स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के मायने तभी सिद्ध होंगे, जब हम लोगों के अंदर जागरूकता पैदा कर सकें- अरुण कुमार दुबे


ऋषिकेश,19 मार्च ।पंडित ललित मोहन शर्मा राजकीय महाविद्यालय ऋषिकेश में 25 दिवसीय “आजादी का अमृत महोत्सव” कार्यक्रम के अंतर्गत “स्वतन्त्र भारत में आत्मनिर्भरता के सोपान” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर पंकज पंत ने सभी का स्वागत किया तथा तथा आत्मनिर्भर भारत के लिये सभी का योगदान महत्वपूर्ण है |
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अरुण कुमार दुबे ने कहा कि हमारा उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों तक दवा पहुंचाना नहीं है बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के मायने तभी सिद्ध होंगे, जब हम लोगों के अंदर ऐसी जागरूकता पैदा कर सकें कि वह कम से कम बीमार पड़े और चाहे वैक्सीनेशन हो या हेल्थ एंड हाइजीन, सभी क्षेत्रों में बढ़ाया गया कदम स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की ओर जाते हैं| डॉक्टर दुबे ने कहा कि एक समय था जब कुष्ठ रोग के प्रति समाज में घृणा का वातावरण था लेकिन कम्युनिटी मेडिसिन में काम करने के बाद आज स्थितियां बदली है उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि आज हम पूरे विश्व को वैक्सीन देने में सक्षम हो रहे हैं| वक्ता के रूप में बोलते हुए डी ए वी पी जी कालेज के भूगोल विभाग के प्रोफेसर पीके शाही ने बताया की पहाड़ों पर जब तक वहां की संसाधनों के आधार पर रोजगार विकसित नहीं किया जाता तक पलायन नहीं रुकेगा ,और आत्मनिर्भरता के असली मायने तभी सिद्ध होंगे जब सुदूर पर्वतीय अंचल के व्यक्ति भी आत्मनिर्भर बने| उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तरपर रोजगार और बाजार की अपार संभावनाएं हैं | इसलिय लोकल के लिये वोकल पर जोर देना होगा भारत मे बना ढाका का मलयालम कभी दुनिया मे राज करता था , भदोई का कार्पेट, मुरादाबाद के पीतल के बरतन अपने स्थानीय तथा मानव संसाधन का बेहतर उपयोग से ही संभव है |
इसी क्रम में बोलते हुए इसी क्रम में बोलते हुये डॉक्टर भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय बिहार के डॉ संतोष कुमार अनिल जी ने कहा कि आजादी के पूर्व भी स्वतंत्रता तथा आत्मनिर्भरता के प्रति भारत में जागरूकता रही तथा ऋषियों ने तथा क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों ने आत्मनिर्भरता के प्रति समाज को जागरूक किया उन्होंने बताया कि किस प्रकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय से लेकर के स्वामी विवेकानंद और दादू सभी ने आत्मनिर्भरता की ओर मार्ग प्रशस्त किया | इसी क्रम में बोलते हुए सिद्धार्थ नगर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुनीता त्रिपाठी ने कहा की
कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष में हमारी उपलब्धियां और चुनौतियां दोनों का ही सिंघावलोकन करना आवश्यक है | उन्होंने बताया कि किस प्रकार हम धीरे धीरे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। परंतु बड़ी जनसंख्या के कारण सभी तक स्वरोजगार पहुचाना एक बड़ी चुनौती है | कार्यक्रम के संचालक तथा सचिव डॉ दयाधर दीक्षित ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में कुल 332 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया तथा महाविद्यालय के डॉ सतेन्द्र कुमार डॉ रूबी तबस्सुम डॉ अनिल कुमार डॉ मृत्युंजय शर्मा डॉ अजय उनियाल डॉ राजेश नौटियाल आदि प्राध्यापकों सहित अनेक छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया जिसमे अन्य राज्यों राज्यों से भी बहुत से प्राध्यापकों तथा छात्र छात्राएं लाभान्वित हुयी |

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