ऋषिकेश: 29 वर्षों से लावारिस संपत्ति पर किरायेदारों का दावा हुआ खारिज, सरकार में निहित होगी संपत्ति – लावारिस संपत्ति पर दावे को लेकर दो अलग-अलग मामलों में न्यायालय सीनियर सिविल जज ऋषिकेश ने सुनाया फैसला


ऋषिकेश 03जून।  पिछले 29 वर्षों से ऋषिकेश नगर निगम क्षेत्र में एक लावारिस संपत्ति के स्वामित्व को लेकर किरायेदारों के बीच चल रहे विवाद में न्यायालय सीनियर सिविल जज ऋषिकेश ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायालय ने संपत्ति के स्वामित्व को लेकर अलग-अलग पक्षों की ओर से किए गए दावे को खारिज करते हुए इस संपत्ति को राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए हैं।

नगर निगम ऋषिकेश के तिलक मार्ग स्थित संपत्ति संख्या 25 के स्वामित्व को लेकर दो अलग-अलग वाद न्यायालय सीनियर सिविल जज ऋषिकेश भावदीप रावते की अदालत में विचाराधीन थे। न्यायालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक तिलक मार्ग स्थित संपत्ति संख्या 25 नगर पालिका ऋषिकेश के अभिलेखों में भरतरी मिस्त्री के नाम पर दर्ज थी। भरतरी मिस्त्री का देहांत 23 अप्रैल 1981 को हो गया था, जिसके बाद उनकी पत्नी कमला देवी इस संपत्ति की वारिस बनी। मगर 13 मई 1993 में कमला देवी की मृत्यु के बाद इस संपत्ति को लेकर संपत्ति में काबिज किरायेदारों के बीच विवाद शुरू हो गया था।
एक मामले में गोपीचंद पुत्र गंगू सिंह निवासी तिलक मार्ग ऋषिकेश ने सत्तो देवी पत्नी ओमपाल निवासी आईडीपीएल तथा विमला देवी निवासी पहाड़ी बाजार कनखल हरिद्वार के खिलाफ वाद दायर किया था। जिसमें गोपीचंद ने आरोप लगाया कि विमला देवी ने स्वयं को भरतरी मिस्त्री की पत्नी घोषित करते हुए संपत्ति का नामांतरण अपने नाम पर करवा दिया जिसके बाद उसने सत्तो देवी के साथ मिलकर इस संपत्ति का विक्रय पत्र भी अपने नाम कर दिया।

हालांकि 1 सप्ताह बाद ही इस संबंध में कोई ठोस प्रमाण पत्र प्रस्तुत न किए जाने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने नामंत्रण का आदेश खारिज कर पुनः इस संपत्ति को भरतरी मिस्त्री के नाम दर्ज करा दिया था। इस मामले में वादी गोपीचंद ने दावा किया कि उन्होंने अंतिम समय तक भरतरी मिस्त्री की पत्नी कमला देवी की सेवा की और उन्होंने संपत्ति का मालिकाना हक उसे सौंप दिया था जिसकी वसीयत भी की गई थी मगर यह वसीयत हो गई है।

वहीं इसी संपत्ति को लेकर एक अन्य मामले में सत्तो देवी व उनके पति ओमपाल ने गोपीचंद पुत्र मंगू सिंह, रामनारायण कक्कड़ पुत्र जगदीश नारायण कक्कड़, धर्मदेव राजभर पुत्र डोमा राजभर तथा तारा देवी पत्नी त्रिलोक सिंह सभी निवासी 25 तिलक मार्ग ऋषिकेश के खिलाफ वाद दायर किया था। जिसमें रामनारायण कक्कड़ की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी शशि कक्कड़, पुत्र विशाल कक्कड़ व विक्रांत ककड़ तथा तारा देवी की मृत्यु के पश्चात उनका पुत्र महावीर इस मामले में पक्षकार बनाए गए थे।

इन दोनों मामलों की सुनवाई न्यायालय सीनियर सिविल जज ऋषिकेश भवदीप रावते ने एक साथ की। मंगलवार को सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद सीनियर सिविल जज भवदीप रावते की अदालत ने इस मामले में अहम फैसला सुनाया। न्यायालय ने कहा कि भरतरी मिस्त्री तथा उनकी पत्नी कमला देवी की मृत्यु के बाद उनका कोई विधिक वारिस शेष नहीं है और इस परिस्थिति का लाभ उठाते हुए वादी और प्रतिवादी पक्ष इस संपत्ति को अपने स्वामित्व में लेकर क्लेम कर रहे हैं।

न्यायालय ने कहा कि ऐसी संपत्ति जिसका कोई विधिक स्वामी नहीं होता, उस संपत्ति पर ‘डॉक्ट्रिन आफ एस्चीट’ का सिद्धांत लागू होता है। इसलिए यह संपत्ति राज्य सरकार में निहित की जानी चाहिए। न्यायालय ने इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से जिलाधिकारी देहरादून तथा नगर आयुक्त नगर निगम ऋषिकेश को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। साथ ही संपत्ति को लेकर किए गए सभी दावों को खारिज कर दिया है।

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