श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी यात्रा 2022 का ऋषिकेश तारा माता मंदिर में पहुंचने पर संतो ने पुष्प वर्षा कर किया भव्य स्वागत छडी यात्रा का उद्देश्य विधर्मीयों को समाप्त कर सनातन धर्म का वर्चस्व कायम करना – महंत प्रेम महाराज


ऋषिकेश, 10 अक्टूबर। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े हरिद्वार द्वारा आयोजित पवित्र छड़ी यात्रा 2022 का ऋषिकेश स्थित मायाकुंड तारा माता मंदिर में पहुंचने पर संतो ने ‌ सोमवार को पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया । छड़ी यात्रा के प्रमुख जूना अखाड़े के सभापति महंत प्रेम महाराज ने बताया कि यह यात्रा 24 सितंबर को माया मंदिर से छडी के पूजन के उपरांत प्रारंभ हुई थी, जो कि हरिद्वार से बागेश्वर सहित कुमाऊं मंडल के तमाम शहरों से होती हुई आज ऋषिकेश तारा माता मंदिर पहुंची ।

जहां से वह त्रिवेणी घाट ,दुर्गा मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर, मायाकुंड तारा माता मंदिर, व त्रिवेणी घाट पर गंगा पूजन किया गया। जहां तारा माता मंदिर के महंत संध्या गिरी, श्री राम गिरी, खुशी गिरी, महेश गिरी, मिंटू त्यागी, नीतू त्यागी ,गंभीर सिंह मेवाड़, ने पुष्प वर्षा का भव्य स्वागत किया।

प्रेम महाराज ने बताया कि श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े द्वारा संचालित पौराणिक पावन पवित्र छड़ी यात्रा आद्य जगतगुरु शंकराचार्य ने लगभग ढाई हजार वर्ष पहले अपनी दिग्विजय यात्रा जिसमें उन्होंने सनातन धर्म की स्थापना के लिए पूरे भारतवर्ष में चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी ,का ही रूप है ।तब जगद्गुरु शंकराचार्य ने पवित्र धर्म दंड अथवा धर्म ध्वजा जो की छड़ी का ही प्रतीक था ,के माध्यम से विधर्मीयों को समाप्त कर सनातन धर्म का वर्चस्व कायम किया था। तभी से उनके बताए गए मार्ग पर चलते हुए साधु सन्यासियों और अखाड़ों द्वारा उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और दक्षिणी प्रदेशों में पवित्र छड़ी यात्राएं निकाली जाती है। जिसमें अमरनाथ, मणिमहेश, कैलाश मानसरोवर, उत्तराखंड के चारो धाम सहित पौराणिक स्थलों की यात्रा आज भी संचालित की जा रही है ।

इन यात्राओं को समय-समय पर मुगल शासकों ने रोकने का प्रयास भी किया, अलाउद्दीन खिलजी और मोहम्मद तुगलक शाह ने हिंदू जनता पर अत्याचार किए ,जिससे त्रस्त होकर शंकराचार्य द्वारा स्थापित दस नाम परंपरा के सन्यासियों ने प्रयागराज कुंभ के दौरान क अखाड़ों का गठन किया था, इसी क्रम में उत्तराखंड के करणपयाग में जूना अखाड़े की स्थापना की गई थी।

जिसके स्थापना काल से जूना अखाड़े के नागा सन्यासी मुगलों के अत्याचार से निपटने के लिए सैनिक गतिविधियों, धार्मिक यात्रा आयोजित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में यह परंपरा थी कि कुंभ पर्व के समापन के पश्चात अखाड़े पौराणिक पावन छड़ी यात्रा निकालेंगे, तथा कैलाश मानसरोवर सहित उत्तराखंड के चारों धामों एवं अन्य पौराणिक मंदिरोंंंं और स्थानों का जीर्णोद्धारभी करेंगे। इसी उद्देश्य को लेकर यह यात्रा निकाली जा रही है ।जिस का समापन आगामी 1 नवंबर को हरिद्वार में माया देवी मंदिर में किया जाएगा ।

छड़ी यात्रा में प्रमुख रूप से‌ छड़ी के प्रमुख महंत जूना अखाड़ा के सभापति  महंत प्रेम महाराज , महंत पुष्कर गिरी, छवि महल, शिवदत्त गिरी ,वशिष्ठ गिरी, तूफान गिरी, महंत पुष्कर गिरी ,महंत शैलेंद्र गिरी ,महंत संध्या गिरी ,जगतगुरु शंकराचार्य , पीठाधीश्वर नरेंद्र नंद सरस्वती, सहित काफी संख्या में संत उपस्थित है। चौकी ऋषिकेश से प्रारंभ होकर देहरादून मंसूरी लाखामंडल होते हुए बड़कोट में रात्रि विश्राम करेगी जिसके बाद वह पूरे उत्तराखंड के पौराणिक मंदिरों में पहुंचेगी जहां उनका भव्य स्वागत किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *