। पार्टी सूत्रों का कहना है कि हरक सिंह कोटद्वार की सीट बदलने और परिवार के तीन लोगों के लिए टिकट मांग कर वह भाजपा पर लगातार दबाव बना रहे थे और दूसरी तरफ कांग्रेस में अपनी वापसी की राह तलाशने में भी जुटे थे। सके अलावा हरक सिंह अपने बयानों से लगातार भाजपा के लिए मुसीबत बढ़ाने का काम कर रहे थे। वह पिछले कुछ दिनों से सार्वजनिक रूप से पार्टी को लेकर नाराजगी जाहिर कर रहे थे। सूत्रों के मुताबिक उन्हें कई बार समझाने और मनाने का प्रयास किया गया, लेकिन उनके तेवर नरम नहीं पड़े।